सुख : जीवन बदलने वाली कहानी| Motivational Kahani
एक शादीशुदा जोड़ा था। शादी होने के कुछ सालो तक तो सब ठीक चल रहा था, वे बहोत खुश थे लेकिन जैसे जैसे समय बीतने लगा इन पति पत्नी के जीवन से खुशियां कम होने लगी और उनकी जगह झगड़े, निराशा और दुख ने ले ली। पति पत्नी एक दूसरे से काफी ज्यादा प्रेम करते थे इसलिए वे चाहते थे की उनका जीवन फिर से पहले की तरह खुशियों से भर जाए।
दोनों अपना जीवन पहले की तरह बनाने के लिए कोशिश करने लगे लेकिन उनकी लाख कोशिशों के बावजूद उनका जीवन वैसा नही हो पा रहा था जैसा वो चाहते थे! जब ज्यादा बड़ा बदलाव नहीं नज़र आया तो दोनो ने अपने कुलगुरु के पास जाकर इस समस्या का समाधान पाने का निर्णय लिया।
वे अपने कुलगुरू के पास पहुंचे और उन्हें अपनी समस्या के बारे में विस्तार से बताया। उनकी बात अच्छे से सुनने और समझने के बाद कुलगुरू ने उन्हें एक उपाय बताते हुए कहा की अगर आप दोनो किसी ऐसे जोड़े को खोज लेते हो जो संपर्ण रूप से खुश है तो उसके कपड़े का एक टुकड़ा ले लेना बस उसी दिन से आपका जीवन बदल जायेगा और आपको वैसा जीवन मिलेगा जैसा आप चाहते हैं।
पति पत्नी इस उपाय को सुनकर खुश हो गए। उन्हें लगा ये अच्छा है क्योंकि उन्हें ऐसे जोड़े को तलाश करने में ज्यादा समय नहीं लगेगा जो पूरी तरह खुश हो और साथ ही साथ उन्हे थोड़ा घूमने का भी मौका मिल जाएगा!
इस जोड़े ने सोचा सबसे ज्यादा सुखी जोड़ा वही हो सकता है जिनके पास धन, धान्य की कमी ना हो इसलिए उन्होंने सबसे पहले अपने राजा और रानी को मिलकर उनसे पूछना बेहतर समझा की क्या वो संपूर्ण रूप से भी खुश है या नही। दोनो ने किसी तरह राजा और रानी को एक बार उनसे मिलने के लिए राजी कर लिया।
जब वे दोनों राजा रानी को मिलने गए तो उनका काफी अच्छे से स्वागत किया गया और खाने पीने को भी अच्छे से अच्छा खाना खिलाया गया। वे दोनों राजा रानी के साथ में बैठे थे तब मौका देख कर उन्होंने राजा रानी से पूछ लिया की क्या वो अपने जीवन में खुश है?
राजा रानी दोनों ने कहां हा बिल्कुल वे दोनों जीवन में खुश है।
राजा रानी का जवाब सुनकर जोड़े को खुशी हुई लेकिन फिर भी उन्होंने आगे बढ़ कर पूछा क्या आप दोनों पूरी तरह से खुश हो?
यह सवाल सुनकर राजा रानी के चेहरे पर थोड़ी सी उदासी छा गई! राजा ने कहां हालाकी भगवान ने हमें जीवन मैं हर वह वस्तु दी है जिसकी जरूरत होती है, या यूं कहूं कि जरूरत से ज्यादा ही दी है लेकिन एक संतानसुख अबतक हमे नसीब नहीं हुआ।
राजा का जवाब सुनकर जोडे को पता चल गया कि वे संपूर्णतः सुखी नहीं है। उन्होंने अपना सफर आगे जारी रखा उन्हें पता चला कि दूसरे राज्य में एक बहुत धनी सेठ है।
इस सेठ के पास धन दौलत के साथ-साथ बाल बच्चे भी थे इसलिए उन्होंने उनसे जाकर पता करना चाहा कि क्या वह पूर्णतः सुखी है या नही?
उनके घर पर एक-दो दिन रहने के बाद यही सवाल उनसे पूछने पर सेठ और सेठानी का कहना था कि सब कुछ होते हुए भी वह पूर्ण रूप से सुखी नहीं है क्योंकि उनके चार पांच बच्चो को संभालने में उनका पूरा वक्त चला जाता है और उन्हें अपने जीवन में बाकी सुख भोगने के लिए समय ही नहीं बचता। पति पत्नी का जोड़ा वहा से भी निराश होकर निकला।
वो अपने जान पहचान और अनजाने कई लोगो से मिले पर अंत में उन्हें यही पता चला की सबके जीवन में कोई न कोई ऐसी कुछ तो कमिया है जिनकी वजह से वो अपने आपको पूर्णतः सुखी नहीं समझते थे।
अंत में पति पत्नी एक किसान दम्पति से मिले जो दोपहर में खेत में काम करने के बाद खाना खाने के लिए बैठे थे। उनके चेहरे पर जो बेफिक्री और शांति उन्होंने देखि वो पहले किसी के चहरे में नहीं देखि थी , जोड़े को लगा की शायद अब उनकी तलाश खत्म हो जाएगी!
किसान पति पत्नी के पास जाकर दोनों ने उनसे पूछा की क्या वो अपने जीवन में खुश हैं? किसान और उसकी पत्नी ने कहा है बिलकुल वो खुश है। जोड़े ने किसान से अपना अगला सवाल भी किया कि क्या वो जीवन में पूर्णतः खुश है? किसान ने मुस्कराते हुए कहां बिल्कुल दुखी होने के लिए उसके पास कोई कारण ही नहीं है!
ऐसे ही हर तरह से सुखी दंपती की तलाश कर रहे जोड़े ने जब खुश होकर अपने सफर और कारण के बारे में बताते हुए किसान से उसके कपड़े का एक टुकड़ा मांगा तब किसान चिंतित होकर बोला की अगर उसके पास एक से ज्यादा कपड़े होते तो वो जरूर उन्हे अपना कपड़ा फाड़ कर दे देता! इसका यह मतलब था कि किसान भी पूरी तरह से खुश नहीं था क्योंकि उसको चिंता थी कि अगर उसका कपड़ा फट गया तो अगले दिन क्या पहनेगा?
अपनी खोज में पूरी तरह असफल हो चुके पति पत्नी को आखिरकार ये समझ में आ गया की पूर्णतः सुखी और खुश इस संसार में कोई भी नहीं है ! ये हमारे विचार ही होते है जो हमे किसी वस्तु को लेकर सुखी या दुखी, खुश या नाखुश करते है। जैसे की संतान ना होना किसी को दुखी करता है, तो किसी को संतान है और वो शरारत करते है ये विचार दुखी करते हैं। किसी को कम धन होना दुखी करता हैं तो किसी को ज्यादा धन कोई चुरा ना ले ये विचार दुखी करते है....
कहानी की सिख
इस कहानी का निष्कर्ष आप ऐसे निकाल सकते है की आप कितने खुश या सुखी हो सकते है ये पूरी तरह आप ही के हाथो में हैं। आप जितना चीजों के या सिचुएशंस के प्रति सकारात्मक विचार रखते है आप अपने आपको उतना ही सुखी और खुश होने में मदद करते है।
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