वृद्धाश्रम : दिल छूनेवाली कहानी
पिछले साल, मैं 25 साल का हो गया, मैंने अपना जन्मदिन इसबार थोड़ा अलग तरह से मनाया । चलो ज्यादा सस्पेंस नही बनता.. एक वृद्धाश्रम में मनाया, मैंने उसी वृद्धाश्रम के पास से एक केक खरीदा और मैंने अपना जन्मदिन उन प्यारे बुजुर्गो के बीच मनाया, उन्होंने मेरे लिए हैप्पी बर्थडे वाला गाना भी गाया। वे इतने खुश थे जैसे कि मैं उनका अपना ही बच्चा था! जिससे मुझे वास्तव में खुशी और दुख हुआ। दुख इनको वृद्धाश्रम में देखकर।
उसी समय मेरी मुलाकात एक महिला से हुई, मैं लगभग 2 घंटे तक उनके साथ था, जब मैं जाने वाला था तो उन्होंने मुझे रोका और कहा कि यह 50 रुपये ले लो मेरे प्यारे बच्चे। मैं कुछ पैसे बचा थी। उसने जल्दी से अपनी साड़ी के कोने से गाँठ खोली और पैसे निकालकर मुझे दिए और मेरे सिर पर थपथपाया और कहा, "मेरे पोते (मुझे अपना पोता कहा) का जन्मदीन है। मैं उसे खाली हाथ कैसे अलविदा कह सकती हूं।"
मुझे बहुत महसूस हुआ कि कभी-कभी आपको किसी के दिन को इतना खास बनाने के लिए अच्छी मात्रा में संसाधनों की आवश्यकता नहीं होती है। उन्होंने मुझसे आग्रह किया कि अगर में उनसे पैसे नही लेता हु तो वह मुझसे गुस्सा हो जायेगी और ये बात उन्होंने इतने प्यार से और हक से कही की मुझे लगा वो मेरी ही दादी है। फिर वो बोली इसे मेरा आशीर्वाद समझो।
मैं बहुत अभिभूत महसूस कर रहा था। जब आप उनके(वृद्धाश्रम) पास जाते हैं और उनसे मिलते हैं तो उन्हें बहुत खुशी होती है, वे केवल कुछ समय के लिए आप में अपने बच्चों, बेटे, बेटी, पोते-पोतियों को खोजते हैं लेकिन उनसे मिलने से उन्हें खुशी मिलती है और वह स्मृति उनके दिमाग में हमेशा के लिए अंकित हो जाती है।
दोस्तों जब आपको लगे कि आपकी खुशियां बांटने के लिए आपके पास कोई नही है तो वृद्धाश्रम चले जाए मेरा विश्वास कीजिए आपकी खुशियां कई गुना हो जायेगी।
