कहानी - चांदी की चाबी
पुराने जमाने की ये बात है। एक बड़ी तूफानी रात में एक मुसाफिर एक धर्मशाला पहुंचता है। ज्यादा समय हो जाने के कारण धर्मशाला का गेट अंदर से बंद कर लिया गया है। उस गेट का गेटकीपर अंदर ही बैठा है।
मुसाफिर दरवाजा खटखटाता है। खटखटाहट सुनकर गेटकीपर मुसाफिर से कहता है कि इस दरवाजे की चाबी कहीं खो गई है अगर आपके पास चांदी की चाबी है तभी यह दरवाजा खुल सकता है! मुसाफिर तुरंत समझ जाता है कि गेटकीपर क्या कहना चाह रहा है।वह तुरंत अपनी जेब से चांदी का एक सिक्का गेट से अंदर गेटकीपर को दे देता है। चांदी का सिक्का पाते ही गेटकीपर गेट को खोल देता है और मुसाफिर को अंदर आने देता है।
मुसाफिर जैसे ही धर्मशाला में प्रवेश करता है वह गेटकीपर को कहता है कि मेरा सामान का बक्सा गेट के बाहर छूट गया है जरा जाकर लेकर आओ। गेटकीपर जैसे ही बक्सा लाने के लिए गेट से बाहर निकलता है मुसाफिर गेट को अंदर से बंद कर देता है। अब गेटकीपर मुसाफिर को दरवाजा खोलने के लिए कहता है ताकि वह अंदर आ सके। गेटकीपर कहता है मेरी भी चाबी कहीं खो गई है और यह दरवाजा तो चांदी की चाबी से ही खुलता है! गेटकीपर चांदी का वही सिक्का मुसाफिर को वापस लौटाता है।
कहानी की सीख
बेईमान लोगों की मुलाकात अक्सर उनके जैसे लोगों से हो जाती है।
कहानी वीडियो
Very nice story
जवाब देंहटाएंVah to Gboard rnxgfhtf h h
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