'जीवन की प्रतिध्वनि' एक प्रेरक कहानी | Motivational Hindi Story
आज की ये कहानी जीवन की प्रतिध्वनि की कहानी है।
एक बाप और एक बेटा पहाड़ों पर घूमने के लिए आए हैं। बेटा 5-6 साल का है, बाप उसे पहली बार पहाड़ दिखाने लाए हैं।
पहाड़ पर चलते चलते शाम होने लगी है, सूरज ढल रहा है और अंधेरा हो रहा है। अंधेरे के कारण अच्छे से ना देख पा रहे बेटे को पैर में ठोकर लगती है, उसके मुंह से चीख निकल आती है। पहाड़ों में जैसे कि अक्सर होता है उसकी आवाज़ परिवर्तित होकर वापस उसी को सुनाई देती है।
बेटा यह आवाज सुनकर चौक जाता है। उसे लगता है कि पहाड़ों के उस तरफ कोई उसकी नकल उतार रहा है। वो बहुत जोर से चिल्लाता है और पूछता है कि कौन हो तुम?
दूसरी तरफ से भी वही सवाल उसे वापस सुनाई देता है 'कौन हो तुम?'
बच्चे को गुस्सा आता है, वह बोलता है गधे मुर्ख मेरे सामने तो आ, मेरी नकल क्यों उतरता हैं?' दूसरी तरफ से वही आवाज वापिस आती है 'गधे मुर्ख मेरे सामने तो आ, मेरी नकल क्यों उतरता है?'
बच्चा परेशान होकर अपने पिता की तरफ देखता है।
पिता बच्चे को तो कुछ नहीं बोलता और जोर से पहाड़ों की तरफ देखकर चिल्लाता है। 'तुम बहुत अच्छे हो। दूसरी तरफ से आवाज आती है 'तुम बहुत अच्छे हो।' आदमी फिर जोर से बोलता है ' तुम बहादुर हो।' पहाड़ों से आवाज लौटकर आती हैं,'तुम बहादुर हो।'
लड़का हैरान है लेकिन कुछ भी समझ नहीं पाता है,तो पिता मुस्कराते है और उसे समझाते हैं लोग इस 'गूंज' कहते हैं लेकिन वास्तव में यह जीवन है।
यह आपको वह सब कुछ वापिस देता है जो आप कहते हैं या करते हैं।
हमारा जीवन केवल हमारे कार्यों का प्रतिबिंब है। अगर आप दुनिया से अधिक प्यार चाहते हैं तो अपने दिल में अधिक प्यार पैदा करें।
यदि आप अधिक सफल होना चाहते हैं तो आपकी टीम को सफल बनाने में जुट जाइए। ये गूंज है, यह संबंध आपके जीवन के सभी पहलुओं में हर चीज पर लागू होता है। जीवन की गूंज आपको वह सब कुछ वापस देगी जो आपने दुनिया को दिया है।
कहानी की सिख
आप जब भी किसी से भी कुछ पाने की उम्मीद करते है तो आपको पहले ये सोचना चाहिए कि आपने उसके लिए उसे क्या दिया है या उस वस्तु को पाने के लिए आपने क्या कर्म किया है?
कहानी पढ़ने के लिए धन्यवाद! अगर आप चाहते है कि जीवन की ये गूंज आपके अपने भी समझ पाए तो कहानी उनके साथ शेयर कीजिए।
