प्रेरक कहानी : संघर्ष का महत्व | preranadayak kahani
एक नदी उचे उचे पहाड़ो से बहकर समतल मैदान में पूरे बहाव के साथ बह रही थी। जैसे की होता है नदी के दोनों किनारों पर ढेर सारी रेत और अनगिनत छोटे छोटे पत्थर बिखरे पड़े थे।
इन अनगिनत पत्थरों में एक बहुत सुंदर चिकना और गोल मटोल पत्थर और उसके ठीक बाजू में एक खुरदरा ,भद्दा और बेआकार काला पत्थर पड़ा हुआ था।
धीरे-धीरे वह दोनों पास में रहते रहते एक दूसरे को पहचानने लगे। उनकी जान-पहचान बढ़ी तो दोनों में दोस्ती हो गई। वे दोनों अक्सर अब अपने अपने विचार एक दूसरे को बताने लगे।
1 दिन खुरदरे पत्थर ने अपने मन की बात बताते हुए गोल मटोल चिकने पत्थर से पूछा," दोस्त मुझे एक बात समझ में नहीं आती है कि हम दोनों उसी ऊंची चोटी से बहकर नदी के साथ यहां पर आए हैं, तो फिर तुम इतने सुंदर और गोल मटोल कैसे और मैं इतना भद्दा क्यों?"
गोल मटोल पत्थर ने मुस्कुराते कहा,"हां यह सच बात है कि मैं अभी पहले से काफी ज्यादा चिकना और सुंदर हो चुका हूं लेकिन सच मानो मैं भी किसी जमाने में तुम्हारी तरह ही खुदरा और भद्दा था।
लेकिन मैं अपनी पूरी जिंदगी संघर्ष करता रहा। तूफानों के साथ चला, नदी के बहाव से कटा, किनारों पर गर्मियां सहन की और आखिरकार संघर्ष का फल मुझे मिला और आज मैं जिस रूप में हूं वह मुझे मिला !
तुम अपने अभी के लिए रुप से बिल्कुल परेशान और ना उम्मीद मत होना मेहनत करते रहना संघर्ष करते रहना और देखना तुम भी एक दिन वो सब पालोगे जिसकी तुम्हें चाह है।"
दोस्तों, कहानी तो बहुत ही छोटी है लेकिन इससे हम बहुत बड़ी प्रेरणा ले सकते हैं। उस गोल मटोल चमकीले पत्थर की तरह हम भी अगर हमारी अभी की परिस्थिति को ज्यादा ध्यान ना देते हुए मेहनत करते रहे और संघर्ष करते रहे तो हमें भी सफल होने से कोई नहीं रोक सकता।
सही राह पर चलते चलते हमें धीरज और विश्वास रखना भी उतना ही जरूरी है क्योंकि अक्सर ऐसा होता है कि हम अधीरे हो जाते हैं और अपना कर्म करना छोड़ देते हैं।
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