कहानी : लाख की आंख | motivational story
एक आदमी अपने जीवन से पूरी तरह निराश एक पहाड़ी पर जाकर वहां से कूदकर आत्महत्या करने की सोचता है।
गांव से दूर एक जंगल में एक ऊंची पहाड़ी पर पहुंचता है। जैसे ही वहां से कूदने वाला होता है पास में ध्यान लगा रहा साधु ध्यान से उठकर उसे रोकता है और पूछता है कि - क्या कर रहे हो?
आत्महत्या करने आया आदमी नसीब का रोना रोते हुए कहता है - क्या करूं बाबा जीवन में कोई कीमत ही नहीं रही है मेरी। कोई भी काम करता हूं असफल हो जाता। किसी के भी पास जाता हूं तो ठुकरा दिया जाता हूं। किसी भी दिशा में जाता हूं हार ही पाता हूं।
पता नहीं भगवान ने मुझे किस मनहूस घड़ी में बनाया है कि सोने को भी हाथ लगाता हूं तो मिट्टी हो जाती है। सोचता हूं दुनिया में कितने लोगों को भगवान ने असीमित मूल्यवान चीजें दी है और मुझे एक भी नहीं इन सब से परेशान मुझे एक ही हल दिखाई देता है अपने जीवन को समाप्त कर लेना।
सारी बात सुनने के बाद साधु उस आदमी से कहता है - देख भाई ,मैं तुझे मरने से नहीं रोकता! लेकिन हां अगर तु मरने ही वाला है तो जाते-जाते मेरा एक काम कर दे, मेरा फायदा हो जाएगा। तू तो वैसे भी मरने वाला है तो तुझे कोई नुकसान होने से रहा!
आदमी साधु से पूछता है - बोलो क्या कर सकता हूं में तुम्हारे लिए?
साधु कहता है - 4 गांव दूर जो नगर है उसका राजा एक अजीब शौक रखता है। उसे अलग-अलग प्राणियों के अलग-अलग अंगो को इकट्ठा करने का शौक है। अब तक वह हर प्राणी का कोई ना कोई अंग अपने पास संग्रह कर चुका है , बस उसे अब इंसान के अंगो की जरूरत है। मैंने सुना है कि वह इंसान की आंखों के लिए लाख रुपया तक देने के लिए तैयार है, तो तुम मरने से पहले अगर उसे आंखें बेच दो तो मुझे लाख रुपए मिल जाएगा।
आदमी बड़े आश्चर्य से साधु की तरफ देखता है और सोचता है कि कैसा लालची साधु है - मरते हुए आदमी को बचाने की तो छोड़ो, यह तो उल्टा उसकी आंखें ही बेचने के लिए कहता है! लेकिन जीवन से तंग आ चुका आदमी साधु के साथ जाने के लिए तैयार हो जाता है।
4 गांव दूर का रास्ता साधु और आदमी 2 दिनों में तय करते। 2 दिनों में उस आदमी के मन में हजारों विचार आते हैं। वो सोचता है - मै अपने आप को कितना गरीब समझता था लेकिन देखो आज मेरी केवल आंख के लिए लाख रुपए मिलने वाले है। अगर देखा जाए तो मेरे शरीर का हर एक अंग लाखो का होगा।
जब वे दोनो राजा के पास पहोचते है और राजा उसे देखता है, तो उसे आदमी की आंखे बहोत पसंद आती है वो कहता है तुम्हारी आंखे बहोत सुंदर है, मै ऐसी ही आंखे अपने संग्रह में शामिल करना चाहता था। उसकी बाते सुनकर आदमी का मन बदल जाता है और वो अपनी आंखे देने से मना कर देता है।
साधु उसे समझाता है की ऐसा मत करो तुम ने जब मरने की ठान ही ली है तो तुम्हारी आंखे भी मरेगी,तुम्हारे हाथ भी मरेंगे और तुम्हारे शरीर का हर एक अंग मर जाएगा तो क्या ये अच्छा नहीं होगा की जीते जी किसीका उनसे भला हो जाए। राजा भी उसे कहता है की 1 नही मै तुम्हे 10 लाख रुपए देता हु और साथ में मैं तुम्हारे कान और दांत भी खरीद लूंगा बस तुम मान जाओ।
आदमी गुस्सा हो जाता है और कहता है - पाप लगेगा आपको, किसी मरते हुए आदमी को बचाने के बजाय उसका फायदा उठाना चाहते हो।
तब साधु उसे कहता है की तुम तो कहते थे तुम निर्धन हो, मनहूस हो और भगवान ने तुम्हे कुछ भी कीमती वस्तु नहीं दी है। बस यही कारण है मै तुम्हे प्रवचन देने के बजाय तुम्हे यहां ले आया ताकि तुम खुद इस बात को समझ सको की भगवान ने तुम्हे अनगिनत अमूल्य वस्तुएं दी है बस तुम उनको अनदेखा कर देते और फिर अपने आप को दुखी कर लेते हो।
अंधा व्यक्ति शिकायत करे की भगवान तूने मुझे इंद्रधनुष क्यों नहीं दिखाया, मुझे रोशनी नहीं दी तो सही है। बेहरा शिकायत करे की मुझे नदी की खड़खड़ाहट और चिड़ियों कि चहचहाहट नही सुनने दी तो ठीक और बेहरा अगर अपनी बात बताने के लिए रोए तो भी ठीक है लेकिन जिसके पास सब होते हुए रोए तो वो एक तरह से भगवान का अपमान ही है।
आदमी अब साधु की बात पूरी तरह से समझ गया और उसने अब जीवन में कभी भी हार मान कर मरने का विचार त्याग दिया। वो हर दिन मंदिर जाता और कुछ भी नहीं मांगता बल्कि उसे भगवान ने जो कुछ दिया है उसके लिए धन्यवाद कहता और हर दिन खुशी से बिताता।