' एक हजारों में मेरी बहना ' इमोशनल कहानी | Behan ke pyar ki kahani
बहन की शादी को 12 साल हो चुके थे। उसका ससुराल पड़ोस के गांव में था। लेकिन मैं अब तक कभी उसके घर नहीं गया था। लेकिन वह कभी कबार सब से मिलने घर आती थी। एक दिन मेरी पत्नी ने मुझसे कहा कि, तुम्हारी बहन जब भी आती है तो उसके बच्चे पूरे घर पर कब्जा कर लेते हैं और बहुत परेशान करते हैं! पूरे घर में सामान फैला देते हैं। खर्चा तो 2 गुना बढ़ जाता है। तुम्हारी मां तो चोरी चुपके से उसे साबुन, वॉशिंग ,पाउडर, चावल, और दाल यह सब चीजें देती रहती है।यह सब सुनकर मुझे बहुत गुस्सा आया।
मैं मुश्किल से घर का खर्चा चला पाता हूं और मेरी मां मेरी बहन को सब कुछ दे देती है! एक बार बहन घर आई थी।तभी उसके बेटे ने टीवी का रिमोट ही तोड़ दिया। मुझे गुस्सा आ गया और मैंने अपनी मां से कहा कि दीदी को ऐसे बार-बार घर नहीं आना चाहिए। बस दिवाली पर ही आया करें और जो तुम झोला भर के सामान देती हो वह भी बंद कर दो। मां ने कुछ नहीं कहा, पर बहन ने सब सुन लिया था लेकिन वह भी कुछ नहीं बोली!
4:00 बज चुके थे। उसने अपने बेटे को तैयार किया और कहा भाभी मुझे बस स्टॉप तक छोड़ दो मैंने ऐसे ही झूठ मुठ दीदी को बोला..जा रही हो दीदी? कुछ दिन और रुक जाती। उसने मुस्कुराते हुए कहा- अरे नहीं बच्चों की छुट्टियां खत्म हो रही है हमें जाना चाहिए अब। एक दिन हम दोनों भाइयों के बीच जमीन का बंटवारा होने वाला था। तभी दीदी भी आई थी। लेकिन मैंने उनसे सीधे कह दिया कि मैं अपने हिस्से से कुछ नहीं दूंगा। मां ने कहा कि बेटी का भी अधिकार होता है लेकिन मैंने उसे चिल्ला कर कहा कि मैं उससे कुछ नहीं दूंगा। दीदी सामने बैठी थी ,पर कुछ नहीं बोल रही थी।
अलग होने के कुछ दिनों बाद मेरे बड़े बेटे को टीवी की बीमारी हो गई। मेरे पास उसके इलाज के लिए बिल्कुल पैसे नहीं थे। मैं बहुत तनाव में था। ऐसे ही एक दिन मेरी बहन घर आई और मेरे पास बैठ गई। उसने अपना हाथ मेरे सिर पर फेरा और कहा कि तुम तनाव में हो क्या?
मैं तुम्हारी बड़ी बहन हूं मैंने तुम्हें बचपन से पाला है , तुम्हें जानती हूं मैं और तुम मुझसे भी ज्यादा बड़े दिखते हो। उसने अपने हाथों से सोने की चूड़ियां निकाली और मेरे हाथों में दे दी। उसने कहा तुम पागल हो तुम ऐसे ही टेंशन ले रहे हो। यह चूड़िया लो और अपने बच्चे का इलाज करो।
वह धीरे से बोली चूड़ी के बारे में किसी को मत बताना। तुम्हें मेरी कसम है। उसने फिर से अपना हाथ मेरे सिर पर फेर दिया। उसने मुझे 1000रुपए दीये उसमें 50 और 100 के नोट थे। शायद उसने बचत करके जमा किए होंगे! यह पैसे जेब में रखते हुए बोली कि, बच्चों को जो चाहिए ले लो और इस तरह टेंशन लेकर मत बैठो। चलो मुझे अभी जाना है। बच्चे स्कूल गए थे,इसीलिए सोचा जल्दी जाकर भाई को मिल कर आऊं इसीलिए आ गई।
तभी मेरा ध्यान दीदी के पैरों पर गया,उसने टूटी हुई चप्पल पहन रखी थी! और पुराना दुपट्टा पहना था। वह जब भी घर आती थी। उसके कंधे पर हमेशा वही दुपट्टा रहता था। बहुत जल्दबाजी में चली गई और मैं कुछ नहीं बोल पाया। हाथों में वह चूडिया लिए मैं जोर-जोर से रो रहा था। हम भाई कितने स्वार्थी होते हैं ना, पल भर में बहन को पराया कर देते हैं और बहने अपने भाई का जरा सा भी दर्द बर्दाश्त नहीं कर पाती। उसके घर में वह कई समस्याओं का सामना करती है।
दोस्तों हमें थोड़ा समय देकर और अपनी बहन से हाल-चाल पूछना चाहिए। बस एक पल के लिए मुस्कुराएंगे उतना काफी है। उन्हें हमसे और कुछ नहीं चाहिए होता है। यह सच है किसी ने कहा है कि एक बहन दूसरी मां होती है।
