पंचतंत्र कहानी संग्रह | animal stories for kids
दोस्तों मूल पंचतंत्र की कहानियां विष्णु शर्मा द्वारा लिखी गई है या उनसे भी पहले किसी और लेखक द्वारा। हमने आज के इस कहानी संग्रह को पंचतंत्र की कहानियां इसलिए शीर्षक दिया है क्योंकि इसमें भी प्राणियों की कहानियां है। अलग-अलग प्राणियों की कहानियों के द्वारा बहुत अच्छा अच्छा संदेश आपको इन कहानियों में पढ़ने को मिलेंगे।
1) बीमार कुत्ता और बच्चे की कहानी
एक बार एक छोटा सा बच्चा फुटपाथ पर खड़े होकर एक बहुत ही पतले और कमजोर दिख रहे कुत्ते को बिस्किट खिला रहा था।
वहां से आने जाने वाले लोग उसे देख रहे थे। एक बुजुर्ग आदमी जो वहां से गुजर रहा था इस बच्चे के पास आया और उससे पूछा, "तुम क्यों इस कुत्ते को अपना बिस्किट खिला रहे हो?"
बच्चा बोला," कुत्ता भूखा है, बीमार भी है, उसके पास रहने के लिए भी कोई अच्छी जगह नहीं है और शायद इसका कोई परिवार भी नहीं बस इसीलिए मैं थोड़ी सी मदद कर दे रहा हूं। इसे कोई भी खाना नहीं देगा तो ये मर जाएगा।"
आदमी बोला,"तुम्हे लगता है तुम्हारे थोड़े से बिस्कुट खिलाने से इन कुत्तों की परिस्थिति में कोई फर्क पड़नेवाला है? क्योंकि ऐसे हजारों कुत्ते हर जगह है।"
बच्चा कुत्ते के सिर पर प्यार से हात फेरते हुए बोला,"शायद नहीं मगर इस कुत्ते की परिस्थिति में जरूर फर्क पड़ सकता है।"
कहानी की सिख
दोस्तों, कोई भी बदलाव हमेशा एक व्यक्ति से और किसी के छोटा सा कदम आगे बढ़ाने से शुरू होता है इसलिए भलाई का कोई भी काम चाहे कितना भी छोटा क्यों न हो हमें उस करने से पहले उसके परिणाम के बारे में नहीं सोचना चाहिए।
2) सियार और बकरी की कहानी
एक बार एक सियार जंगल से निकलकर किसी एक गांव के पास घूमते हुए एक कुएं में गिर गया।
सियार ने उस कुएं से बाहर निकलने की जीतोड़ कोशिश की मगर कामयाब न हो सका। सियार के पास कोई रास्ता ना था इसलिए उसने सोचा कि अब कोई इस किए के पास से गुजरे तो उससे मदद मांगूंगा।
कुछ समय बीतने के बाद उस कुएं के पास एक बकरी आई। बकरी बेचारी भोली थी सियार को कुएं में देख उसने सियार से पूछा कि वो कुएं के अंदर क्या कर रहा है?
सियार ने सोचा अगर मैं इस बकरी से सीधे-सीधे मदद मांग लूंगा तो हो सकता है यह मदद करें या ना करें। इसलिए उसने बकरी को कहा,"मुझे पता चला है की कुछ दिनों के अंदर ही इस गांव में भयंकर सूखा पड़ने वाला है। मैं इस कुएं में रहकर अपने लिए पानी पर कब्जा कर रहा हूं ताकि जब सब लोग प्यासे मरेंगे तब मेरे पास पीने के लिए काफी पानी हो।"
बेचारी बकरी सियार के बातों में आ गई और बिना कुछ सोचे समझे उसने कुएं में छलांग लगा दी ताकि वह भी पानी पर कब्जा कर सके। जैसे ही बकरी को उस कुएं के अंदर आई सियार उसकी पीठ पर चढ़कर किसी तरह से कुएं के बाहर निकलने में कामयाब हो गया। सियार बकरी को वहीं पर छोड़ कर जंगल में भाग गया।
कहानी की सीख
जो लोग खुद मुसीबत में है उनकी सलाह नहीं मानी जाती। क्योंकि अक्सर मुसीबत में फंसे लोग अपने आप को मुसीबत से निकालने के लिए किसी भी हद तक जाते हैं।
3) शेर और हिरण की कहानी
एक बार एक बहुत ताकतवर शेर हिरण का पीछा कर रहा था।
हिरण बहुत तेज भाग रही थी जैसे ही शेर उसके करीब आ जाता वो तुरंत रास्ता बदल देती, पहले से भी तेज भागने लगती।
काफी देर तक उसका पीछा करते-करते शेर थक गया और आखिरकार उसने हिरण का पीछा करना छोड़ दिया।
यह सारा नजारा पेड़ पर बैठे कुछ बंदर देख रहे थे।जब शेर ने हिरण का पीछा करना छोड़ दिया और हार मान ली तब यह सारे बंदर उस पर हंसने लगे और उसका मजाक उड़ाने लगे। बंदर कहने लगे :- शर्म करो इतना ताकतवर और जंगल के राजा होकर भी तुम उस कमजोर हीरण को पकड़ ना सके!
शेर बोला :- मैं सिर्फ अपने खाने के लिए दौड़ रहा था। हिरण अपनी जान बचाने के लिए दौड़ रही थी। हम दोनों में यह फर्क था इसलिए आज वो मुझसे आगे निकल गई।
कहानी की सिख
किसी भी काम के पीछे का कारण उसके परिणाम पर बहुत ज्यादा असर करता है।
4) बाघ और शेर की कहानी
एक बार एक जंगल में बारिश नहीं हुई इसलिए जंगल के पास जो तालाब था वहां पीने के लिए भी पानी नहीं बचा।
मजबूरी में सभी जानवरों को पहाड़ पर झरने का पानी पीने के लिए उचाई पर चढ़ना पड़ता। कई बार कुछ जानवर पहाड़ से फिसल के गिर जाते।
एक दिन एक शेर और बाघ दोनों पानी पीने के लिए झरने के पास गए।
वहां पहोचकर दोनों में पहले पानी को पिएगा इस बात को लेकर बहस होने लगी ।
दोनों बहस करते करते एकदुसरे से लडने लगे। इतनी ऊंची चड़ाई करके दोनों पहले ही थके हुए थे लड़ाई ने दोनों का ज्यादा थका दिया। दोनों थोड़ी देर सांस लेने और थकान मिटाने के लिए लड़ना बंद कर दिए।
दोनों का ध्यान उपर आसमान में उनके सिर के ऊपर उड रहे गिद्दो पर पड़ी जो बड़ी बेसब्री से उन दोनों में से किसी एक या दोनों के पहाड़ से नीचे गिरने का इंतजार कर रहे थे।
शेर और बाघ ने आपस में सुलह कर ली और यह तय किया की गिद्दों का खाना बनने से अच्छा है दोनों साथ में पानी पिये और साथ में सावधानी से पहाड़ से नीचे उतर जाये।
कहानी की सिख
हमें हमेशा समय और परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए अपने फैसले लेने चाहिए नहीं तो हम बड़ी मुसीबत में पड़ सकते हैं।
5) बड़े कानों वाले खरगोश की कहानी
एक बार एक शेर अपने शिकार किए हुए हिरण को खा रहा था तब हिरण के सिंगो की वजह से शेर के मुंह में काफी खरोचे आई। शेर को बड़ा दर्द हुआ और उससे भी ज्यादा गुस्सा आया। शेर ने सोचा मैं इस जंगल में जिस भी प्राणी का शिकार करूं उसके पास नुकीले सिंग या कोई और नुकीली चीज नहीं होनी चाहिए जिससे मुझे नुकसान हो।
अब भाई शेर तो जंगल का राजा होता है और सारे जंगल के प्राणी उसकी बात मानते हैं इसलिए शेर ने पूरे जंगल में एक हुकुम जारी किया 'जिस भी प्राणी के सींग है वह तुरंत जंगल छोड़कर चला जाए वरना मैं सबको मार दूंगा।'
जंगल में हाहाकार मच गया खास करके वह सारे प्राणी जिनके माथे पर सिंग थे वे सब बेचारे अपनी जान बचाने के लिए तुरंत जंगल छोड़कर जाने लगे।
इस जंगल में खरगोश भी रहता था। वह यह एलान सुनने के बाद पूरी रात नहीं सो पाया! जब अगले दिन सुबह हुई वह भी अपना सारा सामान लेकर अपने पड़ोसियों को गुड बाय कह कर जंगल छोड़कर जाने लगा।
उसके पड़ोसियों ने जब उसे यह कहकर रोकना चाहा कि," तुम्हें भला किस बात का डर ? तुम्हारे सिर पर ना सींग है नाहीं तुम्हारे शरीर पर कोई और तरह का नुकीला हथियार है फिर भला तुम क्यों इस जंगल को छोड़कर जाना चाहते हो।"
खरगोश ने अपने पड़ोसियों को समझाते हुए कहा," मैं जानता हूं मेरे सिर पर कोई सिंह नहीं है। शेर अब हमारा दुश्मन बन चुका है और वह कभी भी मेरे इन दो खड़े कानों को सींग करार देकर मेरा शिकार कर सकता है।" इतना कहकर खरगोश उस जंगल को छोड़कर किसी और जंगल में रहने के लिए चला गया।
कहानी की सीख
अपने दुश्मनों को पहचान ना सीखो और हमेशा ध्यान रखो कि दुश्मन आपकी हर एक वस्तु में ऐसी खामियां ढूंढने की कोशिश करता है जिससे वह आपको नीचा दिखा सके इसलिए उसे ऐसा एक भी मौका मत दो।
6) साही और चूहों की कहानी
एक साही (Porcupine) काफी समय से अपने लिए रहने के लिए एक उपयुक्त जगह की तलाश कर रहा था। आखिरकार चूहों के एक बिल को देखकर उसे लगा कि यह जगह उसके रहने के लिए एकदम सही रहेगी।
इस बिल में चूहों का एक परिवार रहता था। साही ने चूहों के परिवार से विनती की, की उसे कुछ दिनों के लिए इस बिल में रहने की अनुमति दिया जाए। चूहों का परिवार इस साही के साथ अपना बिल साझा करने के लिए मान गए।
बहुत जल्दी ही चूहे के परिवार को इस बात की समझ आ गई कि उनसे बड़ी गलती हो गई है। उनको इस साही को अपने साथ रहने की अनुमति नहीं देनी चाहिए थी,क्योंकि आते जाते हर वक्त इस साही के नुकीले कांटे चूहों को बड़ी तेजी से चुभते और उन्हें काफी दर्द होता।
यह साही इन चूहों से बोला," कि मुझे यह जगह बहुत पसंद आ गई है। मैं इसे छोड़कर कहीं नहीं जाने वाला। हां अगर आपको दिक्कत है तो आप लोग जा सकते हैं! नहीं तो मेरे साथ ऐसे ही रहो।"
बेचारे चूहों का परिवार खुद ही अपना बिल छोड़कर दूसरी जगह पर रहने के लिए चला गया।
कहानी की सीख
दोस्तों दूसरों की मदद करना अच्छी बात होती है, लेकिन इस मदद से हमें या हमारे अपनों को कोई कष्ट ना हो इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए।