मुनाफा : एक वास्तविक कहानी | Real Story

 

एक बार की कहानी है, जब एक गाँव में दो भाई रहते थे। उनके नाम अली और अकरम थे। ये दोनों भाइ प्रकृति(स्वभाव) से पूरी तरह विपरीत थे। बड़े भाई अली हलवे पराठों की ठेली चलाते थे। वहीं, छोटे भाई अकरम आलसी बने रहते थे और किसी काम में नहीं लगते थे। फिर भी उनका मंगलमय भविष्य बनने का सपना हमेशा उनके दिमाग में चलता रहता था।


मुनाफा : एक वास्तविक कहानी | Real Story


एक दिन, छोटे भाई अकरम ने अपनी भाभी के लिए एक सूट खरीद लिया। इस सूट को देखकर उनकी भाभी को बहुत पसंद आया। सूट देखकर उन्होंने अकरम से पूछा, "तुम तो कुछ कमाते नहीं हो, फिर इतने पैसे कहाँ से आये?" अकरम ने उत्तर दिया, "भाभी, आप ऐसे सवाल ना पूछें, मैं बस जुगाड़ करता हूँ" और इन जुगाड़ों से मैं जल्दी ही धनी बन जाऊंगा।


ये सुनकर, बड़े भाई अली ने कहा, "तू ऐसे जुगाड़ों से धनी बन सकता है, लेकिन ऐसे पैसों से की मिला धन ज्यादा समय तक नहीं बना रह सकता है।" अली ने कहा।


"आप मुझे ना सिखाए,आप ईमानदारी से काम करते हो, लेकिन ईमानदारी से सिर्फ आवश्यकताएँ पूरी होती हैं, धनी बनने का सपना नहीं।" यह कहकर, अकरम ने हमेशा अपने बड़े भाई के मुंह को बंद कर दिया।


अली बाजार में हलवे पराठे की ठेली चलाते थे। अली के बने हुए हलवे की उच्च गुणवत्ता के कारण ग्राहक हमेशा उनकी ठेली पर आते रहते थे। लोग अली के हलवे को इतना पसंद करते थे कि वे हलवे को पैक करके घर भी ले जाते थे। हालांकि, इसमें अली को अपने लाभ में काफी नुकसान उठाना पड़ता था।


एक दिन, जब अली ने अपने मासिक बिक्री की जानकारी अपनी पत्नी फातिमा को दी, तो उन्होंने कहा कि इस महीने की कमाई पिछले महीने की कमाई से कम है। इस पर फातिमा ने कहा कि इस तरह हमारा गुजारा नहीं चलेगा। तब अली ने उत्तर दिया, "इस महीने तेल के दाम बढ़ गए हैं, इसलिए मुनाफा थोड़ा कम है।" इस पर फातिमा ने कहा कि तुम अपने हलवे और पराठे के दाम बढ़ा दो, यह हमें अधिक मुनाफा दिलाएगा।


इस पर अली ने कहा, "नहीं फातिमा, मैं ऐसा नहीं कर सकता। अगर मैं ऐसा करता हूँ, तो लोग मेरे हलवे को नहीं खरीदेंगे।" इसके बाद, फातिमा ने कहा, "जैसा तुम्हें ठीक लगे।" अली और फातिमा की यह बातें अकरम ने सुनी थी।


एक दिन, जब फातिमा को एक फोन आया, वह बहुत रोने लगी। जब अली ने देखा कि फातिमा रो रही है, तो वह पूछता है कि क्या हुआ है, फातिमा क्यों रो रही हो? फातिमा ने बताया कि उनकी चाची अब इस दुनिया में नहीं हैं। उनका निधन हो गया है और उन्हें जल्द से जल्द चाचा के पास जाना होगा।


इस पर अली ने कहा, "रो मत फातिमा, मैं भी तुम्हारे साथ चाचा के पास जाऊंगा।" इसके बाद, अली अकरम से कहता है कि जब तक वह वापस नहीं आते, तब तक वह हलवे पराठे की ठेली बेचते रहें और याद रखना कि मेरे ग्राहकों को कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए। मैं हलवे बनाने के लिए उच्च गुणवत्ता वाला सामान खरीदता हूँ, इसलिए तुम सस्ते सामान के चक्कर में नहीं पड़ना। इसके बाद, अली जाता है।


इसके बाद, अकरम ने हलवे पराठे की ठेली बेचना शुरू कर दिया। ग्राहक आकर आराम से हलवे पराठे खा रहे थे। अकरम देखता है कि पराठा बनाने के लिए तेल ख़त्म हो गया है। अकरम सोचता है कि अगली सुबह वह दुकान से सारा सामान ख़रीदेगा।


अगली सुबह, जब अकरम दुकान जाता है, तो वह सस्ते तेल को चुनकर ख़रीद लेता है क्योंकि उसको लगता है कि यह तेल उसके घर में उपयोग में आएगा। रोज़ की तरह, लोग हलवे पराठे खाने के लिए उनकी ठेली पर आते हैं। हालांकि, कुछ समय बाद, दो ग्राहक आते हैं और कहते हैं कि उनकी स्वास्थ्य कराब हो गई है उन्होंने उनका हलवा पराठा खाया था। उन्होंने अली से मिलकर पूछा कि ये कैसा हलवा पराठा बनाया था। इस सुनकर, अकरम को डर लगता है क्योंकि वह कुछ दिनों से सस्ते और ग़लत तेल में बनाया हुआ हलवा पराठा बेच रहा था।


जब अली को यह बात पता चलती है, तो वह घर आते हैं और अकरम से पूछते हैं कि तुमने ऐसा क्यों किया? अकरम बताता है कि वह सस्ते तेल के साथ हलवे पराठे बनाने लगा था ताकि उसकी कमाई बढ़ सके। इस पर अली कहते हैं, "देखो अकरम, मुनाफ़ा कमाने के लिए तुम्हें छोटे तारिक़े नहीं अपनाने चाहिए। अगर तुमने उच्च गुणवत्ता नहीं बनाई, तो तुम्हारे ग्राहक तुम्हारे पास नहीं आएंगे। ज्यादा मुनाफ़ा कमाने के लिए तुम्हें उच्च गुणवत्ता वाले सामान का उपयोग करना चाहिए।"


इसके बाद, अली अकरम को सिखाते हैं कि मुनाफ़ा कमाने के लिए सही तरीके से काम करना जरूरी होता है। उच्च गुणवत्ता वाले सामान का उपयोग करके ग्राहकों की संतुष्टि प्राप्त करनी चाहिए और धीरे-धीरे उनका विश्वास जीतना चाहिए। मुनाफ़ा कमाने की दिशा में कोई भी कमजोर कदम नहीं उठाना चाहिए।


अकरम ने अपने बड़े भाई की बातों को मानकर हलवे पराठे की ठेली बेचने में सफलता पाई। उसने ग्राहकों की संतुष्टि को प्राथमिकता देने का प्रयास किया और उच्च गुणवत्ता के सामान का उपयोग करके मुनाफ़ा कमाने का सही तरीका सीखा। इसके परिणामस्वरूप, उसकी दुकान की पॉपुलैरिटी बढ़ी और उसका सपना सच हो गया।


इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि पेचीदता और विक्षिप्तता के साथ काम करने से हम अपने लक्ष्यों को प्राप्त कर सकते हैं। अली ने अकरम को सही मार्गदर्शन दिया और उसके साथ रहकर उसे सफलता की दिशा में आगे बढ़ने में मदद की। इसके बिना, अकरम की कोशिशें निष्फल हो सकती थीं।

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