कद्र करना सीखो : भगवान बुद्ध की प्रेरक कहानी | Motivational Story

 कद्र करना सीखो : भगवान बुद्ध की प्रेरक कहानी | Motivational Story एक बेहतरीन कहानी है जो आपको तो पढ़नी ही चाहिए साथ ही साथ अपने बच्चो को भी बतानी चाहिए ताकि कुछ मूलभूत संस्कार उनके अंदर विकसित हो सके।


कद्र करना सीखो : भगवान बुद्ध की प्रेरक कहानी | Motivational Story 


कद्र करना सीखो : भगवान बुद्ध की प्रेरक कहानी | Motivational Story



भगवान बुद्ध के लाखों अनुयाई थे। इन्हीं में से एक पिछले कई सालों से रोजाना उनके आश्रम में जाया करता था। उनके प्रवचन सुना करता था, ध्यान लगाया करता और वापस चला जाता। यह सिलसिला ऐसा ही चलता रहा।


 मगर एक दिन यह अनुयाई आश्रम नहीं आया और उसके बाद उसने आश्रम में जाना ही छोड़ दिया।


बाकी कई लोगों की तरह बुद्ध ने भी यह महसूस किया कि उसका नियमित आने वाला अनुयाई किसी वजह से अब आना बंद हो गया है। इस बात को कई दिन बीत गए।


1 दिन बुद्ध अपनी भिक्षा मांग कर एक गांव के रास्ते से गुजर रहे थे। यह गांव दरअसल उसी अनुयाई का था जिसने अब आश्रम में आना छोड़ दिया था। 


बुद्ध उस अनुयाई के घर की तरफ चल दिए। जब उसके घर के पास पहुंचे तब वह अनुयाई अपने घर के आंगन में कुछ काम कर रहा था।


बुद्ध को देखते ही वह उनके पास आया उन्हें प्रणाम किया और उन्हें बैठने के लिए आंगन के चबूतरे पर चटाई बिछा दी। बुद्ध चटाई पर आराम से बैठ गए और अनुयाई से बात करने लगे।


बुद्ध ने पहले उस अनुयाई के स्वास्थ्य के बारे में पूछा और फिर पूछा कि उसके परिवार में सब कुशल मंगल तो है ना? अनुयाई ने कहा कि सब कुछ ठीक है, कोई भी अस्वस्थ नहीं है!


बुद्ध ने उससे आगे पूछा अगर सब ठीक है तो तुमने आश्रम में आना क्यों छोड़ दिया? अब अनुयाई ने थोड़ा सा शर्मिंदा होते हुए कहा गुरु जी मैं क्या करता? मेरे पास पहनने के लिए सिर्फ एक ही जोड़ी कपड़ा है और वह भी अब जगह-जगह से फट चुका है ,उसमें कई जगह छेद हो गए है। अब आप ही बताइए ऐसी हालत में मैं इतने सारे लोगों के सामने कैसे आता?


बुद्ध ने उसकी तरफ ध्यान से देखा और पाया की उसकी बातों में पूरी सच्चाई थी और उसके कपड़ों की हालत खस्ता थी।


बुद्ध ने मुस्कुराते हुए उस अनुयाई के कंधे पर हाथ रखा और सब ठीक हो जाएगा बोल कर उसे दिलासा दिया और वहां से चले गए। 


एक बार बुद्ध जब प्रवचन दे रहे थे तो प्रवचन खत्म होने के बाद बुद्ध ने अपने एक धनवान अनुयाई को रूकने के लिए कहा। बुद्ध ने उससे कहा कि वह उनके गरीब अनुयाई को 2 जोड़ी कपड़े भिजवा दें। श्रीमंत अनुयाई ने उन से वचन दिया कि वह अगले दिन जैसा उन्होंने कहा है वैसा  ही करेगा।


अगले दिन अपने वचन के मुताबिक श्रीमंत अनुयाई ने अपने नौकर के हाथों ना सिर्फ उस गरीब अनुयाई के लिए बल्कि उसके पूरे परिवार के लिए दो 2 जोड़ी कपड़े भिजवा दिए। नए कपड़े पाकर गरीब अनुयाई और उसका पूरा परिवार बहुत खुश हो गया।


अगले दिन से बुद्ध ने देखा कि वह अनुयाई फिर से आश्रम में आने लगा है। बुद्ध ने उससे पूछा कि अब तुम्हें कोई परेशानी तो नहीं है? अगर है तो बताओ।


अनुयायि ने कहां अब मुझे कोई तकलीफ नहीं है बस कपड़ों की थी जो आपने हल कर दी। अब मैं बहुत खुश हूं।


बुद्ध के अनुयाई से पूछा अच्छा बताओ तुमने अपने पुराने कपड़ों का क्या किया?


अनुयाई ने कहा हमारे ओढ़ने के कपड़े ओढ़ने लायक नही बचे थे इसलिए मैंने अपने पुराने कपड़ों को उनकी जगह इस्तेमाल करना शुरू कर दिया!


बुद्ध ने पूछा फिर तुमने अपने ओढ़ने वाले कपड़े का क्या किया?


मैंने उन्हें परदों की जगह इस्तेमाल करना शुरू कर दिया। अनुयाई ने कहा।


उन पुराने पर्दो का क्या हुआ? बुद्ध फिर से पूछा।


मैं उनके चार टुकड़े करके चूल्हे से गर्म बर्तन उतारने के लिए इस्तेमा  करता हूं।

अनुयाई बोला।


पहले गर्म बर्तन पकड़ने के लिए इस्तेमाल करते थे उन कपड़ों का क्या किया? बुद्ध ने फिर से पूछा।


मैं अब उन्हे घर में पोछा लगाने के लिए इस्तेमाल करता हूं। अनुयाइ ने जवाब दिया।


पुराने पोछे का क्या किया वह भी बता दो! बुद्ध ने अगला सवाल पूछा।


वह कपड़ा कुछ भी करने लायक बचा नहीं इसलिए मैंने उसके तार तार अलग कर दिए और उनसे दीया की बाती बना ली। इन्हीं बतियो में से एक बाती आज इस आश्रम में भी मैंने जलाई है, उसी की रोशनी में हम बैठे हैं!


भगवान बुद्ध अनुयाई के जवाबों से बहुत खुश हुए उन्हें इस बात का काफी संतोष हुआ कि उनका अनुयाई किसी भी वस्तु को अच्छी तरह से इस्तेमाल करता है और हर वस्तु की कद्र करता है।


दोस्तों, इस कहानी को उन लोगो तक जरूर पहोचाए जो उन्हें आसानी से मोलनेवाली वस्तुओ की कद्र नहीं करते और  जरूरत से के ज्यादा लेते है फिर बिना अच्छे से इस्तेमाल किए वेस्ट करते है या फेंक देते है।


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