सुकून..एक शिक्षाप्रद कहानी | lessonable story
दोस्तों,सुकून एक ऐसी चीज है जो आप कही से खरीद नहीं सकते। सुकून पाने के लिए लोग क्या-क्या नहीं करते? लेकिन वो भूल जाते हैं जिस सुकून की तलाश में वो दर-दर भटकते हैं, वह तो उनके भीतर ही होता है।
मैं जानता हु की इन बातों को समझना थोड़ा मुश्किल जरूर है लेकिन यह कहानी उसे आसान बना देगी।
अक्षय और अजय यह दोनों एक गांव में रहने वाले दो दोस्त थे। अक्षय एक साधारण से परिवार का लड़का था और अजय की आर्थिक स्थिति उससे थोड़ी बेहतर थी। अजय का परिवार एक बड़े अच्छे घर में रहता था जो शहर से थोड़ा दूर लेकिन एक सुकून भरी जगह पर था।
अक्षय का घर अजय के घर के तुलना में छोटा था इसलिए वह हमेशा उसके घर से बड़ा घर लेने के सपने देखता था।
समय बीता अक्षय और अजय दोनों बड़े हो गए। अक्षय अपने सपनों का पीछा करते-करते एक प्रॉपर्टी एजेंट बन गया। उसने अच्छा खासा पैसा कमाया और शहर में जाकर एक बड़ा घर लेकर उसमें रहने लगा।
जब समय का पहिया घूमता है तो सब उलट-पुलट कर देता है। जहां पहले अक्षय अजय जैसी जिंदगी चाहता था अब अजय को अक्षय की तरह जिंदगी जीने की चाहत होने लगी।
अजय को लगने लगा की अक्षय कितना लक्की है, जो उसको इस गांव से दूर शहर में सारे एसो आराम और सुकून की जिंदगी मिली हैं। ऐसे विचारो ने अब अजय की निंदे उड़ाकर रख दी थी। उसे अब कुछ भी करके अक्षय की ही तरह शहर में जाकर बसना था।
काफी दिन परेशान रहने के बाद आखिरकार 1 दिन अजय ने अपना मन बना ही लिया और उसने अपना गांव का घर बेचकर उससे जो पैसे मिलेंगे उनसे शहर में घर खरीदने का सोचा। क्योंकि अक्षय एक प्रॉपर्टी एजेंट था तो अजय ने अक्षय को ही फोन लगा कर कहा कि भाई मेरा घर बेचना है, तो कोई अच्छा सा ग्राहक हो तो बताना।
अचानक अजय का ऐसा फैसला सुन अक्षय को बड़ा आश्चर्य हुआ। अक्षय ने अजय से पूछा कि क्या हुआ कोई परेशानी है ? पैसों की कमी की वजह से तो तुम घर नहीं बेच रहे हो ना?
अजय ने अक्षय से कुछ भी नहीं छुपाया और उसे सारी बात सच सच बता दी। अक्षय ने अजय को समझाने की काफी कोशिश की... वो उसे कहता रहा की शहर से अच्छा गांव ही होता है लेकिन अजय है कि किसी भी बात को सुनने के लिए तैयार नहीं था। आखिरकार अक्षय ने अजय का घर बेचने के लिए हामी भर दी।
अजय ने सोचा, जब तक घर बिक कर मेरे पास पैसे आते हैं, तब तक शहर में रह रहे अपने रिश्तेदारों के पास रहकर वहां के लोगों में घुल मिल जाता हूं ,तो आगे का जीवन थोड़ा आसान हो जाएगा।
अजय अपने शहरी रिश्तेदारों के यहां रहने चला गया। उनके साथ रहने पर अजय ने महसूस किया कि शहर की भागदौड़, पॉल्यूशन और शोर में वह उस सुकून को कभी नहीं हासिल कर सकता जिसके लिए वह गांव छोड़कर जाने वाला है।
लेकिन फिर भी गांव छोड़ने का मन बना चुका अजय ने एक तीसरा रास्ता निकाला। उसने सोचा वह ना ही शहर ना ही गांव में बल्कि शहर से कुछ किलोमीटर दूर किसी घर में रहेगा और वहीं पर सुकून की जिंदगी बिताएगा।
1 दिन अजय ने अखबार पढ़ते पढ़ते एक विज्ञापन देखा जिसमें ऐसे ही किसी घर के बारे में लिखा था जिसके बारे में वह सोच रहा था। घर जो शहर से कुछ किलोमीटर दूर था। अजय ने अक्षय को फोन लगाया और उसे कहा कि वह अपना गांव का घर बिकने के बाद इस विज्ञापन वाले घर को खरीदना चाहेगा इसलिए वह उसके मालिक से बात करके रखें।
अजय की बात सुन अक्षय फोन पर ही जोर जोर से हंसने लगा। अजय को कुछ समझ में नहीं आया कि अक्षय क्यों हंस रहा है। तब अक्षय ने अजय को कहा कि वह विज्ञापन उसी ने अखबार में दिया है और वह घर जो वह खरीदना चाहता है वह कोई दूसरा नहीं बल्कि अजय का खुद का घर है।
अजय को भी ध्यान आया कि उसका घर भी तो शहर से कुछ किलोमीटर दूर ही है और वह बेवजह ही उस चीज को तलाश रहा था जो पहले से ही उसके पास है!
दोस्तों यह कहानी सिर्फ अजय की नहीं है, यह कहानी है मेरी, आपकी और हमारे आसपास रहने वाले सभी लोगों की जो कभी ना कभी अपने पास जो है उन वस्तुओं का मूल्य नहीं करते या फिर जो अपने पास हैं उसकी कीमत कम आंकते है।
पूरी कहानी पढ़ने के लिए आप का धन्यवाद। हम दैनिक कहानियां इस वेबसाइट पर पब्लिश करते हैं और उसे हमारे व्हाट्सएप ग्रुप पर शेयर करते हैं आप चाहे तो इस ग्रुप से जुड़ सकते।
