Hindi Kahaniya #4 (कहानी अटल विश्वास की)

हिंदी कहानी#4

"भरोसा अगर खुदा पर है तो किस्मत में है वह सब कुछ
पाओगे ,
भरोसा अगर खुद पर है तो खुदा वही लिखेगा जो खुद चाहोगे."

Hindi Kahaniya #4 (कहानी अटल विश्वास की)


 दोस्तों  इन 2 लाइनो से ही आपको आज की कहानी के बारे में कुछ आईडिया तो हो ही गया होगा. आज की कहानी भी ऐसी ही एक गरीब जापानी बच्चे की है जिसे अपने आप पर अटूट विश्वास था और जिसने अपने अकेले के दम पर अरबों रुपयों की कंपनी कहो या साम्राज्य खड़ा कर दिया.

दोस्तों मेरा यकीन मानिए अगर आपने इस कहानी को पूरा पढ़ लिया और समझ लिया तो आपका भी अपने आप में विश्वास कई गुणा बढ़ जाएगा.

दोस्तों यह कहानी है आज से लगभग 127 वर्ष पहले कि जापान के एक गरीब बच्चे की जो जापान के एक छोटे से गांव में पैदा हुआ था. जिसका नाम उसके पिताजी ने कोनोसूके रखा था. कोनोसुके के पिताजी की आर्थिक हालत बहुत ज्यादा अच्छी नहीं थी. जब कोनोसूके 9 साल का था तब बहुत खराब आर्थिक परिस्थिति के कारण उसके पिताजी को गांव में जो उनके खेत थे उन्हें बेचना पड़ा था. इतना ही नहीं बल्कि उन्हें अपने गांव का घर भी छोड़ना पड़ा. सब कुछ गवा चुके कोनोसूके के पिता गांव छोड़कर शहर में अपने परिवार के साथ आ गए और अपने परिवार का गुजर-बसर करने के लिए शहर में छोटे-मोटे काम करने लगे जिनसे उन्हें कोई खास आमदनी होती नहीं थी. इस वजह से 9 साल कोनोसूके  को भी अपनी पढ़ाई छोड़कर एक दुकान में काम करना पड़ा ताकि परिवार को आर्थिक मदद हो सके.

मेहनती कोनोसूके सुबह सुबह सूरज की पहली किरण के साथ जागता और बड़ी मेहनत से दुकान में काम करता.वो दुकान में साफ सफाई करता और छोटे-मोटे काम निपटाने के बाद वह अपने मालिक के बच्चों की देखभाल भी करता था . ऐसे ही कुछ महीने काम करते-करते बीत गए. मगर जब दुकान में थोड़ी मंदी होने लगी तब दुकान के मालिक ने उसको निकाल दिया.

इस घटना के बाद कोनोसूके ने साइकल बेचने वाली दुकान में काम शुरू कर दिया. उस समय जापान में साइकिल एक लगजरी चीज मानी जाती थी और uk से  इंपोर्ट की जाती थी. साइकिल बेचने के साथ-साथ इस शॉप में काफी मेटल वर्क भी होता था जिससे उसको काफी नई चीजें सीखने को मिली. यहां पर काम करते करते हैं उसने लेथ और कई तरह के टेक्निकल टूल्स के बारे में बहुत कुछ सीख लिया. इस शॉप में 5 साल तक काम किया फिर उसे लगा कि अब कुछ नया सीख सकें ऐसी जगह पर काम करना चाहिए. उस समय पर बिजली की बढ़ती संभावनाओं को देखकर उसने मन बना लिया कि उसे इसी क्षेत्र में नौकरी ढूंढ लेनी चाहिए. 1 दिन उसे अलास्का इलेक्ट्रिक लाइट कंपनी का विज्ञापन मिला जिसमें उस कंपनी को कुछ एम्प्लोईस की जरुरत थी . उसने अप्लाय किया और उसे वहां पर नौकरी मिल गई.
 यहां काम करते करते उसे हर रोज कुछ ना कुछ नया सीखने को मिल रहा था.

समय बीतने लगा कोनोसूके नौकरी करते करते जितनी चीजें तेजी से सीख रहा था वह अपना खाली समय भी उतनी ही बेहतर तरीके से इस्तेमाल कर रहा था. अपने खाली समय में इलेक्ट्रिसिटी से संबंधित कई पुस्तकें पढ़ लेता था और साथ ही साथ छोटे-मोटे एक्सपेरिमेंट्स भी करता था. 20 वर्ष की उम्र में उसकी शादी हो गई और उसकी जिम्मेदारियां भी कुछ बढ़ गई मगर वो इतना  होनहार था कि उसने 22 वर्ष की उम्र तक जहां वह काम कर रहा था वहां टेक्निकल इंस्पेक्टर बन गया जो कि उस समय बहुत बड़ी पोस्ट मानी जाती थी. 

 कोनोसूके ने उसी कंपनी में काम करते करते एक इलेक्ट्रिक सॉकेट का इंप्रूव्ड वर्जन बना लिया उसने जब ये वर्जन अपने बॉस को दिखाया तो उसके बॉस ने यह कहकर कि यह मार्केट में नहीं चलेगा उसे रिजेक्ट कर दिया मगर कोनोसके को अपने शोध पर बहुत विश्वास था उसका मानना था कि यह सॉकेट मार्केट में जरूर चलेगा.

अपनने इसी विश्वास के दम पर उसने नौकरी छोड़कर अपना बिजनेस करने की ठान ली जब उसने इस बारे में अपने कुछ मित्रों को बताया तो उन्होंने कहा कि अपनी अच्छी भली नौकरी छोड़ कर ऐसे प्रोडक्ट जिसे उसके अनुभवी बॉस ने रिजेक्ट कर दिया है उसको लेकर बिजनेस करना उसका एक पागलपन है. और इसके अलावा वह ज्यादा पढ़ा लिखा भी नहीं है और ना ही उसके पास बिजनेस का कोई अनुभव है तो ऐसी स्थिति में उसके प्रोडक्ट चलने की संभावना ना के बराबर है.

पर वह कहां मानने वाला था अपने आप पर अटूट विश्वास और अपने बनाए सॉकेट पर पूरा भरोसा होने के कारण उसने अपनी नौकरी छोड़ दी और अपनी कुछ जमा पूंजी से बेसिक टूल्स खरीद कर अपने घर पर ही छोटी सी फैक्ट्री लगा ली जहां पर वह उसका भाई
उसकी पत्नी खूबसूरत और उसके दो को वर्कर्स साथ में मिलकर सॉकेट बनाने लगे. वह खुद जगह-जगह जाकर उसे बेचने की कोशिश करता.

उसे कोई बड़ा आर्डर नहीं मिला और छोटे-मोटे आर्डर से उसका गुजर बसर भी मुश्किल हो गया.उसकी आर्थिक स्थिति दिन-प्रतिदिन और भी ज्यादा खराब होने लगी और ऐसा समय भी आया जब उसको अपने घर का सामान तक बेचना पड़ा और इतना ही नहीं उसको कर्ज भी लेना पड़ा. चारों तरफ कर्ज और रिजेक्शन कभी-कभी उसको लगता की अपने सपने को छोड़कर उसे अपनी पुरानी नौकरी पकड़ लेनी चाहिए मगर उसका विश्वास उसे कुछ और दिन प्रयत्न करने के लिए मजबूर करता.

ऐसी स्थिति के चलते उसके दोनों को वर्कर्स ने भी उसका साथ छोड़ दिया. अब वह उसका भाई और उसकी पत्नी सिर्फ तीन ही लोग इस प्रयास को आगे बढ़ाने लगे. और इसी विश्वास की बदौलत उसे 1 दिन 1000 सॉकेट का ऑर्डर मिला. धीरे-धीरे उसका व्यापार बढ़ने लगा और फिर उसने कभी भी पीछे मुड़कर नहीं देखा. उसका यह प्रोडक्ट इतना फेमस हो गया कि अब उसकी बनाई हुई कंपनी में ढाई लाख लोग काम करते हैं. और उसका यह साम्राज्य कई बिलियन dolors का है. और यह सब उस व्यक्ति ने अपने अटल विश्वास के दम पर किया जिसके पास ना तो पैसा था ना ही अच्छी पढ़ाई ना ही कोई सपोर्ट बस था तो अपने आप पर विश्वास. अटल विश्वास वाले महान आदमी के द्वारा स्थापित कंपनी का नाम भी आपने सुना ही होगा उस कंपनी का नाम है पैनासोनिक .94 साल की उम्र में  कोनोसुके का निधन तो हो गया मगर उनके द्वारा स्थापित कंपनी आज क्वालिटी की पहचान है और पूरी दुनिया में छाई हुई है. 

दोस्तों क्या आपके पास ऐसी कोई वजह है पर विश्वास करके आप अपनी जिंदगी के सारी चीजें दाव पर लगा सकते हैं अगर है तो प्लीज मुझे कमेंट करके जरूर बताइएगा और इस कहानी को शेयर करने में कंजूसी मत करिएगा यह विश्वास की कहानी हो सकता है आपके किसी मित्र की भी जिंदगी बदल दे.

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