एक दिन एक कौवा और उसका बेटा पेड़ पर बैठे थे। कौवे का बेटा उसके पिता को बोला पापा मैंने आज तक सभी प्रकार की मछली खाई है ,पर दो पेर वाले इंसान का मांस कभी भी नहीं खाया है। पापा कैसा स्वाद होता है इस दो पैरों पैरों वाले जीव के मांस का?
कौवा बोला आज तक मैंने जीवन में तीन बार इंसान का मांस खाया है। बहुत स्वादिष्ट होता है। बेटा कौवा तुरंत जिद करने लगा कि वह भी इंसान का मांस खाना चाहता है।
पिता कौवे ने कहा ठीक है लेकिन तुम्हें कुछ देर इंतजार करना होगा और जैसा मैं कहता हूं वैसा ही तुम्हें करना होगा। मेरे पालक पिता ने मुझे यह तरकीब सिखाई है जिससे हमें भोजन प्राप्त करने में मदद मिलेगी।
बेटा कौवा ने हा कहा। तब पिता कव्वे ने बच्चे को एक स्थान पर बिठाया और वह कही पर उड़ गया। थोड़ी देर बाद जब वो लोट कर आया तो उसकी चोंच में मास के दो टुकड़े थे।
उसने एक टुकड़ा अपने मुंह में रखा और दूसरा टुकड़ा बच्चे के मुंह में दे दिया। टुकड़ा मुंह में लेते ही बेटा कौवा बोला कि पापा यह कैसा दुर्गंध युक्त मास ले आए हो आप? ऐसा खाना मुझे नहीं खाना।
पिता कव्वे ने कहा कि रुको वो टुकड़ा खाने के लिए नहीं बल्कि फेंकने के लिए है! इस एक टुकड़े को लेकर अब हम मास का ढेर बनाने वाले हैं। कल तक इंतजार करो देखना तुम्हें मांस ही मांस खाने के लिए मिलेगा और वह भी इंसानों का!
बेटा कव्वे को कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि,एक मांस के टुकड़े से मांस का ढेर कैसे बनेगा? लेकिन उसे अपने पिता पर भरोसा था। थोड़ी देर बाद पिता कव्वे ने एक टुकड़ा लिया और आकाश में उड़ गया और उस टुकडे को एक मंदिर में फेंक दिया!
कव्वा वापस आया और दूसरा टुकड़ा उठाया और दूसरा टुकड़ा एक मस्जिद के अंदर फेंक दिया! फिर वह आकर पेड़ पर बैठ गया।पिता कौवा ने बेटे से कहा अब देखना कल सवेरे तक इंसानों का मांस खाने को जरूर मिलेगा!
कुछ देर बाद हर तरफ अफरा-तफरी मच गई, ना कोई किसी की सुन पा रहा था और ना ही कोई किसी को सुन रहा था। केवल धर्म के ही बारे में आवजे उठ रही थी। धर्म के नाम पर खून बहाया जा रहा था। माता, पुत्र,बहन, भाई, पिता, चाचा, पड़ोसी, दोस्त, बिना किसी संबंध पर विचार किए धर्म को देखकर ही एक दूसरे पर आक्रमण कर रहे हैं। दोनों समूह कह रहे थे कि हमारे धर्म का अपमान हुआ है और बदला लेना चाहिए। और इसमें बेकसूर लोग भी मारे गए थे। बहुत समय इसी में ही बीत चुका था।
अब तक गांव शांत होने लगा था। जो कि सड़क पर सिर्फ खून ही खून था। खास बात यह है कि खून का रंग लाल था और उसमें धर्म का कोई रंग नहीं था । वह एक ही धर्म का पालन करते थे वह तरलता का था। गांव बिना इंसानों के सुनसान हो गया। हर तरफ एक भयानक सन्नाटा छाया हुआ था।
इस चक्र में केवल 2 प्राणी जीवित रहे वह पेड़ पर बैठे कव्वे थे। अब कव्वे का बच्चा इंसानों का शिकार करना सीख गए था। कौवे के बेटे ने अपने पिता से प्रश्न पूछा क्या हमेशा ऐसा ही होता है पापा? हम झगड़े पैदा करते हैं और लोगों को पता कैसे नहीं चलता?
पिता कव्वें ने कहा कि यह मूर्ख लोग कभी अपना धर्म नहीं जानते। इंसानियत पीछे रह जाती है और वह जो नहीं करना चाहिए वह करते हैं! और हम जेसे एल उन का फायदा उठाते हैं! उन्हें इस बात की भनक तक नहीं लगती।
उन्होंने मनुष्य के रूप में जीने के बजाय जाति और धर्म पर सब खो दिया है और मुनाफा कोई और तीसरा पक्ष ले लेता है। कोई आकर भड़काऊ भाषण देता है और यह लोग उसे सुनते हैं! और आपस में लड़ते हैं। मांस का एक टुकड़ा सालों की उनकी दोस्ती को तोड़ देता है! वे एक दूसरे को मार डालते हैं! और मुझे नहीं लगता कि वह भविष्य में भी पर्याप्त बुद्धिमान होंगे! यह कह कर दोनों बाप बेटा मांस खाने के लिए उड़ गए।
एक दिन एक कौवा और उसका बेटा पेड़ पर बैठे थे। कौवे का बेटा उसके पिता को बोला पापा मैंने आज तक सभी प्रकार की मछली खाई है ,पर दो पेर वाले इंसान का मांस कभी भी नहीं खाया है। पापा कैसा स्वाद होता है इस दो पैरों पैरों वाले जीव के मांस का?
कौवा बोला आज तक मैंने जीवन में तीन बार इंसान का मांस खाया है। बहुत स्वादिष्ट होता है। बेटा कौवा तुरंत जिद करने लगा कि वह भी इंसान का मांस खाना चाहता है।
पिता कौवे ने कहा ठीक है लेकिन तुम्हें कुछ देर इंतजार करना होगा और जैसा मैं कहता हूं वैसा ही तुम्हें करना होगा। मेरे पालक पिता ने मुझे यह तरकीब सिखाई है जिससे हमें भोजन प्राप्त करने में मदद मिलेगी।
बेटा कौवा ने हा कहा। तब पिता कव्वे ने बच्चे को एक स्थान पर बिठाया और वह कही पर उड़ गया। थोड़ी देर बाद जब वो लोट कर आया तो उसकी चोंच में मास के दो टुकड़े थे।
उसने एक टुकड़ा अपने मुंह में रखा और दूसरा टुकड़ा बच्चे के मुंह में दे दिया। टुकड़ा मुंह में लेते ही बेटा कौवा बोला कि पापा यह कैसा दुर्गंध युक्त मास ले आए हो आप? ऐसा खाना मुझे नहीं खाना।
पिता कव्वे ने कहा कि रुको वो टुकड़ा खाने के लिए नहीं बल्कि फेंकने के लिए है! इस एक टुकड़े को लेकर अब हम मास का ढेर बनाने वाले हैं। कल तक इंतजार करो देखना तुम्हें मांस ही मांस खाने के लिए मिलेगा और वह भी इंसानों का!
बेटा कव्वे को कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि,एक मांस के टुकड़े से मांस का ढेर कैसे बनेगा? लेकिन उसे अपने पिता पर भरोसा था। थोड़ी देर बाद पिता कव्वे ने एक टुकड़ा लिया और आकाश में उड़ गया और उस टुकडे को एक मंदिर में फेंक दिया!
कव्वा वापस आया और दूसरा टुकड़ा उठाया और दूसरा टुकड़ा एक मस्जिद के अंदर फेंक दिया! फिर वह आकर पेड़ पर बैठ गया।पिता कौवा ने बेटे से कहा अब देखना कल सवेरे तक इंसानों का मांस खाने को जरूर मिलेगा!
कुछ देर बाद हर तरफ अफरा-तफरी मच गई, ना कोई किसी की सुन पा रहा था और ना ही कोई किसी को सुन रहा था। केवल धर्म के ही बारे में आवजे उठ रही थी। धर्म के नाम पर खून बहाया जा रहा था। माता, पुत्र,बहन, भाई, पिता, चाचा, पड़ोसी, दोस्त, बिना किसी संबंध पर विचार किए धर्म को देखकर ही एक दूसरे पर आक्रमण कर रहे हैं। दोनों समूह कह रहे थे कि हमारे धर्म का अपमान हुआ है और बदला लेना चाहिए। और इसमें बेकसूर लोग भी मारे गए थे। बहुत समय इसी में ही बीत चुका था।
अब तक गांव शांत होने लगा था। जो कि सड़क पर सिर्फ खून ही खून था। खास बात यह है कि खून का रंग लाल था और उसमें धर्म का कोई रंग नहीं था । वह एक ही धर्म का पालन करते थे वह तरलता का था। गांव बिना इंसानों के सुनसान हो गया। हर तरफ एक भयानक सन्नाटा छाया हुआ था।
इस चक्र में केवल 2 प्राणी जीवित रहे वह पेड़ पर बैठे कव्वे थे। अब कव्वे का बच्चा इंसानों का शिकार करना सीख गए था। कौवे के बेटे ने अपने पिता से प्रश्न पूछा क्या हमेशा ऐसा ही होता है पापा? हम झगड़े पैदा करते हैं और लोगों को पता कैसे नहीं चलता?
पिता कव्वें ने कहा कि यह मूर्ख लोग कभी अपना धर्म नहीं जानते। इंसानियत पीछे रह जाती है और वह जो नहीं करना चाहिए वह करते हैं! और हम जेसे एल उन का फायदा उठाते हैं! उन्हें इस बात की भनक तक नहीं लगती।
उन्होंने मनुष्य के रूप में जीने के बजाय जाति और धर्म पर सब खो दिया है और मुनाफा कोई और तीसरा पक्ष ले लेता है। कोई आकर भड़काऊ भाषण देता है और यह लोग उसे सुनते हैं! और आपस में लड़ते हैं। मांस का एक टुकड़ा सालों की उनकी दोस्ती को तोड़ देता है! वे एक दूसरे को मार डालते हैं! और मुझे नहीं लगता कि वह भविष्य में भी पर्याप्त बुद्धिमान होंगे! यह कह कर दोनों बाप बेटा मांस खाने के लिए उड़ गए।
दोस्तों, कहानी चतुर कव्वे और मूर्ख इंसानों की | Moral Story पढ कर आपने क्या सीखा अपनी प्रतिक्रिया जरूर दे और ऐसी ही कहानियां पढ़ने के लिए
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