kahani घर का काम- Story in Hindi |Moral Stories

 आज की ये कहानी उन लोगों का नजरिया पूरी तरह से बदल देगी जिन्हें सिर्फ अपना काम ही बड़ा(महत्वपूर्ण) लगता है और औरों का काम बहुत आसान(तुच्छ) और छोटा!

इस कहानी की शुरुआत होती है मंजू नाम की एक हाउसकीपर से जो कि अपने मालिक के घर उसके बच्चे को कपड़े पहना रही थी तभी उसकी मालकिन नीना शॉपिंग करके घर आती है.नीना यह देख कर कि मंजू अभी भी उसके बच्चे की तैयारी में लगी है गुस्सा हो जाती है और उसे डांट कर कहती है कि अब तक तुमने मेरे बेटे को तैयार नहीं किया?

मंजू बड़े अदब से अपनी मालकिन को कहती है कि माफ कीजिए मैडम मैं दूसरे कामों में लगी हुई थी इसलिए थोड़ी देर हो गई. नीना मुंह चढ़ाते हुए कहती है,"ऐसा क्या बड़ा काम करती हो?  घर के काम ही तो करती हो फिर भी केहती हो की बिजी थी."

मंजू जो कि अपना काम बड़े ही ईमानदारी से करती है फिर भी यह सब शांति से सुन लेती है और केहती है कि माफ कीजिए मैडम मैं अभी फटाफट बाबा को तैयार कर देती हूं. नीना कहती है ठीक है ठीक है मैं दिनभर शॉपिंग करके बहुत थक गई हूं मैं अपने रूम में नहाने जा रही हूं और अपने साथ लाया हुआ सामान नीचे जमीन पर पटकते हुए कहती है इसे तुम  मेरे रूम में पहुंचा देना और हां मेरे बेटे के टीशर्ट पर अभी भी सिलवटें नजर आ रही है उन्हें ईस्त्री करके सही करो. मंजू अभी भी शांत है वह कहती है जी मैडम और निपना वहां से चली जाती है.

दोस्तों, यह घटना हमारे या आपके मन में मंजू के लिए दया और नीना के लिए नफरत पैदा कर सकती है, और शायद आप सोचोगे कि क्या ऐसे लोग भी दुनिया में होते हैं? तो मैं कहूंगा जी हां! होते हैं और हमारे आस-पास ही होते हैं. मगर हमें ऐसे लोगों से नफरत करने की नहीं बल्कि उनके विचार बदलने की जरूरत है.

चलिए कहानी में आगे बढ़ते हैं. एक दिन नीना, उसका हस्बैंड गौरव और उसका बेटा तीनों डाइनिंग टेबल पर बैठे होते हैं और मंजू उनको खाना सर्व करने के लिए किचन से खाने का सामान ला रही होती है . क्योंकि उसने एक साथ तीन प्लेटें अपने हाथ में पकड़ी होती है तो उसे धीरे धीरे से चलके उन्हें संभालना पड़ रहा होता है. यह देखकर गौरव उसकी हेल्प करने की सोचता है और अपनी कुर्सी से उठने ही वाला होता है तभी नीना उसे रोक लेती है और कहती है," तुम कहां जा रहे हो? उसे करने दो, वही तो उसका काम है. उसी का तो हम उसे पैसा देते है."

मंजू जैसे तैसे बैलेंस करते हुए तीनों प्लेट डाइनिंग टेबल पर लेकर आती है. जब वह नीना के सामने वह प्लेट रखती है तो उसमें मटर पनीर देखकर नीना की आंखें गुस्से से बड़ी हो जाती है.वह तुरंत चिल्ला के कहती है,"तुम्हें थोड़ी सी भी अक्ल नहीं है क्या? ये सेम खाना इसी हफ्ते में दूसरी बार हमें परोस रही हो! तुरंत इसे यहां से उठाओ और कुछ नया बना कर लाओ."

गौरव को नीना का ऐसा दुर्व्यवहार अच्छा नहीं लगता है इसलिए वह उसे समझाने की कोशिश करता है वह नीना से कहता है कि तुम्हें किसी से भी ऐसा बर्ताव नहीं करना चाहिए क्योंकि हर इंसान अपने काम में कितनी मेहनत लगा रहा है हमें उसका अंदाजा नहीं होता. नीना कहती है कि वो क्या बड़ा काम करती है? घर का काम ही तो करती है ,भला उसे क्या मेहनत लगती होगी? गौरव कहता है तुम ऐसा केह रही हो क्योंकि तुमने कभी उसका काम करके नहीं देखा है! तभी नीना घमंड से अपने हाथ दिखाते हुए कहती है यह हाथ काम करने के लिए नहीं शॉपिंग करने के लिए बने है और हंसने लगती हैं.

एक दिन जब मंजू किचन में बर्तन धो रही होती है तब नीना किचन में जाती है और पीछे से उसे आवाज देते हुए कहती है कि जल्दी जल्दी यह काम खत्म करो तुम्हारे लिए और भी कई काम है! अचानक तीव्र आवाज सुन के मंजू हड़बड़ा जाती है और उसके हाथ में जो प्लेट होती है वह नीचे गिरकर टूट जाती है. जैसे ही प्लेट टूटी हुई नजर आती है, नीना गुस्से से आगबबूला होकर मंजू को खरी खोटी सुनाते हुए कहती है कि तुम्हे पता भी है ये प्लेट कितनी महंगी थी ! मंजू माफी मांगते हुए कहती हैं," मैडम गलती से टूट गई नई खरीद के ला दूंगी." नीना अब और ज्यादा गुस्सा हो जाती है और कहती है, "अच्छा तुम गलती भी करोगी और उल्टा जवाब भी दोगी ! ठीक है, तुम्हें सबक सिखाना ही पड़ेगा! अपना सामान उठाओ और दफा हो जाओ यहां से, मैं तुम्हें अभी नौकरी से निकाल रही हूं."

यह सुनकर मंजू की आंखों में आंसू आ जाते हैं और वह नीना से केहती है कि मैडम मेरे साथ ऐसा मत कीजिए मुझे ईस नौकरी की जरूरत है. मगर वो मंजू की एक नहीं सुनती और उसे नौकरी से निकाल देती है. तभी गौरव किचन में आ जाता है और नीना से पूछता है कि क्या हुआ? मुझे कुछ टूटने की आवाज सुनाई दी, सब ठीक तो है?

नीना कहती है कि मैंने मंजू को नौकरी से निकाल दिया है तुम कोई और हाउसकीपर हायर कर लो.मगर गौरव उसे साफ साफ शब्दों में मना करते हुए केहता है कि ,"अब बहोत हुआ मै किसी भी नए व्यक्ति को काम पर नहीं रखनेवाला हूं. अगर तुम्हे लगता है कि मंजू का काम इतना आसान है तो तुम ही घर का काम संभालो. और हा अगर तुम मना करोगी तो शॉपिंग के बारे में भूल जाओ क्योंकि में तुम्हे उसके लिए क्रेडिट कार्ड नहीं देने वाला ."

गौरव का ऐसा बदला हुआ रूप देख कर नीना उसे देखते ही रह गई और उसने सोचा घर का काम कितना मुश्किल होगा ? ऐसा सोच के उसके लिए राजी हो गई . दरअसल  गौरव के ऐसे बर्ताव के पीछे का कारण बड़ा ही साफ साफ समझ में आता है कि वो नीना को वो सारे काम करवाके जिन कामों को या ऐसे काम करने वालो को तुच्छ समजती है  उन्हें करने के लिए  कितनी मेहनत और लगन लगती है  इसके बारे में जान सकें.

अगले दिन सुबह से ही नीना घर के काम में लग गई. जब वो अपने बच्चे को तैयार कर रही थी तो उसे पता चला की बच्चो को तैयार करना कोई बच्चों का खेल नहीं है! घर में साफ सफाई करते करते उसकी हालत पतली हो गई. उसने अपने परिवार का पेट भर सकें इस के लिए घंटो रसोई घर में बिताए और जब वो अपने बनाए खाने को डायनिंग टेबल पर लेकर आई तो उसके बेटे ने एक नजर देखकर ही उसे खाने से मना कर दिया! उस पल उसे एहसास हुआ की जब कोई किसी के हार्डवर्क का सम्मान नहीं करता तब कितना बुरा लगता हैं.

खाना ख़त्म होने के बाद जब वो दुःखी मन से बर्तन धो रही थी तब ध्यान ना देने के कारण उससे भी वैसी ही मेहंगी वाली प्लेट नीचे गिरकर टूट गई जिसे तोड़ने पर उसने मंजू को नौकरी से निकाल दिया था.अब उसे पूरी तरह मंजू की मेहनत और काम में उसकी लगन का एहसास हो गया था और उसे मन ही मन पछतावा भी ही रहा था. 

थोड़े दिन नीना ने बड़ी मुश्किल से सारा काम करते हुए बिताए.एक दिन घर की साफ सफाई करके जब वो जमा कचरा फेंकने  के लिए कचरे की थैली उठा रही थी तभी  उसके घर की डोरबेल बजी और जब उसने दरवाजा खोला तो उसके चेहरे पे मुस्कान लोट आई क्योंकि  वहां पर मंजू खड़ी थीं जिसके हाथ में सेम वैसी ही प्लेट थी जो उससे गलती से टूट गई थी! 

मंजू बोली ,"मैडम मुझे बहोत बुरा लग रहा था कि मैंने आपकी इतनी महंगी प्लेट तोड़ दी इसलिए में ये प्लेट नई खरीदकर आपको लौटने आई हूं. और मेरी बाकी गलतियों के लिए भी  हो सके तो मुझे माफ़ कर देना." तब नीना ने उसे कहा कि," तुम क्यों माफी मांग रही हो बल्कि माफी तो मुझे मांगनी चाहिए अपने खराब बर्ताव के लिए! और सच में मै शर्मिंदा हूं ,मुझे बिल्कुल अंदाजा नहीं था कि तुम्हारा काम कितना मुश्किल है जब तक मैने खुद उसे नहीं किया. अगर तुम्हारी मर्जी हो तो क्या प्लीज तुम वापस अपनी नौकरी पर आओगी ? हमें और इस घर को तुम्हारी जरूरत है .मै तुम्हारा पगार भी बढ़ा दूंगी क्युकी मै जानती हूं तुम्हारा काम बहोत कठिन है."

मंजू बहोत खुश होती है और कहती है कि जरूर में वापस आऊंगी  और मुझे खुशी है कि आप ने मेरे काम की रीस्पेक्ट की . मंजू नीना के हात में कचरे की थैली देखकर कहती है कि लाईए में इसे फेंक देती हूं.नीना उसे मना कर देती है और कहती है ये मुझे करने दो और अब से मै तुम्हारे काम में भी मदद करूंगी बस इतना बता दो इसे फेंकना कहा है? दोनों हसने लगती है.

दोस्तों,ये सिंपल कहानी हमें सिखाती है कि हम सिर्फ सोच कर या देख कर किसी के भी काम में कितनी मेहनत ,लगन या ध्यान लगता है ये नहीं जानते इसलिए हमे हर इंसान के काम और उस इंसान की रिस्पेक्ट करनी चाहिए.



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