दोस्तो ऋषि अस्थाना नामक आदमी की आपबीती ये कहानी जानकर मुझे काफी अच्छा लगा। उन्होंने इस कहानी के अंत में जो लिखा है वो हमारे देश में कई लोग फॉलो करते है लेकिन कई सारे लोग ऐसा नहीं सोचते इसलिए ये कहानी शायद उनका नजरिया बदल दे। आइए जानते है क्या है कहानी?
कहानी : सबसे बड़ा धर्म
हाल ही में मेरा एक्सीडेंट हो गया और मे मरते मरते बचा। मैं एक ऑटो रिक्शा से ऑफिस जा रहा था।
किसी कार ने रिक्शे को पीछे से टक्कर मार दी और उसका संतुलन बिगड़ गया। ऑटो का अगला पहिया गड्ढे में चला गया। यह इतना तेज़ झटका था कि मेरे सिर में चोट लग गई और बहुत बुरी तरह से खून बहने लगा।
उसी ऑटो में मेरे साथ एक लड़का बैठा था। वह मेरे पास आया और अपना रूमाल मुझे दिया। मैं किसी तरह 2-3 रूमालों का उपयोग करके बहते खून को रोक पाया।
वही लड़का मुझे अस्पताल ले गया। मेरे सारे बिल भी चुकाए (जो मैंने उसे बाद में वापस दिए), और मेरे टांके लगाने और ड्रेसिंग करने के बाद वह अस्पताल से चला गया। जब वह जा रहे था तो उसने कहा, "आपको कोई जरूरी हो तो कॉल कर लेना"। मैंने उसका नाम पूछा। उसका नाम शमीम था। मैं अवाक रह गया। किसी ने मुझसे मदद भी नहीं मांगी लेकिन उस आदमी ने मेरे लिए हर संभव कोशिश की।
तब से मैं केवल एक ही धर्म में विश्वास करता हूं और वह है मानवता।
