पंचतंत्र की कहानीया | Panchtanta Story
पंचतंत्र की कहानियां 1 : जो दोगे वहीं लौटकर आएगा
यह कहानी तब की है जब इंसानों को इंसानों द्वारा गुलाम (slave) बनाकर रखा जाता था। एक बेचारा गुलाम, अपने मालिक के रोज रोज के दुर्व्यवहार और क्रूरता से परेशान था, एक दिन वो मौका पाकर मालिक के चंगुल से छूटकर जंगल की ओर भाग जाता है।
जंगल में ये गुलाम काफी अपने रहने और खाने की तलाश में काफी अन्दर तक चला आता है, वहाँ वह एक शेर के पास आता है जो पंजे में काँटा घुसने के कारण काफी दर्द में तड़प रहा होता है। इस गुलाम को उस शेर पर दया आ जाती है। अपने क्रूर मालिक के यहां उसने भी ऐसी पीड़ा कई बार सहन की होती है इसलिए वह अपनी जान की परवाह किए बिना इस शेर के पास जाता है और उसके पाव से काटा निकल देता है।
कांटा निकलने से शेर बड़ी राहत महसूस करता है और चुपचाप वहां से चला जाता है। गुलाम उसी जगह पर रहना शुरू कर देता है। वहां उसकी दोस्ती और कई जानवरों से भी हो जाती है।
कुछ दिन बीतने के बाद, गुलाम का मालिक शिकार करने के लिए अपने आदमियों के साथ जंगल में आता है और शेर समेत कई अन्य जानवरों को भी पकड़ता है और उन्हें पिंजरे में बंद कर देता है।
गुलाम को मालिक के आदमियों द्वारा देख लिया जाता है। जो उसे पकड़ लेते हैं और क्रूर मालिक के पास पकड़कर ले आते हैं।
इस गुलाम से मालिक काफी गुस्सा होता है, इतना गुस्सा होता है कि वह उसे जान से मारने के लिए इस गुलाम को शेर के पिंजरे में डाल देने का हुक्म देता है।
गुलाम को पिंजरे में डाल दिया जाता है। अपनी मौत का इंतजार कर रहा है गुलाम जब देखता है तो शेर उसके पास आया जरूर लेकिन वह उसे मारने की कोशिश नहीं कर रहा तब उसे पता चलता है कि यह वही शेर है जिसकी उसने मदद की थी।
जब क्रूर मालिक के आदमी यह देखते हैं कि शेर उसका कुछ नहीं बिगाड़ रहा है, तब वह उसे पिंजरे से निकालने के लिए जाते हैं।शेर उन पर हमला कर देता है। इस तरह गुलाम और शेर अपने आप को और बाकी के सभी जानवरों को भी वहां से आजाद करा लेते है।शेर और बाकी सभी जानवर क्रूर मालिक और उसके आदमियों पर हमला कर उन्हें मार देते हैं।
कहानी की शिक्षा
दोस्तों, कर्म अच्छे हो या बुरे जरूर लौट कर आते हैं इसलिए हमें हमेशा अच्छे कर्म करते रहना चाहिए। जरूरतमंदों की मदद करना ही हमारा धर्म होना चाहिए।
पंचतंत्र की कहानी 2 : नकल में अकल नहीं
एक लोमड़ी खाने की खोज में जंगल के थोड़े दूर गांव के पास भटक रही थी। लोमड़ी लंबे समय से खाना न मिलने की वजह से काफी भूखी और कमजोर हो गई थी।
भूखी लोमड़ी को मछली कि सुंगध आई जिससे वो खुश हो गई और मछली कहां है तलाश करने लगी कि तभी उसकी नज़र मछलियों कि टोकरी लेे जा रही एक बैल गाड़ी पर पड़ी।
लोमड़ी किसी भी हालत में मछली खाना चाहती थी लेकिन वह इतनी कमजोर थी कि गाड़ी में छलांग लगाकर नहीं चढ़ पाती। इसलिए उसने एक उपाय सोचा।
लोमड़ी गाड़ी वाले से आगे गई और वहां पर मरने का नाटक करते हुए लेट गई। गाड़ी वाले ने जब देखा मुफ्त में लोमड़ी का फर मिलेगा जिसे बेचकर वो अच्छा मुनाफा कमा सकता है! तो उसने नीचे उतर कर मरी हुई लोमड़ी को उठाकर गाड़ी में मछलियों के साथ रख दिया।
गाड़ी चलने लगी तब लोमड़ी मौका पाकर उठी और भरपेट मछलियां खाकर गड़िसे कूदकर अपने रस्ते चलने लगी।
लोमड़ी को गाड़ी से उतरते हुए एक भेड़िए ने देख लिया। भेड़िए ने लोमड़ी से पूछा तुम उस गाड़ी में क्या कर रही थी? लोमड़ी ने उसे सारी कहानी बताई।
भेड़िया भी उन मछलियों का स्वाद चखना चाहता था। भेड़िया भी उस गाड़ी के आगे गया और उसने भी लोमड़ी की नकल करते हुए मरने का नाटक किया।
गाड़ी वाले की जब उस पर नजर पड़ी तो वह उसे देख कर खुश हो गया।गाड़ी वाले ने सोचा इस जानवर को बेचकर भी वह काफी अच्छे पैसे कमा सकता है। जब गाड़ी वाला उसके पास गया तो उसे लगा कि यह जानवर तो काफी बड़ा और भारी है, इसलिए गाड़ी वाले ने उसे एक बोरे में बंद किया और उसे गाड़ी से बांधकर घसीटते हुए ले कर गया!
कहानी की शिक्षा
दोस्तों कहते हैं नकल में अकल नहीं होती। जो उपाय किसी एक के लिए कारगर हो जरूरी नहीं है वह सभी के लिए सही हो।
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