चयन : प्रेरणादायक कहानी | preranadayak story

चयन : प्रेरणादायक कहानी | preranadayak story 


"मैंने उसे ईट का जवाब पत्थर से दिया।", "अच्छा हुआ जैसे को तैसा मिला।" यह कुछ वाक्य है जो बताते हैं कि किसी व्यक्ति ने सामने वाले व्यक्ति से वैसा ही या उससे भी बुरा व्यवहार किया होगा जैसा सामने वाले व्यक्ति ने उसके खुद के साथ किया होगा।


चयन : प्रेरणादायक कहानी | preranadayak story



यानी कि बुरे शब्दों के बदले उससे भी ज्यादा बुरे शब्द कहना। हिंसा के बदले और ज्यादा हिंसा करना। बदला लेना। दोस्तों गांधीजी ने एक बार कहा था की आंख के बदले आंख ली जाएगी तो पूरा देश अंधा हो जाएगा।


 बदला लेने का सिलसिला कभी नहीं थमता और बदला लेने से या हिंसा करने से किसी का भी कोई फायदा नहीं होता।

इन सब बातों को बताते हुए मुझे एक कहानी याद आ रही है आइए पढ़ते हैं और इस बात को और भी गहराई से समझते हैं।



जापान में किसी एक गांव में एक बहुत ही ज्ञानी और समझदार जेन मास्टर रहा करते थे। लोग बड़ी दूर दूर से उनके दर्शन और अपनी समस्याओं का हल पाने के लिए उनकी सलाह लेने आया करते थे।


जब कोई व्यक्ति प्रख्यात हो जाता है तो उसके चाहने वालों की तादाद बढ़ जाती है लेकिन यह बात भी सच है कि उसके विरोधी भी पैदा हो जाते हैं।


1 दिन मास्टर अपने एक अनुयाई के साथ सुबह-सुबह गांव में सेर करने के लिए निकलते हैं। अचानक जेन मास्टर का एक विरोधी उनके सामने आकर खड़ा हो जाता है। विरोधी न जाने किस बात से गुस्सा है वह जेन मास्टर के सामने खड़ा होकर उनके मुंह पर ही उनको बहुत बुरा भला कहता है।


जेन मास्टर अपने उस विरोधी की आंखों में देखते हैं, उसके कड़वे शब्द सुनते हैं लेकिन उनके चेहरे के हाव भाव से ऐसा बिल्कुल भी नहीं दिखाई देता कि उन्हें उसकी बातों का बुरा लग रहा हो, उल्टा वह अपने विरोधी के तरफ देख कर मुस्कुराने लगते हैं!


जेन मास्टर की ऐसी प्रतिक्रिया देखकर विरोधी और भी ज्यादा चीड़ जाता है और वह अब सीधे उनको गालियां देने लगता है।


अपने गुरु के बारे में ऐसे अपशब्द सुन अनुयाई का  खून खौल उठता है। अनुयाई उसे जवाब देने ही वाला होता है कि जैन मास्टर उसे रोक लेते हैं और चुप रहने के लिए कहते हैं और अपने विरोधी की तरफ देखकर फिर से मुस्कुराने लगते हैं।


विरोधी ये देख कर हैरान और परेशान हो जाता है कि उसकी बातों का जैन मास्टर पर कुछ भी असर नहीं हो रहा है और अंत में वह निराश होकर वहां से चला जाता है।


उसके जाने के बाद जैन मास्टर के अनुयाई उनसे पूछता है - गुरुजी आपने उस नीच आदमी को पलट कर जवाब क्यों नहीं दिया और मुझे भी क्यों रोक लिया?


जेन मास्टर इस बार भी कुछ नहीं बोलते वह अपने अनुयाई की तरफ देख कर मुस्कुरा देते हैं और चलते रहते हैं। चलते-चलते वे दोनों जैन मास्टर के आवास तक पहुंच जाते हैं। जेन मास्टर अपने अनुयाई को अपने कमरे के बाहर खड़े रहने के लिए बोलते हैं और अंदर जाकर थोड़ी देर बाद पुराने गंदे कपड़े लेकर अपने अनुयाई को देते हैं और कहते हैं इसे पहन लो।


अनुयाई जैसे ही उन कपड़ों को अपने हाथ में लेता है तो उनसे आ रही भयानक बदबू उसे सहन नहीं होती और वह कपड़ों को दूर फेंक देता है। अनुयाई जेन मास्टर से कहता है कि माफ कीजिए गुरू जी, मैं इन्हें नहीं पहन सकता। इतने घिनौने कपड़े आप भला मुझे क्यों पहने के लिए कह रहे हैं?


जेन मास्टर अपने अनुयाई को बताते हैं कि जो तुमने अभी किया है वही तो मैंने भी उस विरोधी के साथ किया था। उसने जो भी घिनौने शब्द मुझे दिए थे मैंने उन्हें नहीं लिए अगर मैं उन्हें ले लेता तो उनका असर तुम्हें मेरे हाव भाव और मेरे चेहरे पर नजर आता। ठीक वैसे ही जैसे इन बदबूदार कपड़ों को पहनकर तुमसे भी बदबू आने लगती उसी तरह अगर मैं उसके अपशब्द ग्रहण कर लेता तो मेरे अंदर से गुस्सा आने लगता।


अनुयाई को अपने गुरु की बात अच्छे से समझ में आ गई और उसको उस दिन यह विश्वास हो गया कि उसने जो गुरु चुना है वह सबसे श्रेष्ठ है।


Preranadayak kahani sangrah


दोस्तों, हम अपने जीवन में भी इस मास्टर की बात को अप्लाई कर सकते हैं हमे दुनिया से अच्छी और बुरी दोनो तरह की चीज़े मिल सकती है लेकिन ये पूरी तरह से हमारे ऊपर है की हम क्या लेना चुनते है और क्या नहीं लेना!

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