Hindi kahaniya #2 (कुत्ता और उसका प्रतिबिंब)
एक बार की बात है एक कुत्ता एक कसाई की दुकान के पास बैठा हुआ था। वह बड़ी ही दयनीय चेहरे के साथ कसाई की ओर देख रहा था वह सोच रहा था कि कसाई कुछ खाने को दे दे तो बहुत अच्छा होगा। कसाई को भी उस पर रहम आ गया और उसने उसकी और एक हड्डी फेंक दी, हड्डी को पाकर कुत्ता बड़ा ही खुश हुआ और खुशी-खुशी अपने इस पुरस्कार को लेकर जितनी जल्दी हो सके अपने घर की ओर दौड़ पड़ा।
जब कुत्ता अपने घर की ओर जा रहा था तो रास्ते में एक तालाब आता था । उस तालाब के किनारे से गुजरते हुए कुत्ते की नजर तालाब की शांत पानी पर पड़ी तो उसे पानी में अपना ही प्रतिबिंब दिखाई दिया। कुत्ता थोड़ा लालची था पानी में अपने ही प्रतिबंध को देखकर उसको लगा कि वहां कोई और कुत्ता है जिसके पास उससे भी बड़ी हड्डी है।
उसने ना आव देखा ना ताव बिना सोचे समझे तालाब के कुत्ते पर हमला कर दिया । और अपनी हड्डी भी तालाब में गिरा दी, तालाब में गिरने के बाद उसे पता चला कि वहां पर तो कोई कुत्ता था ही नहीं बल्कि उसकी अपनी जान भी अभी खतरे में थी तो वह तैरने के लिए मशक्कत करने लगा और बड़ी मेहनत के बाद किनारे तक पहुंच पाया । किनारे पर पहुंचकर उसे बहुत पछतावा हुआ उसने सोचा कि उसके पास जो हड्डी थी वह भी उसने बेवकूफी (लालच) करके खो दी वह दुखी होकर अपने घर लौट गया ।
दोस्तों इस कहानी से हमें क्या सीख मिलती है?
यह कहानी हमें सिखाती है कि हमें कोई भी काम बिना सोचे समझे नहीं करना चाहिए और लालच बहुत ही बुरी चीज होती है ।
