कहानी : कर भला तो हो भला | Moral kahani
एक बेरोजगार शिक्षक था। वो नौकरी तलाशने के लिए काफी कोशिश कर रहा था लेकिन उसे नौकरी मिल ही नहीं रही थी। यह शिक्षक भगवान में बहुत आस्था रखते थे। अपने साथ कुछ अच्छा हो या बुरा वो सारी बातें भगवान से किया करते थे। कुछ अच्छा होता तो धन्यवाद देते और कुछ बुरा होता तो भगवान से शिकायत भी करते।
उनका अभी स्ट्रगल का दौर चल रहा था तो वह भगवान से शिकायत करते रहे थे , कहते की भगवान मुझे नौकरी क्यों नहीं दिलवाते हो? क्यों मुझे परेशान करते हो?
थोड़े दिनों बाद ही शिक्षक को एक कस्बे में सरकारी नौकरी लगी। शिक्षक ने तुरंत भगवान को धन्यवाद दिया और उनका आभार माना। लेकिन दिक्कत यह थी कि स्कूल गांव में था और उनका रहने का इंतजाम कस्बे में किया गया था। उनके मकान से स्कूल तक का अंतर 5 किलोमीटर था। शुरुआती दिनों में पैसे ना होने की वजह से उन्हें अक्सर इतना लंबा अंतर पैदल ही चलना पड़ता था। कभी-कभी उन्हें रास्ते में कोई वाहन दिख जाता तो उससे लिफ्ट मांग लिया करते लेकिन ऐसा बहुत कम होता था।
शिक्षक ने तय किया कि सबसे पहले वह पैसा जमा करके एक मोटरसाइकिल लेंगे। उन्होंने बड़ी करकसर करके, पाई पाई जोड़ कर के कुछ ही महीनों में मोटरसाइकिल लेने के लिए पैसे जुटा लिए और एक अच्छी सी मोटरसाइकिल खरीदी। अब उनका जीवन थोड़ा आसान होगया उन्होंने फिर से भगवान को धन्यवाद दिया।
उन्हें अपना पुराना समय अच्छे से याद था। उन्हें इतनी दूर तक चलने की तकलीफ भी याद थी। इसलिए वह स्कूल आने के समय और वापस घर जाने के समय हमेशा किसी ना किसी जरूरतमंद को अपनी मोटरसाइकिल पर बिठाकर लिफ्ट दिया करते थे। कभी किसी छोटे बच्चे को स्कूल छोड़ दिया ,कभी किसी बूढ़े को लिफ्ट दे दी, तो कभी किसी किसान को शहर छोड़ दिया। इस तरह से शिक्षक आ रहे हो या जा रहे हो कोई ना कोई उनके पीछे बैठा ही मिल जाता था। लोग उनकी बाइक को अब दूर से ही पहचानने लगे थे क्योंकि हर कोई जानता था कि अगर उनकी बाइक आते दिख गई तो लिफ्ट जरूर मिल जाएगी।
लोगों की मदद करके शिक्षक को भी बहुत अच्छा लगता था। 1 दिन शिक्षक स्कूल खत्म करके अपने घर को जा रहे थे। उस दिन कुछ ऐसा हुआ कि उनसे लिफ्ट मांगने वाला कोई भी नजर नहीं आया। आधे रास्ते तक पहुंचने पर एक आदमी ने उनसे लिफ्ट मांगी। शिक्षक ने तुरंत उस आदमी को बिठाने के लिए अपनी बाइक रोक दी। उस आदमी को बिठाकर शिक्षक अपने रास्ते चल पड़े। थोड़े दूर सुनसान जगा आने पर उस आदमी ने शिक्षक के पीठ पर चाकू रखा और उनसे कहा,"अब यह बाइक मैं चला लूंगा ,आप नीचे उतर जाइए और मेरा पीछा मत कीजिएगा।"
शिक्षक को लगा आज तो बुरा फंस गया। फिर भी शिक्षक ने कहा - दोस्त तुम चाहे तो यह बाइक ले लो। जहां जाना है चले जाओ लेकिन इस बात का जिक्र कभी किसी से मत करना क्योंकि इस रास्ते पर वैसे ही बहुत कम लोग गाड़ियों से जाते हैं और उनमें से भी बहुत कम लोग किसी को अपने साथ बिठाते हैं। अगर इस बात का पता लोगों को चल गया तो वे दूसरों को लिफ्ट देना बंद कर देंगे। उन लोगों का एक दूसरे पर से भरोसा उठ जाएगा। मैं भी इस बात का जिक्र किसी से नहीं करूंगा।
शिक्षक की बातें सुनकर एक बार तो उस लुटेरे का दिल भी पसीज गया लेकिन फिर उसने सोचा कि मैं कहा इसकी बातों में आ रहा हूं! उसने बाइक ली और वहां से चलता बना। शिक्षक जैसे तैसे फिर पैदल चलकर अपने घर तक पहुंचा और घर पहुंचकर भगवान से शिकायत करने लगा- क्या भगवान फिर से मुझे वहीं पर लाकर खड़ा कर दिया? शिक्षक उस रात बिना खाना खाए ही सो गया।
सुबह शिक्षक जब नींद से जागा तो उसने देखा कि उसकी मोटरसाइकिल उसके आंगन में खड़ी है और उस पर एक चिट्ठी चिपकी हुई है। शिक्षक ने बड़े आश्चर्य से अपनी बाइक से उस चिट्ठी को निकाला और उसे पढ़ने लगा।
चिट्ठी उसी चोर ने लिखी थी जिसने उनसे यह बाइक छीनी थी। उसने लिखा था कि मास्टर जी मुझे माफ कर दीजिए जो मैंने आपकी बाइक चुराई! यह बाइक तो कोई सेलिब्रिटी की तरह है। जैसे लोग किसी बड़ी सेलिब्रिटी को दूर से ही पहचान लेते हैं ,उसी तरह हर कोई दूर से ही इसे पहचान ले रहा था! मैं जहां भी जा रहा था लोग मुझे रोककर इसके बारे में पूछते थे और तरह-तरह के सवाल करते थे। मैं इस बाइक को क्यों चला रहा हूं? या मास्टरजी की बाइक आपके पास क्या कर रही है? मैं बहाने बनाते बनाते थक गया लेकिन लोग सवाल करते करते नहीं थके। मुझे पक्का यकीन है अगर थोड़े दिन यह बाइक मेरे पास रहि तो मुझे जरूर जेल जाना पड़ेगा इसलिए मैं यह बाइक आपको वापस लौटा रहा हुं।
चिट्ठी पढ़ते पढ़ते मास्टर जी की हंसी छूट गई और उन्हें यकीन हो गया की उन्होंने जितनी भी भलाई की है उसका फल भी उनको भला ही मिला है। उन्होंने फिर से भगवान को धन्यवाद दिया और फिर से लोगों की मदद में लग गए।
दोस्तों, यह कहानी हमें सिखाती है कि 'कर भला तो हो भला' दूसरों की मदद करेंगे तो भगवान भी आपकी मदद करेगा दूसरों का भला करेंगे तो आपका बुरा कभी नहीं होगा।
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