सच्ची कहानी : पोलिसवाले

 सच्ची कहानी : पोलिसवाले


ये बात ज्यादा पुरानी नहीं है। मेरी मौसी को फेफड़ों में संक्रमण और स्वाइन फ्लू के कारण इंदौर के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था।


सच्ची कहानी : पोलिसवाले


 खबर मिलते ही मैं अपनी मां और मामा के साथ अगली सुबह इंदौर पहुंच गया।


 तारीख थी 21 मार्च 2019 और उस दिन भारत के सबसे बड़े त्योहारों में से एक त्योहार होली का दिन था। वह जगह मेरे लिए बिल्कुल नई और अनजानी थी।


 लम्बी यात्रा के कारण हम काफी थकान महसूस कर रहे थे। दोपहर के भोजन का समय भी निकल चुका था और हमें भूख भी लग चुकी थी (हम चार लोग थे)। होली के कारण सभी होटल और दुकानें बंद थीं!


 मैं और मेरे मामा नजदीकी पुलिस स्टेशन गए। मेरे मामा ने पुलिस स्टेशन के बाहर खड़े एक कांस्टेबल को बुलाया और उन्हें हमारी कंडीशन के बारे में बताया।


 कांस्टेबल ने तुरंत एक पुलिसकर्मी को आदेश दिया और उसे थाने भेजा। वह पुलिस वाला खाने के चार पैकेट लेकर आया और उस कांस्टेबल ने मेरे मामा को अपना फोन नंबर भी दिया और हमसे कहा कि अगर हमें किसी भी तरह की मदद की ज़रूरत हो तो उन्हें कॉल करें। हम उस अज्ञात पुलिसकर्मी और पुलिस विभाग की मदद से बहुत खुश थे हमने उन्हें धन्यवाद दिया।


 त्योहारों के दिन जब पूरा देश जश्न मनाता है और त्योहार का आनंद लेता है, पुलिस देशवासियों की सुरक्षा सुनिश्चित करती है ताकि हमारे उत्सव में कोई बाधा न आए और वे देश के लिए अपने परिवार और त्योहारों का बलिदान दे देंते है।


 उन्हीं के कारण हम होली, दीवाली, ईद, क्रिसमस आदि त्यौहार हर्षोल्लास और सफलतापूर्वक मनाते हैं।


 हमारे देश के लिए पुलिसकर्मियों का बलिदान वास्तव में सराहनीय और अपूरणीय है।


दोस्तों आपने पुलिसवालों के बुरे बरतावो की कई कहानियां सुनी होगी लेकिन हाथ की उंगलियों की तरह सभी पुलिसवाले भी एक जैसे नहीं होते। हमारे देश के ज्यादातर पुलिसवाले ईमानदार अपने फर्ज के लिए जा न्योछावर करने वाले है ऐसे भारत के पुलिस को भारत के इस नागरिक सैल्यूट।

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