कहानी : भेड़ की समझदारी | Moral Hindi kahani

कहानी : भेड़ की समझदारी | Moral Hindi kahani


कहानी : भेड़ की समझदारी | Moral Hindi kahani


 एक दिन एक हरिण एक भेड़ के पास आया और उससे कहा कि वह उसे एक माप गेहूँ उधार दे।  भेड़ उसे एक बहुत तेज दौड़ने वाले प्राणी के रूप में जानती थीं, जो आसानी से भेड़ की पहुंच से बाहर हो सकता था।


 भेड़ ने उसको सीधा ना कहने के बजाय उससे पूछा कि क्या वह किसी ऐसे प्राणी को जानता है जो उसके लिए जमानत (guarantee) देगा।


 "हाँ, हाँ,क्यों नहीं मै एैसे एक जानवर को जनता हूं" हरिन ने आत्मविश्वास से उत्तर दिया, "भेड़िया मुझसे बोला था मुझे जब भी जरूरत होगी, मेरे लिए जमानतदार बन जाएगा।"


 "भेड़िया!" भेड़ अब हरीन को कर्ज देने के लिए मना कर देता है। भेड़ कारण बताते हुए कहता है"क्या आपको लगता है कि मैं ऐसी जमानत पर आप पर भरोसा करूंगा?  मैं भेड़िया को जानता हूँ!  वह जो चाहता है उसे ले लेता है और बिना भुगतान किए उसे लेकर भाग जाता है।  जहाँ तक आपकी बात है, आप अपने पैरों का उपयोग इतनी अच्छी तरह कर सकते हैं कि अगर मुझे आपको कभी अपना कर्ज़ा वापिस लेने के लिए पकड़ना पड़े तो मेरे तो वो मेरे लिए संभव नहीं होगा! ”


कहानी से सिख


दोस्तों कई लोग भी अक्सर अपने आसपास के ऐसे लोगों पर भरोसा कर लेते हैं जो इस हिरण की तरह तेज या फिर भेड़िए की तरह धोखेबाज होते हैं, और फिर अपनी दी हुई वस्तु ऐसे लोगों से वापस कभी नहीं पाते, बाद में अपने निर्णय पर पछताते हैं। इसलिए भेड़ की तरह समझदारी दिखा कर पहले ही जांच परख कर के ही किसी को कर्जा या कोई वस्तु देनी चाहिए जिससे वह वस्तु हमें वापस मिल सके।


याद रखिए दो काले रंग मिलकर एक सफेद रंग कभी नहीं बनाते हैं।


ये उत्तम कहानियां भी पढ़िए..

कहानी : कल की चिंता

कहानी : कर्मो का फल

कहानी : 4 झघड़ालु भाई


एक टिप्पणी भेजें

और नया पुराने