कहानी : शब्दों की ताकत | Motivational Hindi Story
मेंढकों का एक ग्रुप जब जंगल से यात्रा कर रहा था तब उनमें से दो मेंढक एक गहरे गड्ढे में गिर गए।
जब बाकिके मेंढकों ने देखा कि गड्ढा काफी ज्यादा गहरा है, तो उन्होंने दोनों मेंढकों से कहा कि वे ऐसे गढ्ढे में फस गए है जहां से वो अब मृत्य के बाद ही छुटकारा पा सकेंगे।
गड्ढे में गिरे दोनों मेंढकों ने ग्रुप के सभी मेंढकों की टिप्पणियों को नजरअंदाज कर दिया और अपनी पूरी ताकत से गड्ढे से बाहर निकलने की कोशिश करते रहे।
इस दौरान ग्रुप के सभी मेंढक उन्हें रुकने के लिए कहते रहे, वो कहते रहे कि फालतू मै अपने आप को तकलीफ मत दो शांत बैठो और मौत का इंतजार करो।
अंत में, दोनों मेंढकों में से एक ने ग्रुप के मेंढकों की बात पर ध्यान दिया और हार मान ली। वह नीचे गिर गया और मर गया।
दूसरा मेंढक जितना हो सके उतनी जान लगाकर कूदता रहा।
एक बार फिर, मेंढ़कों की भीड़ ने उस पर चिल्लाया कि अपने आप को कष्ट देना बंद करो और बस मर जाओ।
वह और ज़ोर से कूदा और आखिकार गड्ढे से बाहर निकल आया।
उसके बाहर आने पर अन्य मेंढकों ने उससे कहा, "अच्छा हुआ जो तुमने हमारी बात नहीं मानी वरना तुम्हारा भी अंजाम उस दूसरे मेंढक की तरह ही होता!"
मेंढक ने उन्हें अपने कानो कि कमजोरी बताते हुए कहा कि वह बहरा है।
मेंढ़कों के हावभाव देखकर सोच रहा था कि वे उसे गड्ढे से निकलने के लिए प्रोत्साहित कर रहे थे।
इस कहानी के दो सबक है...
1. जुबान में जीवन और मृत्यु की शक्ति होती है।
किसी मुसीबत में पड़े व्यक्ति के लिए कुछ उत्साहपूर्ण शब्द उसमे नया जोश भर सकते है और वो हर मुसीबत का सामना करने को तैयार हो जाएगा।
2. बिल्कुल उससे विपरीत नेगेटिव या हताशा भरे बोल किसी को भी अपना जीवन समाप्त करने के लिए उक्सा सकते है।
