कहानी - आलू, अंडा और चायपत्ती


Short moral story in Hindi



 

यह एक कहानी है जो बताती है कि विभिन्न लोगों द्वारा प्रतिकूल परिस्थितियों में कैसा बर्ताव किया जाता है।  


उषा नाम की एक लड़की थी जो एक शहर में अपनी माँ और पिता के साथ रहती थी।  एक दिन, उसके पिता ने उसे एक साधारण टास्क(काम) सौंपा।


  वो उबलते पानी से भरे तीन बर्तन ले आए। उन्होंने एक बर्तन में एक अंडा, दूसरे बर्तन में एक आलू और तीसरे बर्तन में कुछ चाय की पत्ती रखी। 


Short moral story in Hindi

 उन्होंने उषा को लगभग दस से पंद्रह मिनट तक बर्तनों पर नज़र रखने के लिए कहा, इन तीन अलग-अलग बर्तनों में तीन अलग सामग्री उबल रही थी। 


 तय समय के बाद, उन्होंने उषा को आलू और अंडे को छीलने और चाय की पत्तियों को छानने के लिए कहा।  उषा हैरान रह गई - उसे अंदाजा था कि उसके पिता उसे कुछ समझाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन क्या?


 उसके पिता ने समझाया, “तीनों वस्तुओं को एक ही परिस्थिति में रखा गया था।  देखें कि उन्होंने अलग तरीके से कैसे प्रतिक्रिया दी है। ”  उन्होंने कहा कि आलू नरम हो गया, अंडा सख्त हो गया और चाय की पत्तियों ने पानी का रंग और स्वाद बदल दिया। 


 उन्होंने आगे कहा, “हम सभी इनमें से एक आइटम की तरह हैं।  जब प्रतिकूल कॉल आता है, तो हम ठीक उसी तरह से जवाब देते हैं जैसे वे करते हैं।  अब, ये आप को तय करना है कि आप  एक आलू, एक अंडा या चाय की पत्ती हैं? यानी कि आप ऐसी परिसथितियां जब आएगी तब आलू की तरह नरम पड़ जाएंगे, अंडे की तरह सख्त बनकर उसका सामना करेंगे या चाय की पत्ती की तरह उस परिस्थिति को अपने रंग में ढाल लेंगे?"


 

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