परिवार की कहानी | Motivational kahani
यह कहानी दो परिवारों की है। दो अलग अलग परिवार जिनमें सदस्य तो एक बराबर थे लेकिन एक में हमेशा झगड़ा होता रहता था वही दूसरे में लोग बेहद शांति और सुख से रहते थे। यह दोनों परिवार एक दूसरे के पड़ोसी भी थे।
झगड़ालू परिवार की पत्नी हमेशा इस बात से अचंभित रहती थी कि जहां उनके घर में हर दिन कोई ना कोई झगड़ा हो जाता है और दूसरी तरफ उनका पड़ोसी परिवार है जो कभी नहीं झगड़ते!
एक दिन उसने अपने पति को पड़ोसियों पर नजर रखने के लिए कहा और यह पता करने के लिए कहा कि जरा देखो तो इनके इतने शांत और मिलजुल कर रहने का राज क्या है?
पत्नी के कहे अनुसार पति अपने पड़ोसियों के घर के पीछे छुप गया और खिड़की से उन पर नजर रखने लगा। खिड़की से झांक कर देखा शांत परिवार की पत्नी फर्श पर पोछा मार रही थी तब अचानक किचन से कोई आवाज सुनाई दी तो वह अपना काम छोड़कर किचन में चली गई। उसी दौरान उसका पति उसी जगह पर आया जहा वो पोछा मार रही थी और बाल्टी से पैर टकराने से गिर गया।
पत्नी को जब यह पता चला तो उसने तुरंत अपने पति से माफी मांगी और कहा की मुझे माफ कर दीजिए मेरी गलती है जो मैंने तुरंत फर्श पर से बाल्टी नहीं हटाई।
तब पति बोला नहीं नहीं इसमें तुम्हारी नहीं मेरी ही गलती है मुझे ही देख कर चलना चाहिए था।
यह घटना देखकर उनकी खिड़की से झांक रहा झगड़ालू परिवार का पति सारी बात समझ गया। वह अपने घर लौट आया। जब उसकी पत्नी ने पूछा कि तुम्हें पता चला क्या राज है?
तब वह बोला - हा पता चला। हमारे और उनके परिवार में सिर्फ इतनी सी बात का फर्क है,जहां हम लोग हर छोटी-मोटी गलती के लिए एक दूसरे को जिम्मेदार ठहराते है और झगड़ते हैं। उनके परिवार वाले हर गलती की जिम्मेदारी खुद लेते हैं और माफी मांगने और उस गलती को सुधारने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं।
परिवार हो या कोई भी रिश्ता तभी अच्छे से चलता है जब अभिमान को दूर रखा जाए। हमेशा मैं ही सही हूं और मैं कोई गलती कर ही नहीं सकता यह एटीट्यूड के साथ कोई भी परिवार या रिश्ता ज्यादा चल नहीं सकता।
अच्छी लगी कहानी जी
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