कहानी : चमत्कारी पत्थर | Moral Story

 कहानी : चमत्कारी पत्थर | Moral Story 


दोस्तो, अगर आप आज की कहानी पूरी पढ़ लेते हैं तो मैं यकीन के साथ कहता हूं कि आप अपने समय को, अपने जीवन में आने वाले हर एक दिन को महत्व देने लगेंगे।


 इस कहानी से मैं आपके जीवन में कुछ वैल्यू एड कर पाऊंगा इस बात की मुझे खुशी होगी, इसके लिए आपको सिर्फ इस कहानी को पूरा पढ़ना होगा।


कहानी : चमत्कारी पत्थर| Moral Story



एक गरीब परिवार का लड़का था। उसने अपने बचपन से जवानी तक अपने बूढ़े मां बाप को बेशुमार मेहनत करते हुए देखा था। वह हर दिन मेहनत करते और हर दिन खाते। जीवन में उनकी कोई ख्वाहिश पूरी नहीं हो पाई थी।


जैसे हर बच्चे का सपना होता है कि वह जीते जी अपने मां-बाप को एक आराम की जिंदगी दे उनकी ख्वाहिश पूरी करें इस लड़के की भी ऐसी ही इच्छा थी। जैसे-जैसे मां बाप की उम्र बढ़ती जा रही थी इस लड़के को लगता जा रहा था कि कहीं उसके मन की यह इच्छा अधूरी ना रह जाए।


1 दिन इस लड़के को कहीं से एक सिद्ध पुरुष के बारे में पता चला। लड़के ने सोचा अगर वह इस सिद्ध पुरुष से कोई ऐसी चीज मांग ले जिससे वह अमीर बन पाए तो वह अपने मां-बाप को वो सब दे पाएगा जो वह उन्हें देने की सोच रहा है।


लड़का किसी तरह उस सिद्ध पुरुष का पता लगाकर उस तक पहुंच गया। उस सिद्ध पुरुष की सेवा करने लगा। काफी दिनों तक उस पुरुष की सेवा करने के बाद सिद्ध पुरुष ने उसे ऐसा करने का कारण पूछा। तब लड़के ने सिद्ध पुरुष को सब कुछ सच-सच बता दिया।


सिद्ध पुरुष को यह बात जान खुशी हुई कि लड़का अपने लिए नहीं लेकिन अपने मां-बाप के लिए धन दौलत कमाना चाहता है, इसलिए सिद्ध पुरुष उस लड़के को एक नदी के किनारे लेकर गया।


 सिद्ध पुरुष ने लड़के से कहा कि मैं चाहूं तो तुम्हें एक चुटकी में अमीर बना सकता हूं लेकिन अगर ऐसा हुआ तो तुम इस तरह मिली धन दौलत की  कीमत नहीं समझोगे। इसलिए मैं तुम्हें इस जगह लेकर आया हूं ,तुम इस नदी के किनारे ढेर सारे पत्थर देख रहे हो? उनमें से एक पत्थर ऐसा होगा जो किसी भी लोहे की चीज को छू लेगा तो उसे सोने का बना देगा! तुम्हें बस इतना करना है कि उसे ढूंढ कर निकालना है और अपने सारे सपने पूरे कर लेने हैं।


लड़का सिध्धपुरुष की बात सुनकर खुश हो गया। उसे लगा आखिरकार उसे ऐसा उपाय मिल गया जिससे वह कम समय में अपने मां-बाप की सारी इच्छा पूरी करने लायक पैसा जुटा पाएगा। सिद्ध पुरुष के जाने से पहले लड़के ने पूछा कि वह बाकी पत्थरों में से इस पत्थर को अलग कैसे पहचानेगा? सिद्धपुर ने उसे कहा कि जब तुम उस पत्थर को छुओगे तो बाकी के सभी पत्थरों से अलग वह तुम्हें थोड़ा गर्म महसूस होगा।



सिद्धपुरूस के जाने के बाद वह लड़का उस चमत्कारिक पत्थर की खोज में लग गया। वह नदी के किनारे पहुंचा। वह एक पत्थर उठाता, उसे छू कर देखता,महसूस करता और बाद में उस पत्थर को नदी के पानी में फेंक देता ताकि वह दुबारा उसके हाथ में ना आए।


वह उस दिन कई घंटों तक यही काम करता रहा लेकिन उसे वह पत्थर नहीं मिला। अगले 1 हफ्ते तक उसने हार नहीं मानी और वह हर दिन आता और उन पत्थरों को छूकर देखता और नदी में फेंक देता। जैसे जैसे दिन बीतते जा रहे थे वह पत्थरों को चुनने में और छूने में जल्दबाजी करने लगा। वह जल्दी से पत्थर उठाता और कुछ ही पलों में उसे नदी में फेंक देता।


 यह अब उसकी आदत बन गई थी। धीरे-धीरे 2 महीने बीत गए। आखिरकार वह पत्थर उसके हाथ में आया जो बाकी पत्थरों से गर्म था लेकिन जैसे उसकी आदत बन गई थी पत्थर उठाना और तुरंत उसे नदी में फेंक देना, उसने उस पत्थर के साथ भी वैसा ही किया! उसने पत्थर को उठाया पल भर में उसे नदी में फेंक दिया! फिर उसे महसूस हुआ कि वह वही पत्थर था जिससे वह इतने दिनों से ढूंढ रहा था। वह पत्थर उसके हाथ आया भी और नहीं भी। उसे अपने आप पर अपने उतावलेपन पर और अपनी लापरवाही पर बहुत गुस्सा आया।


दोस्तों इस कहानी से में काफी रिलेट कर पाता हूं। आप कर पाते हैं या नहीं मुझे पता नहीं। अगर हम अपने जिंदगी में आने वाले हर एक दिन को उस पत्थर की तरह देखें तो क्या हम भी उन्हें ऐसे ही बिना जांचे, बिना उनका अच्छे से इस्तेमाल किए वेस्ट नहीं कर रहे हैं? क्या हम हर एक दिन को कुछ नई चीज सीखने के लिए खर्च करते हैं?  हम हर दिन को हल्के में लेने लगते हैं और कभी-कभी हमें मिल रही बड़ी और ओपुरचुनित को भी हम हल्के में ले लेते हैं और फिर हम कभी सफल नहीं हो पाते।


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