कमी या ताकत?.. मोटीवेटिनल कहानी | motivational story

 कमी या ताकत?.. मोटीवेटिनल कहानी | motivational story 


कभी-कभी आप की सबसे बड़ी कमजोरी आपके जीवन की सबसे बड़ी ताकत बन जाती है।


कमी या ताकत?.. मोटीवेटिनल कहानी | motivational story


आप सोच रहे होंगे कि मैं क्या कह रहा हूं? कमजोरी भला ताकत कैसे बन सकती है? चलो इसे थोड़ा आसानी से इस कहानी के जरिए समझते हैं।


यह कहानी एक ऐसे 10 साल के छोटे बच्चे की है जो जूडो(कराटे) सीखने का मन बनाता है। जूडो सीखना कोई बड़ी बात नहीं है लेकिन इस बच्चे के लिए थी क्योंकि कुछ महीनों पहले ही इस बेचारे  बच्चे ने एक बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण कार एक्सीडेंट में अपना बाया हाथ खो दिया था!


दृढ़ निश्चई इस बालक ने अपने जापानी बूढ़े जूडो मास्टर से जूडो के पाठ सीखने शुरू कर दिए। बच्चा मास्टर के सिखाए पाठ को बड़े ही अच्छे से समझता, प्रैक्टिस करता और उनकी कही हर बात का ध्यान रखता लेकिन फिर भी उसे यह समझ में नहीं आता था कि क्यों पिछले कई महीनों से मास्टर उसे सिर्फ एक मूव ही सिखाए जा रहे थे।


1 दिन बच्चे ने अपने मास्टर से पूछ ही लिया,"मास्टर क्या आपको नहीं लगता कि मुझे और भी अलग-अलग मूव्ज सीखने चाहिए?"


मास्टर बोला,"तुम इस मूव को अच्छे से सिख चुके हो और तुम्हे इसे और भी ज्यादा अच्छे से सीखना चाहिए!"

लड़का अपने मास्टर की बात को ठीक से समझ नहीं पाया लेकिन फिर भी उसे अपने मास्टर पर भरोसा था इसलिए उसने मास्टर की बात का मान रखते हुए प्रैक्टिस जारी रख्खि।


कुछ महीने और बीत गए और 1 दिन मास्टर अपने उस छोटे से स्टूडेंट को एक प्रतियोगिता में हिस्सा लेने के लिए ले गया। और आश्चर्यजनक रूप से पहली दो मैचेस वह लड़का बड़ी आसानी से जीत गया।


तीसरी मैच बेशक ज्यादा कठिन होने वाली थी लेकिन तीसरी मैच में उसका प्रतिद्वंदी अपना धीरज खो देता है और यह लड़का अपना वही मूव आजमाता है जिसका उसने कई महीनों से लगातार प्रशिक्षण किया था।


लड़का खुद भी अपनी कामयाबी से आश्चर्यचकित रह जाता है। सब को हराने के बाद आखिरकार लड़का फाइनल्स में पहुंच जाता है।


फाइनल में लड़के के अपोजिट जो प्रतिद्वंदी था वह उससे कई बड़ा ज्यादा ताकतवर और ज्यादा अनुभवी मालूम होता था, वो लड़का बेमिसाल लग रहा था। मैच शुरू हुई और छोटा लड़का काफी मार खाने लगा।


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कहीं वो छोटा लड़का ज्यादा इंजर्ड ना हो जाए यह सोचकर रेफरी बीच में आया और उसने थोड़ी देर के लिए मैच रोक दी। रेफरी शायद पूरी तरह से मैच को खत्म करार दे देता लेकिन तभी मास्टर ने उसे ऐसा करने से मना किया और बोला कि इस मैच को जारी रखो।


मैच फिर से शुरू हुई कुछ देर बाद प्रतिद्वंदी ने एक गलती की और उस छोटे लड़के ने उसी गलती का फायदा उठाते हुए अपना वही मूव उस पर इस्तेमाल कर दिया जो वह अब तक करके जितता आया था। अपने से कई गुना ताकतवर और कदावर प्रतिद्वंदी भी उसके आगे ढेर हो गया! वह छोटा लड़का मैच जीता और प्रतियोगिता भी। वो विनर बना।


घर वापस लौटते हुए रास्ते में मास्टर और उस लड़के ने हर मैच के हर मूव का विश्लेषण किया। हिम्मत करके उस लड़के ने अपने मास्टर से वह सवाल पूछ लिया जो उसके दिमाग में कब से चल रहा था।


"मास्टर, सिर्फ एक मूव से मैं कैसे इतने सारे मैच और आखिरकार टूर्नामेंट भी जीत गया, कैसे?"


"तुम जीते उसके पीछे दो मुख्य कारण जिम्मेदार थे।" मास्टर ने कहा।


"पहला कारण के तुमने जुडो के सबसे कठिन मूव में महारत हासिल कर ली थी। और दूसरा कारण यह कि तुमने जो मूव सीखा था उससे बचने का एक ही उपाय है कि अगर तुम्हारा प्रतिद्वंदी तुम्हारा बाया हाथ पकड़ ले!


मास्टर ने जानबूझकर अपने शिष्य को इतने महीनों तक ऐसे मूव में महारत हासिल कराई जिसमें उसकी कमी ही उसकी ताकत बन गई। सच्चाई जानने के बाद लड़के की आंखों से आंसू बह निकले और उसकी आंखों में अपने मास्टर के लिए जो सम्मान था वह कई गुना बढ़ गया।


कहानी की सिख : छोटे लड़के से हम सीख सकते है की जीवन की कोई भी कमी आपको आगे बढ़ने से नहीं रोक सकती लेकिन  इस बात पहले आपको मानना होगा फिर दुनिया मानेगी।

मास्टर से हम सीख सकते हैं - दृष्टिकॉन बड़ा ही महत्वपूर्ण होता है। दुनिया के लिए जो कमियां है उसे हम दृष्टिकोण बदल कर ताकत में बदल सकते हैं। दुनिया के लिए जो कचरा है उसे हम मूल्यवान बना सकते हैं। पढ़े हिंदी कहानियों का सबसे बड़ा संग्रह

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