सच्ची हिंदी कहानी : कर्मो का फल | Hindi Kahani

सच्ची हिंदी कहानी : कर्मो का फल

 70 साल की एक बूढ़ी औरत जिसका पति अभी अभी उसे छोड़कर किसी और दुनिया में चला गया है।  जिसका अपने पति के अलावा इस दुनिया में कहने के लिए कोई और नहीं था, बाल बच्चे भी नहीं। पिछले कई दिनों से उसे घर खाली करने के लिए नोटिस पर नोटिस आए जा रही थी।


सच्ची हिंदी कहानी : कर्मो का फल


 उसने अपने जानने वालों और रिश्तेदारों से कई बार मदद के लिए गुहार लगाई लेकिन सिर्फ नाम के लिए ही उसेके अपने उसकी शिकायत पर ध्यान नहीं देते, उसकी सहायता के लिए कोई भी आगे नहीं आया। कई लोग तो उसे देख कर ही अपना रास्ता मोड़ लिया करते।


बेचारी करे भी तो क्या करें? आखिरकार वह दिन भी जल्दी आ पहुंचा जब उसके फ्लैट के मालिक ने उसको फ्लैट खाली कराने के लिए उसके पास कुछ सिक्योरिटी वाले भेज दिए। बूढ़ी औरत उन हट्टे कट्टे आदमियों को देखकर और भी ज्यादा सेहम गई। वो उनके आगे गिड़गिड़ाने लगी, उनके पैर पकड़ लिया और कहने लगी उसे सिर्फ 2 दिन की मोहलत दे दी जाए, वो कुछ भी करके अपने लिए रहने के लिए कोई और जगह की तलाश कर लेगी।


 मगर भाड़े के वो आदमी उसकी एक बात सुनने को तैयार नहीं थे। जब सिक्योरिटी वाले उस बूढ़ी औरत को धक्का मार के निकलने  ही वाले होते हैं तभी पीछे से एक आवाज आती है "खबरदार जो इस अम्मा को किसी ने हाथ भी लगाया तो, इन्हें इन्हीं के घर से कोई नहीं निकाल सकता!"


 सिक्योरिटी वाले हैरानी से उस आदमी को देखते हैं और पूछते हैं कि तुम्हारा मतलब क्या है? तब वह आदमी उस फ्लैट के पेपर दिखाता है जिन पर उसी बूढ़ी औरत का नाम होता है! वह उन्हें तुरंत वहां से निकल जाने के लिए कहता है। पेपर देखकर वह सिक्योरिटी वाले वहां से निकल जाते हैं।


 यह सारी घटना बूढ़ी औरत बड़े अचंभे में देखती रहती हैं। सब के जाने के बाद बूढ़ी औरत उस आदमी से पूछती है कि "बेटा, मैंने तुमको नहीं पहचाना लेकिन मैं इतना जरूर कहूंगी कि तुम आज मेरी जिंदगी में भगवान की तरह आए हो।" 


तब उस आदमी ने अपनी पहचान देते हुए उस बूढ़ी औरत से कहा "याद कीजिए माजी 20 साल पहले आप और आपके पति एक मंदिर आए थे।  वहां पर एक छोटा बच्चा आपसे स्कूल में भर्ती होने के लिए भीख मांग रहा था। आपके पति ने तो यह कहकर आपको मना कर दिया था कि इसको पैसे मत देना यह नशा कर लेगा और आगे चले गए थे। लेकिन आप वहीं पर रुक गई थी और आपने अपने पास रखे सारे पैसे उस बच्चे को दे दिए थे। आपने आशीर्वाद और एक ताबीज देते हुए उसे कहा था की भीख मांगने से अच्छा है छोटा मोटा काम करो और अपनी पढ़ाई पूरी करो, तुम्हें भगवान जरूर कामयाबी देगा।"


 माजी मैं वही भिखारी बच्चा हूं जो आप के बताए रास्ते पर चलकर आज इतना बड़ा हो गया है! एक एस्टेट एजेंट बन गया है और इस काम में बहुत शोहरत और दौलत कमाई है। इसी काम में मुझे इस बात की भी खबर रहती है कि किस दिन कौन सी प्रॉपर्टी खाली करवाई जाने वाली है। जब मैंने आपका नाम इस लिस्ट में देखा तो मुझसे रहा नहीं गया जो मदद आपने मेरी बरसों पहले की थी वह मैं आपको लौटाने आया हूं। इसलिए मैंने तुरंत आपका घर खरीद कर आपके नाम कर दिया है। 


 आपने जो ताबीज मुझे उस समय दिया था जिसने मेरी आज तक रक्षा कि है मैं वह आपको लौटाना चाहता हूं। मैं चाहता हूं कि  यह ताबीज अब आपकी रक्षा करें।


 हां मेरी एक और विनती है बुढ़ापे के समय में अगर मैं आपकी लाठी बन पाऊ तो मै अपने आप को खुशनसीब समझूंगा। यानी कि अगर आप मेरे साथ रहेगी तो मुझे और अच्छा लगेगा।


 बूढ़ी औरत यह सब बातें सुनकर बहुत खुश हो जाती है और उसकी आंखों से खुशी के आंसू बहने लगते हैं।


Hindi kahani ka moral


 दोस्तों कर्म एक चक्र की तरह होते हैं जो कभी ना कभी लौट के आपके पास जरूर आते हैं इसलिए जीवन में जब भी मौका मिले अच्छे कर्म करते रहिए


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