कहानियां जो सिखाए गहरी बाते
कहानी : मिट्टी और पीतल के मटके
दो मटके,जिसमें से एक मिट्टी का था और दूसरा पीतल का, बाढ़ में एक नदी में बेहते हुए जा रहे थे।
पीतल के मटके ने अपने साथ लेकिन थोड़ी दूरी से बेहते जा रहे मिट्टी के मटके से कहा, " अरे मेरे नाजुक दोस्त इधर आ जाओ,मेरे साथ,मैं तुम्हें इस बाढ़ में लगने वाले झटको से बचा लूंगा|"
"शुक्रिया मेरे दोस्त तुम्हारे दयालु प्रस्ताव के लिए , लेकिन तुम्हारे पास आने से मुझे ज्यादा डर लगता है!" मिट्टी के मटके ने कहां।
पीतल के मटके ने कहा," तुम्हें मुझसे डरने की कोई जरूरत नहीं है और मुझे बताओ भला तुम मेरे पास आने से क्यों डरते हो?"
मिट्टी के मटके ने कहा, "अगर हम दूर दूर रहते हैं तो मुझे बाढ़ से लगने वाले झटके तो लगेंगे, लेकिन मैं किसी तरह उन्हें झेल जाऊंगा और किनारे तक पहुंच जाऊंगा। लेकिन अगर मैं तुम्हारे पास आ गया और गलती से भी तुम मुझ से टकरा गए तो मेरा चकनाचूर हो जाना निश्चित हैं।"
दोस्तों ए छोटी सी कहानी हमें सिखाती है
की हमे बहुत शक्तिशाली लोगों से दूरी बनाकर रखनी चाहिए क्योंकि यदि कोई टक्कर होती है, तो हमारा हश्र भी उसी माटी के मटके की तरह हो सकता है।
कहानी : सच और झूठ
19वीं सदी के किसी एक लेजेंड ने ये कहानी दुनिया सुनाई थी..
इस कहानी मै सच और झूठ को इंसानों की तरह कल्पना किया गया है।
एक दिन सच और झूठ दोनों एक दूसरे से मिलते है। सच को झूठ की मक्कारी के बारे में पता है फिर भी वो उसके साथ बाते करता है।
झूठ सच से कहता है: "आज का दिन कितना सुंदर और आकर्षक है"!
सच आकाश की ओर देखता है और आह भरता है, क्योंकि उस भी वह दिन वास्तव में बहुत सुंदर लगा था।
वे एक दूसरे के साथ बहुत समय बिताते हैं, और आखिरकार एक कुएं के पास पहुंचते हैं।
झूठ सच से कहता है: "पानी बहुत अच्छा और निर्मल है, चलो थोड़ा मजा करते है, साथ में नहाते हैं!"
सच, एक बार फिर संदिग्ध होके पानी का परीक्षण करता है और उसे पता चलता है कि पानी वास्तव में बहुत अच्छा है।
वे दोनों कपड़े उतारते हैं और नहाने लगते हैं।अचानक, झूठ तेज़ी से पानी से बाहर आता है, सच के कपड़े पहनता है और वहां से भाग जाता है।
क्रोधित सच कुएं से बाहर आता है और झूठ को खोजने और अपने कपड़े वापस पाने के लिए हर जगह दौड़ता और झूठ की तलाश करता है।
सच को नग्न देखकर पूरी दुनिया घृणा और क्रोध से अपनी दृष्टि फेर लेती है।
बेचारा सच करता भी क्या ? वो कुएं में लौट आता है और हमेशा के लिए गायब हो जाता है, उसमें छिप जाता है।
तब से, झूठ दुनिया भर में जहा मन करे जाता है, सच के भेस में हर जगह जाता है, समाज की जरूरतों को पूरा करता है, क्योंकि दुनिया, किसी भी मामले में, नग्न सत्य से मिलने की कोई इच्छा नहीं रखती है।
