टीचर और स्टूडेंट्स का रिश्ता खून का नहीं होता लेकिन अच्छे टीचर्स कभी कभी अपने स्टूडेंट्स के लिए इतना कुछ कर जाते है जितना उनके अपने सगे भी नही करते। आज आप ऐसी ही टीचर और स्टूडेंट की खूबसूरत कहानी पढ़ेंगे जो आपके दिल को जरूर छू जायेगी।
टीचर और स्टूडेंट की दिलछुनेवाली कहानी | students aur teacher ki kahani
स्कूल में 20 से ज्यादा टीचर्स थे। लेकिन लता टीचर में कुछ तो खास था, वह बच्चों की सबसे फेवरेट टीचर थी। जहां बाकी टीचर्स क्लास लेते तब बच्चे काफी शोर करते या पढ़ाई में ध्यान ना देते वही बच्चे जब लता टीचर क्लास लेती तब एकदम शांत हो जाते और वो जो भी सिखाती उसमे खो से जाते।
लता टीचर एक बार अपने क्लास के बच्चों को कृतज्ञता यानी कि gartitude के बारे में सिखा रही थी। टीचर ने बोर्ड पर gratitude शब्द लिखा उसके बारे में सभी बच्चों को समझाया और बाद में हर एक बच्चे को एक एक पेपर देकर उस चीज या व्यक्ति की ड्रॉइंग करने के लिए कहा जिनके बारे में बच्चों को लगता हो कि वह उस चीज या व्यक्ति के एहसानमंद है।
8 - 9 साल के सभी बच्चे खुशी खुशी अपने अपने पेपर पर अपने समज के हिसाब से चीजों, जानवरों या इंसानों की ड्रॉइंग करने लगे।
लता टीचर ने खुश और मजे से चित्र बना रहे सभी विद्यार्थियों से कहा कि आपको बहुत मजा आएगा क्योंकि आप जो भी चित्र बनाएं आपको क्लास के सामने दिखाना है और आप क्यों अपने आप को उसके आभारी मानते हैं यह सारे क्लास को बताना है।
तकरीबन 15-20 मिनट बीतने के बाद सभी बच्चों ने पेपर पर चित्र बना लिए थे। लता टीचर ने सब से पूछा बताओ सबसे पहले कौन आकर अपना चित्र क्लास को दिखाएगा? सबसे पहले निता नाम की लड़की अपना चित्र दिखाने के लिए तैयार होकर सबसे उठी। टीचर के पास आकर अपना चित्र दिखाते हुए बोली मैंने कुत्ते का चित्र बनाया है। मैं मेरे घर में जो कुत्ता है उसकी आभारी हु क्योंकि वह मेरा सबसे अच्छा दोस्त है। जब मैं घर रहती हूं तो वह मेरे साथ खेलता है और उसके साथ मुझे बहुत मजा आता है। सारे क्लास ने उसके लिए तालियां बजाई। लता टीचर ने पूरे क्लास को बताया हमें जानवरों के साथ अच्छा व्यवहार करना चाहिए।
दूसरे नंबर पर अनिल नाम का लड़का खड़ा हुआ उसने अपना चित्र दिखाते हुए कहा कि मैं अपने आंगन में लगे उन 3 पेड़ों का आभारी हूं जो मुझे और मेरी फैमिली को ऑक्सीजन देते हैं। लता टीचर ने उसे शाबाशी दी और सारे क्लास को यह बताया कि हमें सिर्फ उन 3 पेड़ों के नहीं बल्कि पृथ्वी के सारे पेड़ों के एहसानमंद होना चाहिए।
यह सिलसिला चलता रहा किसी बच्चे ने चॉकलेट का चित्र बनाया था तो किसी ने अपने खिलौनों का। जितने मासूम वह बच्चे थे उतने ही मासूम उनके विचार थे। सभी को बहुत मजा आ रहा था।
लता टीचर की नजर अजय पर पड़ी जो चुपचाप अपना चित्र हाथ में लिए शांत बैठा था। शायद वह नर्वस था और क्लास के आगे नहीं आना चाहता था। लता टीचर ने अजय को अपने पास बुलाया उसका हौसला बढ़ाया और उसे अपना चित्र क्लास के आगे दिखाने के लिए कहा।
अजय ने पेपर में बनी हाथ की ड्राइंग पूरे क्लास को दिखाई लेकिन कुछ भी नहीं कहा। तब लता टीचर ने क्लास के बाकी बच्चों से कहा कि चलो तुम सब guess करो कि यह हाथ किसका हो सकता है ? अजय बताएगा कि आपका जवाब सही हो या नहीं।
एक बच्ची ने जवाब दिया कि यह हाथ पुलिस वालों का होगा क्योंकि पुलिस वाले हमारी रक्षा करते हैं। अजय ने ना में सिर हिलाया।
दूसरे बच्चे ने कहा कि," यह हाथ भगवान का हो सकता है। क्योंकि भगवान के तो सभी आभारी होते हैं।" अजय ने फिर से ना कहा। अगले बच्चे ने कहा," यह हाथ अजय का है क्योंकि वो अपने हाथों का आभारी है।"अजय ने उसे भी ना कहा।
जब कोई भी गैस नहीं कर पाया कि यह हाथ किसका हो सकता है तब लता टीचर ने अजय से ही पूछा कि अब तुम ही बताओ बेटा यह किसका हाथ है?
अजय उस चित्र को टीचर की और दिखाता है और कहता है," टीचर ये आपका हात हैं! मैंने आपका हात इसलिए ड्रॉ किया है क्योंकि आपने हमेशा इन हाथो से मुझे कुछ ना कुछ नया सिखाया है। जब एक बार में झूले से गिरने वाला था तब आपके इन्ही हाथो ने मुझे गिरने से बचाया था। जब में अपना होमवर्क ठीक से करता था तो आप इन्ही हाथो से मेरे सिर पर हाथ रख मुझे शाबाशी और आशीर्वाद देती थी और जब भी मैं किसी भी कारण से रोता तो आप इन्ही हाथो से मेरे आंसू पोछती इसलिए मैं आपके हाथो का आभरी हूं।"
अजय की बाते सुन लता टीचर की आंखे भीग गई और उन्होंने अजय के सर पर प्यार से हाथ घुमाया और उसे गले लगा लिया।
दोस्तों दुनिया में सभी लोग समान है । सभी को एक समान सिर,पैर,आंखे,कान,नाक और बाकी के अंग है लेकिन जो सबके पास अलग अलग है वो है लोगो की सोच, उनका स्वभाव ।
ये स्वभाव ही है जो लता टीचर को बच्चो को उनका फेवरेट बना देता है और बाकी के टीचर्स को नहीं।
दोस्तों..ये टीचर और स्टूडेंट की दिलछुनेवाली कहानी (students aur teacher ki kahani) पढ़कर आपको भी अपने उस टीचर की याद जरूर आई होगी जिन्होंने आपको पढ़ाई में या अन्य किसी चीज में दिल से सहायता की होगी। अगर आप अपने आप को उनका एहसानमंद मानते है तो ज्यादा सोचिए मत, फोन उठाइए और उन्हें थैंक्यू बोल दीजिए मैं दावे के साथ के सकता हू की उन्हें जितना अच्छा लगेगा उतना ही सुकून आपको भी अंदर से मिलेगा।
