शिक्षक और विद्यार्थी की दिलछुनेवाली कहानी | Student Teacher Heart Touching Story
बहुत-बहुत धन्यवाद। आज सक्सेसफुल इंडस्ट्री 2023 यह पुरस्कार देकर आपने मेरा सम्मान किया है उसके लिए आप लोगों को मैं मन से धन्यवाद करता हूं। वैसे देखा जाए तो इस पुरस्कार का मैं अकेला हकदार नहीं हूं। मैं यहां तक पहुंच पाया इसके पीछे बहुत लोगों का हाथ है और भगवान का आशीर्वाद भी।
मेरे मां पापा ने मैं अच्छी पढ़ाई करके बड़ा आदमी बन सकूँ इसके लिए उन्होंने जो मेरे लिए कष्ट लिए थे वह मैं कभी नहीं भूलूंगा। मेरे सभी दोस्तों ने मुझे दिया हुआ प्रोत्साहन और वक्त पड़ने पर आर्थिक और हर तरह से कितनी मदद की थी उसका मै अंदाजा भी नहीं लगा सकता।
वैसे ही शादी के बाद मुझे मेरी पत्नी ने दी हुई साथ इसके लिए तो मेरे पास शब्द ही नहीं है। उसने पूरे घर की, मां पापा की और बच्चों की जिम्मेदारी अकेली ने उठाई। उसकी वजह से मैं यहां तक पहुंच पाया वरना यह सब मुझसे होता ही नहीं।
लेकिन दोस्त, पत्नी तकदीर का हाथ और भगवान का मिला हुआ साथ इसके अलावा ज्यादा इस कामयाबी मे तो वह मेरे सातवीं और दसवीं कक्षा के शिक्षक श्री अभिजीत सर वो अगर मेरे जिंदगी में नहीं आए होते तो भगवान को ही पता की यहां तक पहुंच भी पाता या नहीं? सच कहें तो सातवीं तक में होशियार विद्यार्थी नहीं था लेकिन फर्स्ट क्लास विद्यार्थी जरूर था। लेकिन आठवीं और नौवीं में गलत दोस्तों की संगत में रहकर मुझे परीक्षा में मिलने वाले मार्क्स बहुत कम आने लगे। यह बात अभिजीत सर के ध्यान में आई। उन्होंने मुझे बहुत समझाया लेकिन में नवी कक्षा के छमाही परीक्षा में दो विषय में फेल हो गया।
मां पापा भी मेरा रिजल्ट देख कर मुझ पर चिल्लाए। मुझे पढ़ाई करनी जरुरी है समझा समझा कर थक गए लेकिन मुझ में कोई सुधार नहीं आया।
इंसान अगर गलत रास्ते पर भटक जाए तो फिर सही मार्ग पर चलने की कोशिश बहुत कम हो जाती है क्योंकि वह गलत मार्ग सही है ऐसे उसको लगने लगता है लेकिन मेरे साथ ऐसा नहीं हुआ। अभिजीत सर मुझे सही मार्ग पर ले आए। कुछ ऐसा हुआ कि मैं नववी पास हो जाऊंगा मुझे खुद पर विश्वास भी नहीं था।
लेकिन अभिजीत सर को उस वक्त भी मेरे में पोटैशियल दिख रहा था। 1 दिन पीटीके क्लास में हम सब लड़के मैदान पर इकट्ठा हुए उस वक्त मुझे पीछे से किसी की आवाज सुनाई दी। अभिजीत सर और हमारे प्रिंसिपल पांडे सर यह मेरे विषय में कुछ बातें कर रहे थे ऐसा मुझे लगा। मैं उनकी बातें गौर से सुनने लगा। प्रिंसिपल पांडे सर बोल रहे थे कि अभिजीत सर मेरी सुनो सिद्धार्थ के लिए अपने विद्यालय का नाम खराब मत करो। नवी में पास हो रहा होगा तब भी उसे फेल कर दो। क्योंकि उसके नसीब से वह नवी पास हो भी गया तब भी वह दसवीं में फेल हो ही जाएगा, इसकी मुझे गारंटी है!
तभी अभिजीत सर पांडे सर को बोले सर मुझ पर विश्वास करो। अभी जरूर सिद्धार्थ दो विषय में फेल हुआ होगा लेकिन वह दसवीं की पढ़ाई अच्छे से करके अच्छे नंबरों के साथ पास हो जाएगा। उसमें बहुत पोटेंशियल है सर। अभिजीत सर का मुझ पर इतना विश्वास देखकर पांडे सर ने अभिजीत सर से एक शर्त लगाई। अभिजीत सर अगर आपको सिद्धार्थ पर इतना विश्वास है तो फिर ठीक है लेकिन वह अगर दसवीं में फेल होगा और उसकी वजह से हमारे विद्यालय का रिजल्ट खराब आया तो आपको आपके ओवरकॉन्फिडेंस की सजा समझ कर खुद इस्तीफा देकर इस विद्यालय को छोड़ना होगा। बोलो मंजूर है आपको अभिजीत सर?
अभिजीत सर ने एक पल भी नहीं सोचा और पांडे सर की शर्त स्वीकार कर ली। और दोनों बातें करते-करते वहां से निकल गए। अभी मुझे मुझसे ही शर्म आने लगी। जो मां-बाप को मुझसे उम्मीदें थी जिस सर को मुझ पर इतना विश्वास है उनकी इच्छा और विश्वास के पात्र रहने के लिए मैं कुछ नहीं कर पा रहा हूं इसकी मुझे शर्म आने लगी। और उस दिन से मैं पढ़ाई करने लगा! रात-दिन एक करके मैं नवी तो पास हो गया लेकिन 10वीं में भी खूब मन लगाकर पढ़ाई करके अच्छे पेपर लिखें, रिजल्ट का दिन आया तब मेरे दिल की धड़कन बढ़ने लगी। मैं पास तो हो जाऊंगा ना इससे ज्यादा मुझे अभिजीत सर की नौकरी आज रहेगी या नहीं इसकी ज्यादा टेंशन थी।
रिजल्ट लेने मैं विद्यालय गया और मार्कशीट में 80% मार्क्स देख कर मैं वहीं पर नाचने लगा। मां पापा भी बहुत खुश हुए। मैं भागते भागते प्रिंसिपल ऑफिस की तरफ गया। अभिजीत सर और पांडे सर वहीं पर थे। मैंने अभिजीत सर को जोर से गले लगाया और उनको बोला मैंने आपकी नौकरी नहीं जाने दी सर,नहीं जाने दी।
मेरे वह शब्द सुनकर दोनों मैं क्या बोल रहा हूं यह समझ पाए उसके पहले मैं बोला सर आपने पांडे सर की शर्त स्वीकार की थी अगर मैं 10वीं फेल हो गया तो और मेरी वजह से विद्यालय का रिजल्ट खराब आया तो आप इस्तीफा देकर यह विद्यालय छोड़ देंगे। यह सुनकर अभिजीत सर और पांडे सर दोनों ही जोर जोर से हंसने लगे और पांडे सर मुझे बोले तू वह सब अभी तक भुला नहीं है? अरे ऐसा कभी हुआ है क्या कि एक विद्यार्थी फेल हुआ हो और उसकी शिक्षा उसके शिक्षक को इस्तीफा देकर चुकानी पड़े … अरे वह अभिजीत सर का ही आईडिया था। उन्होंने ही मुझे ऐसी शर्त रखने के लिए कहा था। हम जानबूझकर तुम्हें हमारी बातें सुना सके इतने नजदीक खड़े होकर सब बोल रहे थे। और उनको चाहिए वैसा रिजल्ट उनको मिले तो यह सब सुनकर तू अच्छे से मन लगाकर पढ़ाई करने लगे यह सब उन का प्लान था। और उनका प्लान सक्सेस भी हुआ। तुमने दसवीं कक्षा में अच्छे नंबरों से पास हो कर दिखाया मुझे फक्र है तुम पर।
ऐसे अच्छे शिक्षक और उत्तम विद्यार्थी वाले विद्यालय का में प्रिंसिपल हूं। पांडे सर कि वह बाते सुनकर मेरी आंखें भर आई। ऐसे शिक्षक मुझे मिलने की वजह से मैं यहां तक का रास्ता चल पाया। यह सब सिद्ध कर पाया वह बोलते हैं ना कि अच्छा गुरु मिला तो शिष्य का जीवन सोना कर देता है। यह बात सच है। शिक्षक यह सिर्फ खुद का संसार चलाने के लिए पैसे कमाता है इस उद्देश्य से नहीं पढ़ाता है बल्कि वह एक अच्छा समाज बनाने का कार्य करता है और जब तक ऐसे शिक्षक हमारे देश में हैं तब तक हमारे देश का भविष्य उज्जवल रहेगा। इसमें मुझे थोड़ा सा भी शक नहीं है।
आज अभिजीत सर हमारे साथ नहीं है लेकिन वह जहां भी होंगे वहां से जरूर यह प्रोग्राम देख रहे होंगे। तो कृपा करके सब खड़े होकर अभिजीत सर को स्टैंडिंग ओवेशन देकर उनका सम्मान करें ऐसी मेरी इच्छा है।
सब लोग खड़े होकर तालियों की आवाज करते हुए एक सुंदर प्रोग्राम का अंत करते हैं।
दिल में उतर जानेवाली नई नई कहानियां हम डेली पोस्ट करते रहते है और साथ ही ये कहानियां हमारे व्हाट्सएप ग्रुप पर भी शेयर की जाती है, आप चाहो तो इस ग्रुप से जुड़ सकते है।
पढ़े अगली इमोशनल कहानी
