सर्वश्रेष्ठ प्रेरक कहानी | Best Motivational Story

 सर्वश्रेष्ठ प्रेरक कहानी | Best Motivational Story 


कई दिनो बाद आपके लिए एक बेहतरीन Motivational Kahani लेकर आया हु।उम्मीद है इसे पढ़कर आपके जीवन में कोई positive बदलाव आएगा। आइए पढ़ते है कहानी को...


सर्वश्रेष्ठ प्रेरक कहानी | Best Motivational Story



एक गांव में दो बच्चों में दोस्ती थी। यह दोस्ती थोड़ी अनोखी थी क्योंकि ज्यादातर हमउम्र बच्चों में दोस्ती होती है लेकिन इन दोनों बच्चों की उम्र में काफी ज्यादा अंतर था। एक बच्चा 12 साल का था तो दूसरा सिर्फ 6 साल का।


दोनों की दोस्ती इतनी पक्की थी कि दोनों दिन के आठ 10 घंटे साथ में बिताते थे। साथ में खेलते, साथ में घूमते,साथ में खाना खाते थे और साथ में आराम करते। 


बच्चे तो बच्चे होते हैं, 1 दिन दोनों को कुछ भी करने में मजा नहीं आ रहा तो जब बोरियत ज्यादा होने लगी तो उन्होंने मन बनाया कि गांव से दूर खेतों के पास घूमने के लिए जाया जाए।


विचार आने की ही देरी थी और पहुंच गए दोनों हंसते खेलते गांव से दूर  खेतो के पास। खेतो के पास पहुंचकर दोनों बड़े खुश हुए। वे इधर उधर भागने लगे,उछल कूद करने लगे। अपनि ही मस्ती में दोनों ऐसे खो गए कि उन्हें ध्यान ही नहीं रहा के खेतों के पास के कुआं भी है! बड़ा 12 साल का बच्चा गलती से उस कुएं में खेलते-खेलते गिर गया। 


जैसे ही वो कुवे में गिरा  बहुत डर गया और मदद मांगने के लिए बचाओ बचाओ चिल्लाने लगा। 6 साल का छोटा बच्चा अपने दोस्त को कुएं में गिरा देखकर और भी ज्यादा डर गया। वह इधर उधर भागने लगा ताकि किसी को मदद के लिए बुला सके लेकिन वहां पर कोई भी नहीं था। जब वह मदद के लिए लोगों को तलाश कर रहा था तब उसे याद आया कि उस कूवे के पास पानी निकालने के लिए एक बाल्टी है जिसके साथ एक रस्सी बंधी हुई है।


बच्चा तुरंत कुवै के नजदीक आया, उसने उस रस्सी और बाल्टी को कुएं में फेंका और अपने दोस्त से कहा कि तुम उस बाल्टी को पकड़ लो मैं तुम्हें ऊपर खींच लूंगा। 12 साल के बच्चे ने बाल्टी को कसकर पकड़ लिया और 6 साल का बच्चा उसे अपनी पूरी ताकत लगाकर खींचने लगा! वह खींचता रहा,खींचता रहा जब तक कि अपने दोस्त को कुएं से बाहर नहीं निकाल लिया।  12 साल का बच्चा जैसे ही बाहर निकला अपने 6 साल के दोस्त को देख कर काफी भावुक हो गया और उसके गले से लगकर फूट फूट कर रो पडा।


जब वे दोनों अपने गांव वापस लौटे तबतक काफी देर हो गई थी इसलिए उनके परिवार और बाकी सारे लोग मिलकर उनको खोज रहे थे। उन्हे वापिस आता देख सभी लोग एक जगह एकत्रित हो गए और उन्हें पूछने लगे की वो इतनी देर कहा थे?


दोनों बच्चो ने जब सब को अपनी आपबीती बताई तो वहां हाजिर सभी लोग उन पर हंसने लगे,उनका मजाक उड़ाने लगे। कोई भी यह मानने के लिए तैयार नहीं था कि एक 6 साल के बच्चे ने अपने से 2 गुना वजन और उम्र वाले बच्चे को कुवे से खींच कर निकाला होगा। ऐसा कोई कर ही नहीं सकता यह तो बिल्कुल असंभव चीज है। कुछ लोगो ने कहा कि अच्छा मजाक कर लेते हो और कुछ ने कहा इतना झूठ भी नहीं बोलना चाहिए।


वहां पर जितने भी लोग थे उनमें से कोई भी उन बच्चों का विश्वास करने के लिए तैयार नहीं था सिवा एक बुजुर्ग आदमी के। यह बुजुर्ग आदमी इस गांव का सबसे समझदार आदमी था। यह बुजुर्ग अपने अनुभव के दम पर जो भी बात लोगों को समझाता लोग उसे अच्छी तरह से समझ जाते थे।


बुजुर्ग ने वहां सभी लोगों को समझाते हुए कहा कि यह बच्चे झूठ नहीं बोल रहे हैं। कौन कहता है इस 6 साल के बच्चे ने 12 साल के बच्चे को कुवे नहीं निकाला होगा। यह संभव है और ऐसा इसलिए संभव है क्योंकि वहां यह दोनों अकेले थे। वहां पर इस छोटे बच्चे को यह कहने वाला कोई नहीं था कि तुम नहीं कर सकते।


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लोगों को भी एहसास हुआ कि शायद उन्हें अगर कोई हतोत्साहित करता तो शायद यह चमत्कार संभव ना होता। सभी लोगों ने उस छोटे बच्चे की वाहवाही की और उसे बहादुरी का पुरस्कार देकर सम्मानित किया।


प्रेरक कहानी की सिख |  Moral of the story 


दोस्तों, यह कहानी सिर्फ उस 6 साल के छोटे बच्चे की नहीं है। यह कहानी है आपकी, मेरी और हर उस इंसान की जो कोई भी काम करने से पहले बहुत ज्यादा सोचता है और उस काम को करने से पहले ही हार मान लेता है। हमें भी उस छोटे 6 साल के बच्चे की तरह एटीट्यूड के साथ काम करना चाहिए। अपना पूरा जी जान लगाकर काम शुरू कर देना चाहिए। ज्यादा से ज्यादा क्या होगा? हम उस काम में असफल होंगे लेकिन इतना जरूर ध्यान रखिएगा कि हर असफल काम भी हमें कोई नई सीख देकर जाता है और हम हर असफल काम के बाद एक बेहतर इंसान बनकर उभरते हैं।

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