एक प्यारी कहानी साई बाबा और ब्राह्मण की | sai baba ki kahani

 एक प्यारी कहानी साई बाबा और ब्राह्मण की




ये कहानी है शिरडी की, हा, साई बाबा की शिरडी की। 


ये बात तबकी है जब बाबा की ख्याति चारो ओर फैलने लगी थी। बाबा की महिमा जानने के बाद हजारों लोग उन्हें प्रतिदिन मिलने आते। इन हजारों लोगों में एक ब्राह्मण ऐसा था जो बिना बाबा का दर्शन किए भोजन नही करता, चाहे कितनी भी देर हो जाए और अक्सर उसका नंबर आता तब तक रात हो जाती इसलिए वो सिर्फ रात का ही खाना खा पाता।


बाबा को उसपर दया आई सो एकदीन बाबा ने  उसे कहा - तुम यहां मत आया करो। बल्कि मै ही तुम जहा रहते हो वही आ जाऊंगा। वो खुश हो गया ये जानकर की बाबा खुद उसके घर आयेंगे तो मैं उनके साथ ही खाना खाऊंगा।


अगले दिन वो खाने की थाली सजाकर बाबा की राह देखने लगा। बाबा तो नही आए लेकिन एक कुत्ता सारा समय उसे परेशान करता रहा और बार बार उस थाली को खाने की कोशिश करता रहा।


 कई बार भगाने  पर भी जब कुत्ता नही जा रहा था तब गुस्से में ब्राह्मण ने उसे दो तीन डंडे मार दिए।


 दिन खत्म होने पर ब्राह्मण अपनी शिकायत लेकर बाबा के पास गया और उनसे कहने लगा - बाबा आप मुझे वचन देकर भी नही आए, मैंने ऐसी उम्मीद नहीं की थी।


साई बाबा बोले मैं तो आया था लेकिन तुम ही मुझे पहचान नही पाए और ऊपर से मुझे डंडे से भी मारा इतना कहकर बाबा ने अपनी पीठ उसे दिखाई जिसपर डंडे के निशान साफ देखे जा सकते थे! ब्राह्मण आश्चर्य और पश्चाताप से रोने लगा और साई बाबा से माफी मांगने लगा। बाबा मुझ अज्ञानी को माफ कर दो, मैं आप को पहचान नही सका। 


ब्राह्मण साई की मिन्नते करते हुए बोला बाबा मुझे बस एक और मौका दो इस बार में आपको निराश नहीं करूंगा। बाबा भी उसकी बात मानते हुए बोले ठीक है मैं आऊंगा। ब्राह्मण खुश होकर अपने घर लोट आया।


अगले दिन फिर से थाली सजाकर वो बाबा का इंतजार करने लगा। इसबार वो किसी कुत्ते के अपने द्वार पर आने की बाट जोह रहा था लेकिन उस दिन पता नही क्यों उसे एक भी कुत्ता नही दिखा। दोपहर हो गई कुत्ता तो नही आया पर एक बड़ा ही गंदा, कई दिनों से नहाया ही न हो और जिसके शरीर से काफी अंतर पर भी बदबू आती हो ऐसा भिखारी आया। भिखारी उससे थाली में पड़ा खाना मांगने लगा पर ब्राह्मण ने उसे देने से मना कर दिया और उसे वहा से जाने के लिए कहां।


भिखारी थोड़ी देर वहा खड़े रहने के बाद चला गया। एक और दिन खत्म हुआ और ब्राह्मण फिर से साई बाबा के दरबार में पहुंचा और बोला सच बताना इस बार आप नही आए ना? आपको कोई दूसरा जरूरी काम होगा!


बाबा बोले - मै आया था और खुद तुमसे वो भोजन भी मांग रहा था लेकिन तुमने फिर भी मुझे बिना खिलाए ही लौटा दिया।


ब्राह्मण ने दिमाग पर थोड़ा जोर दिया तो उसे समझ आया की वो भिखारी हि बाबा थे ! अपनी मूर्खता का पता चलने पर वो बाबा के आगे फुटफुट कर रोने लगा और एक बार बाबा से अपने घर आने के लिए कहने लगा।


बाबा ने इस बार मना कर दिया और बोले इसका कोई फायदा नही है मै आऊंगा और तुम पहले से ठान कर बैठोगे और मुझे कुत्ते या भिखारी में ढूंढोगे बस तुम इतना जान लो मैं हर किसी में हु, हर जगह हु इसलिए जो भी जरूरत मंद नजर आए उसकी सच्चे मन से मदद कर दो बस इतना काफी है मुझे खुश करने के लिए।


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