बूढ़े पिता की देखभाल : हृदतस्पर्शी कहानी | Heart Touching Kahani
अरे रोशन अगले सप्ताह में हम यूरोप टूर पर जा रहे हैं, पापा को कब लाऊं तुम्हारे पास,? या तुम लेकर जाओगे उन्हें?
अरे भैया एक प्रॉब्लम हो गए हैं। प्रिया के भाई ने हमारी कश्मीर टूर की बुकिंग की है वह भी अगले सप्ताह का ही है। उस वजह से सॉरी में पापा को लेने नहीं आऊंगा।
रोशन को ऐसे बोल कर गुस्से से विराट का सिर घूम गया। पर तुम्हें पूछ कर ही तो मैंने यूरोप टूर की बुकिंग की थी ना!
उस बात को 3 महीने हो चुके हैं और तुम मुझे अभी बता रहे हो कि नहीं आ सकता, वह भी मैंने पूछा तब! अभी मुझे बताओ मैं पापा को कहां भेजूं?
भैया आपको तो पता ही है, प्रिया का स्वभाव कैसा है? उसने एक बार ठान लिया तो ब्रह्मदेव भी उसके प्लान में रुकावट दे नहीं सकते! तो फिर प्लीज मेरे घर में झगड़ा मत लगाओ। रह गया पापा का सवाल तो आप तनु को पूछो वह यही रहने वाली हैनऔर उसका घर बहुत बड़ा है।
अरे लेकिन....... उतने में फोन कट गया। विराट ने गुस्से से मोबाइल की तरफ देखा। रोशन का यह हमेशा ही रहता है शादी होने के बाद से कभी भी उसने मां पापा की तरफ ध्यान नहीं दिया। सच कहे तो छोटा होने के कारण वह मां पापा का सबसे लाडला था। पर मां पापा को उसने कभी भी अपनी जिम्मेदारी मानी नहीं।
दो साल पहले मां कैंसर से मर गई पर उसकी बीमारी में एक भी पैसों की मदद उसने विराट को कि नहीं। पिछले साल पापा को हार्ट अटैक आया पर जैसे अजनबी इंसान की तरह हॉस्पिटल में पापा को मिलने के सिवाय उसने कुछ भी नहीं किया!
उसने पापा को तनु के पास रखने के लिए कहा था पर तनु के बारे में विराट संकोचा रहा था। तनु यह उनकी छोटी बहन थी। एक नंबर की लालची और स्वार्थी औरत थी। मां थी तब मां से मीठी-मीठी बातें करके अच्छी-अच्छी साड़ियां गिफ्ट लेती थी। परिस्थिति अच्छी होते हुए भी पति को बिजनेस को चाहिए ऐसे बोल कर उसने मां पापा से 10-12 लाख ले लिए थे पर वापस देने का सोचती भी नहीं थी।
रिश्ते बिगड़े नहीं इसलिए विराट भी कभी बोला नहीं। पर उसकी पत्नी जागृति यह सब देख रही थी। उसकी खूसूर फुसर चल रही थी। विराट उसकी तरफ ध्यान नहीं देता था। मां के जाने के बाद वैसे तनु को भाई, पापा, भाभी से इंटरेस्ट खत्म होने लगा। उसने बेमन से तनु को फोन किया। तनु हम यूरोप टूर पर जा रहे हैं। 15 दिनों के लिए पापा को लेकर आऊं क्या तुम्हारे घर?
अरे भैया मेरी ननंद आ रही है डिलीवरी के लिए मेरे पास। मुझे बताओ मैं उसकी तरफ ध्यान दू कि पापा की तरफ?
लेकिन तनु तुम्हारा घर तो बहुत बड़ा है। पापा कहीं पर भी रह सकते हैं।
नहीं बाबा उनको फिर से अटैक आया तो मैं कहां ढूंढती रहूं डॉक्टर को? इससे अच्छा तुम एक काम करो उनको 15 दिनों के लिए वृद्धाश्रम में भेज दो। कोई दिक्कत नहीं होगी फिर!
तनु ... हम तीन भाई बहन के होते हुए भी उनको वृद्धाश्रम में भेजना अच्छा नहीं लगेगा।
देखो भैय्या मैं नहीं रख सकती उन्हे। अगर आपको मेरा सुझाव पसंद नही आया तो फिर तुम ही देखो बाबा क्या करना है। इतना कहकर उसने भी फोन कॉल कट कर दिया!
घर आने के बाद विराट से पापा को कहा भेजेंगे जागृति ने यह पूछा। हमेशा की तरह वह भड़की। हमने क्या ठेका लेकर रखा है क्या? पापा को संभालने का। इन दोनों की कोई भी जिम्मेदारी नहीं है क्या?
उसका बोलना भी सच था। बड़ा बेटा इस रिश्ते से विराट ने मां पापा की जिम्मेदारी खुद से स्वीकार की। पहले मां और उसके बाद पापा की बीमारी की वजह से वह दोनों एक साथ बाहर भी नहीं जाते थे। कोई एक तो घर पर चाहिए था। इस बार रोशन पापा को संभालने के लिए तैयार था इसीलिए उन दोनों ने यूरोप टूर की बुकिंग की थी। हनीमून के बाद पहली बार दोनों और बच्चे एक साथ ट्रिप पर जाने वाले थे। ट्रिप के सब पैसे दिए गए थे और आज अचानक रोशन ने मना कर दिया, वह सुनकर जागृति रोने लगी।
विराट ने उसे समझाने की बहुत कोशिश की पर वह मानने के लिए तैयार ही नहीं थी। मुझे कुछ नहीं पता, कुछ भी करो हम ट्रिप पर जाएंगे ही जाएंगे! पापा को पोता पोती से सब बातें मालूम पड़ी वह विराट को बोले - अरे क्यों इतनी टेंशन ले रहे हो तुम? रहूंगा मैं अकेला जाओ तुम सब। ऐसा क्यों बोल रहे हो पापा आप? आपको एक अटैक आ चुका है आपका बी.पी. और शुगर हमेशा काम ज्यादा होता रहता है। कैसे छोड़े आपको अकेला यहां पर?
विराट सच बोल रहा था इसलिए पापा चुप बैठे थे। टूर पर जाने के लिए अभी 3 दिन बाकी थे।पर रास्ता निकल नहीं रहा था। विराट को टेंशन होने लगी थी। उसने सभी विकल्प सामने रखकर देखा अंत में खुद की टूर कैंसिल करके जागृति और बच्चों को टूर को भेज देना ही उसे सही विकल्प लगा।जागृति का गुस्सा और दो लाख का नुकसान भी होने वाला था। पर उसके पास ऐसा करने के अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं बचा था। अंत में उसने अपना निर्णय पक्का किया और जागृति को फोन करके सूचना दी।
वह तो रोने लगी पर उसे समझा ने के बजाय फोन काट दिया। बाद में ड्राइवर को फोन करके तैयार होने के लिए कहा और वह ऑफिस के बाहर आकर गाड़ी में बैठ गया। गाड़ी ट्रेवल एजेंसी की तरफ ले जाने को कहा।
बहुत टेंशन में दिख रहे हो साहब उसके ड्राइवर जगन ने उसे पूछा। फिर विराट ने सब बाते उसे बताइ। वह सुनने के बाद वह बोला अरे साहब फिर तुम क्यों ट्रिप कैंसिल करते हो? साहब मैं मेरे घर लेकर जाता हूं बड़े साहब को। नहीं नहीं, क्यों तुम्हारी फैमिली को परेशान करना? पापा की ज्यादा देखभाल करनी पड़ती है। उनकी दवाइयों का खाने पीने का वक्त देखना पड़ता है।
अरे साहब उसमें क्या है? हम भी अपने पिताजी का करते हैं ना! उनका भी बाईपास हुआ है आपको भी पता है यह सब। मेरे पिताजी बड़े साहब को पहचानते हैं। दोनों की अच्छी दोस्ती हो जाएगी। देखो वह कुछ नहीं मैं बड़े साहब को लेकर जाऊंगा।
एक ड्राइवर के घर पापा को भेजना विराट को कुछ अच्छा नहीं लगा। लेकिन ड्राइवर का हट देखकर उसने पापा को ही पूछ कर फैसला लेना सही समझा। ठीक है चलो गाड़ी घुमाओ हम पापा को भी पूछते हैं। वह रेडी हो जाए तो मुझे कोई हरकत नहीं है। जगन बहुत खुश हुआ।
घर जाकर उसने बड़े साहब से पूछा पापा भी तैयार हो गए। वह बोले जगन के परिवार को कोई दिक्कत नहीं होगी तो मैं जाने के लिए तैयार हूँ। जगन ने तुरंत घर पर फोन लगाया। बोलना खत्म होने पर वह खुशी से बोला सब तैयार
है। मेरे पिताजी को तो बहुत आनंद हुआ है।
टूर के दिन जगन बड़े साहब को लेकर उसके घर ले गया। बाद में उसने विराट और परिवार को एयरपोर्ट पर छोड़ आया। घर जाते वक्त उसने विराट को विश्वास दिलाया, चिंता मत करो साहब बड़े साहब एकदम आराम से रहेंगे।
टूर के दौरान भी विराट उसके पापा को फोन करके हाल पूछता था। उनका हमेशा एक ही उत्तर रहता था चिंता मत करो मैं यहां पर ठीक हूं। 16 दिन जगन उनको लेने के लिए एयरपोर्ट पर गया। विराट ने पापा की पूछताछ की,मजे में है बड़े साहब बहुत धमाल की दोनों बूढ़ों ने, जगन बोल रहा था।
वह सुबह उठकर मॉर्निंग वॉक पर जाते थे। फिर दिन भर पत्ते और शतरंज का खेल खेलते थे। फिर शाम को मंदिर में जाकर भजन कीर्तन सुनते थे,उनकी तरह जेष्ठ नागरिकों के साथ चौपाटी पर बैठ कर बाते करते थे। 3 दिन पहले बड़े साहब को थोड़ा बुखार आया था, शुगर भी थोड़ी बढ़ गई थी, फिर उन को अस्पताल लेकर गया,अभी वो एकदम ओके है।
हमें छोड़ने के बाद लेकर आना पापा को घर पर। 1 दिन रहने दो ना साहब उनको बीमारी की वजह से उनकी मेहमान नवाजी रह गया है। अरे अभी क्यों करनी मेहमान नवाजी? इतने दिनों तक तुम ने उन्हें संभाला वह क्या कम है?
ऐसा क्यों करते हो साहब अपने घर आने वाले मेहमान को मेहमान नवाजी किए बिना कैसे भेजें? और यह मैंने संभाला ऐसे बोलो मत मैंने कुछ ज्यादा नहीं किया है। बड़े साहब ही अच्छे से रहें हमारे घर। अच्छा बाबा ऐसे बोल कर विराटने उसे हां कहां।
दूसरे दिन शाम को पापा घर आये वह बहुत खुश दिख रहे थे। उनके हाथ में एक थैली थी, पैंट शर्ट का कपड़ा टॉवल, टोपी थी। वह देखकर विराट बोला अरे इसकी क्या जरूरत थी जगन? नहीं कैसे साहब? बड़े साहब को ऐसे ही भेज देता मैं?
उतने मे जागृति ने विराट को अंदर बुलाया और कहा, सुनो जी उसका एहसान मत रखो।5-10 हजार उसे दे दो! विराट को वो सही लगा। जगन के घर जाकर उसने 10,000 उसके हाथों में दिए।
जगन ने उसकी तरफ आश्चर्य में देखा और फिर वह 10,000 उसके जेब में रख दिए और बोला यह क्या है साहब?अरे पिता को संभालने का कोई पैसा लेता है क्या भला? और हां आगे भी कभी ऐसा प्रसंग आया तो बड़े साहब को बिनधास्त मेरे पास भेजना! विराट का मन भर आया उसने जगन को गले लगा लिया।
तीन-चार दिनों बाद रोशन और तनु का फोन आया टूर कैंसिल किया था या फिर पापा को वृद्ध आश्रम में रखा था? ऐसा पूछ रहे थे दोनों, विराट के मुंह से इतना ही निकला की उस दिन असल मायने में मुझे भाई मिला जिसने पापा का ख्याल रक्खा!
पढ़िए अगली दिल छूनेवाली कहानी

Very nice
जवाब देंहटाएंअति सुंदर प्रस्तुति