गाड़ी की कीमत : सोच बदल दे ऐसी कहानी | Hindi Story

 कार की कीमत : सोच बदल दे ऐसी कहानी | Hindi Story 


बेटी का 25 वा जन्मदिन आनेवाल था। पिता को अपनी बेटी की काफी चिंता थी क्योंकि बेटी आजकल काफी डिप्रेस्ड रहने लगी थी। उन्होंने बेटी से कारण जानने की काफी कोशिश की लेकिन वो बाप को कुछ भी बताना नही चाहती थी। 


सोच बदलदेने वाली कहानी


बाप कुछ भी करके अपनी बेटी को डिप्रेशन से बाहर लाना चाहता था। उन्होंने उस हर जगह की मुलाकात की जहां उसकी बेटी ज्यादा समय बिताया करती थी और वहां के लोगों से पता किया कि आखिर उसके जीवन में क्या चल रहा है? 


पिता को इस बात की जानकारी हुई कि उसकी बेटी जहां पर काम करती है, वहां उसके ऊपरी अधिकारी उसके काम में अक्सर गलतियां निकालते रहते हैं और उसे डिमोटिवेट करते रहते हैं। पिता होने के नाते अपनी बेटी की ऐसी दशा देखकर उन्हें बहुत दुख हुआ लेकिन उन्होंने ठान लिया कि वह अपनी बेटी की परिस्थिति को बदलकर रहेंगे!


बेटी के जन्मदिन पर पिता ने बेटी को अपने पास बुलाया और एक गाड़ी की चाबी देते हुए कहा,"बेटी यह गाड़ी मैने तुम्हारे लिए कई सालों पहले ली थी लेकिन तुम्हें दे नहीं पाया। आज मैं तुम्हें यह गाड़ी तुम्हारे जन्मदिन के मौके पर देना चाहता हूं लेकिन तुम्हे मेरे लिए एक काम करना होगा।"


बेटी ने पिता की बात मानते हुए कहा कि बोलिए मुझे क्या करना है?


पिता ने बेटी से कहा की इस गाड़ी को लो और इसे भंगार वाले के पास जाकर इसकी कीमत पता कर आओ!


पिता के कहे अनुसार बेटी भंगार वाले के पास गई और उसने गाड़ी की कीमत पूछी और अपने पिता के पास वापस आ गई। पिता के पूछने पर बेटी ने उन्हें बताया कि भंगार वाले के मुताबिक यह गाड़ी काफी पुरानी है और कई जगह से जंग खा चुकी है इसलिए वह इसके 10000 देगा।


फिर पिता ने बेटी से कहा," अब तुम इस गाड़ी को सेकंड हैंड गाड़ी की दुकान पर लेकर जाओ और इसकी कीमत पता कर के आओ।" बेटी ने वैसा ही किया और वह सेकंड हैंड गाड़ियों की दुकान पर जाकर उस गाड़ी की कीमत पता करके वापस आई। बेटी ने खुश होकर पिता से कहा," दुकान के मालिक ने इस गाड़ी के बदले ₹100000 ऑफर किए!"


पिता थोड़ा सा मुस्कुराए और बेटी से बोले," बहुत अच्छे! एक आखरी बार इस गाड़ी को विंटेज गाड़ियों के क्लब में लेकर जाओ और वहां से इसकी कीमत पता करके आओ।" बेटी भी अब उत्साहित थी यह जानने के लिए कि इस गाड़ी की कीमत वहां पर कितनी  आंकी जाएगी?


कार क्लब से वापस लौटी बेटी आश्चर्यचकित थी। वह आते ही अपने पिता से बोली," पिताजी यह कितनी अचरज की बात है कि जिस गाड़ी को भंगार वाला 10000 का बोल रहा था, उसी गाड़ी को खरीदने के लिए कार क्लब में लोग बोलिया लगाने के लिए तैयार थे!  उनके हिसाब से यह गाड़ी काफी विंटेज है और रेयर है वह तो इसके लिए 30 40 लाख तक देने को तैयार हो गए थे!"


पिता ने अपनी बेटी के कंधों पर हाथ रखा और बोले," बेटी यही सब हम मनुष्यों के साथ भी होता है। अगर हम गलत जगह पर होते हैं तो हमारी कीमत कम आंकी जाती है। हमें वह पोजीशन वह इज्जत नहीं मिलती जो हम डीसर्व करते हैं। इसलिए जब भी कभी हमें लगे कि हम में कोई कमी है तो एक बार ऐसा जरूर सोचना कि हो सकता है हम गलत जगह पर हो। जब हमें हमारी सही जगह मिल जाती है तो हम वहां बहुत अच्छा काम कर पाते हैं और लोगों से हमें अच्छा अप्रिशिएसन भी मिलता है।"


बेटी को अपने पापा की बात बहुत अच्छे से समझ में आ गई। बेटी ने अपने बाप को गले से लगा लिया। उसकी आंखों में आंसू थे वह बोली," पिताजी आपने मेरे मन का बहुत बड़ा बोझ हल्का कर दिया! वरना मैं यही सोच सोच कर दुखी रहती थी कि मुझ में ही कुछ कमी है और मैं किसी काबिल नहीं हूं!"


अगले ही दिन बेटी ने उस काम को छोड़ा और कुछ ही दिनों के बाद उसे एक अच्छा जॉब मिल गया जहां उसके काम की सराहना की जाने लगी। उस दिन के बाद बेटी ने कभी डिप्रेशन महसूस नहीं किया।


अन्य कहानियां 


एक टिप्पणी भेजें

और नया पुराने