New Hindi story with moral
दोस्तों ,आज की कहानी है तो छोटी सी मगर इतना बड़ा संदेश लेकर जाएगी कि आप भी एक बार तो सोचने पर मजबूर हो जाएंगे।
देश में लोक डाउन का समय था लोग घर से बाहर निकल नहीं पा रहे थे या फिर ऐसा कह लो कि उनको बाहर निकलने की मंजूरी नहीं थी और यह उनके भले के लिए ही था । मगर जब करोड़ों लोग घरों में कैद थे तो उनके साथ कई ऐसे किस्से हुए होंगे जो हमें या आपको नहीं पता है मगर एक किस्सा जो मुझे पता है मैं वह यहां आज आप तक पहुंचाने जा रहा हूं।
यह कहानी है एक पिता और उनकी 6 साल की बेटी की। पिता किसी मल्टीनेशनल कंपनी में अकाउंट का काम करते थे और ऐसे लोग डाउन के समय में उन्हें work from home का ऑप्शन मिला हुआ था।
मगर उनकी बच्ची इस बात से बहुत खुश थी कि जो पापा कभी दो-तीन घंटे भी घर पर नहीं बिताते थे वह अब पूरे पूरे दिन उसकी नजरों के सामने रहते थे । और वह अपने पापा के साथ बहुत खेलना चाहती थी, मस्ती करना चाहती थी मगर पापा को अपना ऑफिस का काम जो घर पर कर रहे थे उसको भी खत्म करना था इसलिए वह अपनी बेटी पर ज्यादा ध्यान नहीं दे रहे थे।
मगर छोटी बच्ची कुछ ना कुछ करके अपने पापा का ध्यान अपनी ओर खींचने को भरपूर कोशिश कर रही थी। जिससे पापा और भी ज्यादा डिस्टर्ब हो रहे थे। पापा ने सोचा कुछ ऐसा किया जाए जिससे बच्चे किसी चीज में व्यस्त हो जाए तो मैं अपना काम बड़ी आसानी से कर पाऊंगा।
कुछ देर सोचने के बाद पापा को अपने पास में पड़ी एक मैगजीन दिखी जिसमें पहले पन्ने पर दुनिया का नक्शा बना हुआ था। उसने मैगजीन का वह पन्ना फाड़ के उसके कई टुकड़े कर दिए और अपनी बेटी को कहा कि इस में जो नक्शा है उसे इन टुकड़ों से जोड़कर बना कर लाओ।
बच्ची उन टुकड़ों को समेट कर अपने कमरे में चली गई, उन्होंने सोचा हाश.. अब 3- 4 घंटे तक बच्ची बिजी रहेगी और मैं अपना काम खत्म कर सकुंगा। मगर कुछ चंद मिनटों में ही बच्ची पजल को सुलझा कर लेकर आई तो बाप की आंखें खुली की खुली रह गई।
पिता ने बड़े ही आश्चर्य चकित होकर अपनी छोटी बच्ची से पूछा कि तुमने यह कैसे किया। बच्ची ने बहुत सहजता से कहां की अरे पापा, ये तो बहुत आसान था इसके पीछे एक चेहरा बना हुआ था जिसे जोड़ना बहुत ही आसान होता है! इतना कहकर वह छोटी बच्ची अपने कमरे में खेलने के लिए चली गई।
Moral of the story
तो दोस्तों जितनी सरल यह कहानी इसका निष्कर्ष उतना ही बेहतरीन है। जिंदगी में कई मुश्किल कठिनाइयां आती है कई ऐसे सिचुएशन आती है जिन के बारे में हमें कोई सॉल्यूशन नहीं मिलता है वह एक पजल जैसी होती है। मगर इस कहानी की तरह हमें यह हमेशा याद रखना चाहिए कि हर सिचुएशन का एक और पहलू होता है जो बहुत ही आसान होता है और ऐसी सिचुएशन से हमें चुटकियों में निकाल सकता हैं , बस हमें जरूरत है तो अपना नजरिया बदल के देखने की।
दोस्तों ,आज की कहानी है तो छोटी सी मगर इतना बड़ा संदेश लेकर जाएगी कि आप भी एक बार तो सोचने पर मजबूर हो जाएंगे।
देश में लोक डाउन का समय था लोग घर से बाहर निकल नहीं पा रहे थे या फिर ऐसा कह लो कि उनको बाहर निकलने की मंजूरी नहीं थी और यह उनके भले के लिए ही था । मगर जब करोड़ों लोग घरों में कैद थे तो उनके साथ कई ऐसे किस्से हुए होंगे जो हमें या आपको नहीं पता है मगर एक किस्सा जो मुझे पता है मैं वह यहां आज आप तक पहुंचाने जा रहा हूं।
यह कहानी है एक पिता और उनकी 6 साल की बेटी की। पिता किसी मल्टीनेशनल कंपनी में अकाउंट का काम करते थे और ऐसे लोग डाउन के समय में उन्हें work from home का ऑप्शन मिला हुआ था।
मगर उनकी बच्ची इस बात से बहुत खुश थी कि जो पापा कभी दो-तीन घंटे भी घर पर नहीं बिताते थे वह अब पूरे पूरे दिन उसकी नजरों के सामने रहते थे । और वह अपने पापा के साथ बहुत खेलना चाहती थी, मस्ती करना चाहती थी मगर पापा को अपना ऑफिस का काम जो घर पर कर रहे थे उसको भी खत्म करना था इसलिए वह अपनी बेटी पर ज्यादा ध्यान नहीं दे रहे थे।
मगर छोटी बच्ची कुछ ना कुछ करके अपने पापा का ध्यान अपनी ओर खींचने को भरपूर कोशिश कर रही थी। जिससे पापा और भी ज्यादा डिस्टर्ब हो रहे थे। पापा ने सोचा कुछ ऐसा किया जाए जिससे बच्चे किसी चीज में व्यस्त हो जाए तो मैं अपना काम बड़ी आसानी से कर पाऊंगा।
कुछ देर सोचने के बाद पापा को अपने पास में पड़ी एक मैगजीन दिखी जिसमें पहले पन्ने पर दुनिया का नक्शा बना हुआ था। उसने मैगजीन का वह पन्ना फाड़ के उसके कई टुकड़े कर दिए और अपनी बेटी को कहा कि इस में जो नक्शा है उसे इन टुकड़ों से जोड़कर बना कर लाओ।
बच्ची उन टुकड़ों को समेट कर अपने कमरे में चली गई, उन्होंने सोचा हाश.. अब 3- 4 घंटे तक बच्ची बिजी रहेगी और मैं अपना काम खत्म कर सकुंगा। मगर कुछ चंद मिनटों में ही बच्ची पजल को सुलझा कर लेकर आई तो बाप की आंखें खुली की खुली रह गई।
पिता ने बड़े ही आश्चर्य चकित होकर अपनी छोटी बच्ची से पूछा कि तुमने यह कैसे किया। बच्ची ने बहुत सहजता से कहां की अरे पापा, ये तो बहुत आसान था इसके पीछे एक चेहरा बना हुआ था जिसे जोड़ना बहुत ही आसान होता है! इतना कहकर वह छोटी बच्ची अपने कमरे में खेलने के लिए चली गई।
Moral of the story
तो दोस्तों जितनी सरल यह कहानी इसका निष्कर्ष उतना ही बेहतरीन है। जिंदगी में कई मुश्किल कठिनाइयां आती है कई ऐसे सिचुएशन आती है जिन के बारे में हमें कोई सॉल्यूशन नहीं मिलता है वह एक पजल जैसी होती है। मगर इस कहानी की तरह हमें यह हमेशा याद रखना चाहिए कि हर सिचुएशन का एक और पहलू होता है जो बहुत ही आसान होता है और ऐसी सिचुएशन से हमें चुटकियों में निकाल सकता हैं , बस हमें जरूरत है तो अपना नजरिया बदल के देखने की।
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