अंधी दौड़ : वास्तविकता दर्शाती कहानी
मैं स्कूल के दिनो बहुत होशियार विद्यार्थी था। मैं क्लास मॉनिटर, शब्दावली चैंपियन, सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी का चैंपियन, मूल रूप से एक ओवरएचीवर था। मैंने अपनी अकादमिक रैंक बनाए रखने के लिए खुद पर बहुत ज्यादा दबाव डाला और पाठ्येतर गतिविधियों में बहुत मेहनत की।
मैंने कॉलेज की पढ़ाई पूरी की, मुझे नौकरी मिल गई लेकिन मेरे अंदर का यह अति-उपलब्धि स्वभाव संतुष्ट नहीं था। मैं जो भी करता था उसमें अतिरिक्त मेहनत करता था। मेरी नौकरी बहुत तनावपूर्ण थी। मैं अपने काम को ही जीने लगा था। मैं हर रोज काम पर देर तक रुकता था।
परिणामस्वरूप मुझे नियमित रूप से सिरदर्द होने लगा। मुझे बहुत छोटी उम्र में ही पीठ दर्द हो गया (29)। लेकिन पुरानी आदतें आसानी से नहीं बदलतीं। मैंने खुद को और अपनी दिनचर्या को नही बदला, मैंने अपना काम करने का तरीका जारी रखा।
मैं अपने हर काम में सर्वश्रेष्ठ बनना चाहता था। सिरदर्द जारी रहा और समय के साथ और भी बदतर हो गया। जब मैं केवल 31 वर्ष का था तब मुझे रक्तस्रावी आघात हुआ जिससे मेरा दाहिना भाग लकवाग्रस्त हो गया। मेरी आवाज़ चली गई थी और मैं मुश्किल से चल पा रहा था। मैं अपने दाहिने हाथ का उपयोग नहीं कर पा रहा था।
हालाँकि मैं 95% ठीक हो गया हूँ लेकिन इसमें मुझे 2 साल लग गए। मैं अब खुद को तनावपूर्ण माहौल में नहीं देख सकता।
यह ऐसा है जैसे प्रकृति ने मेरे व्यस्त जीवन पर रोक लगा दी हो। अब मेरे पास बैठने और सोचने, गेम खेलने के लिए दुनिया का सारा समय है। मैंने अपना खुद का व्यवसाय शुरू कर दिया है। काम तो है लेकिन मैं अपनी सुविधा से करता हूं। मैं ब्रेक लेता हूं और आराम करता हूं। काश किसी ने मुझे ये पहले समझाया होता कि स्वास्थ्य को नजरंदाज करनेवाली प्रतिस्पर्धा और अंधी दौड़ जो हम छोटी उम्र से सीखते हैं, चाहे वह स्कूल में हो या घर पर, अच्छी नहीं है। यह आपके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचा सकता है।
अपना ख्याल रखें। स्वास्थ्य हमारी सबसे बड़ी संपत्ति है और हमारी प्राथमिकता । हमें हमेशा और सबसे ज्यादा इसका ख्याल रखना चाहिए।
