प्रयच्छित : हिंदी कहानी | Kahani

 प्रयच्छित : हिंदी कहानी | Kahani 


बहुत समय पहले की बात है, एक छोटे से गांव में एक युवक रहता था। वह बहुत ही नीचे जाति का था और उसके साथ बचपन से ही अन्याय होता आया था। लोग उसे घृणा करते और दूसरे लोगों की सेवा करने के लिए बुलाते थे। इसके कारण युवक का मन बहुत ही कष्ट से भरा रहता था।


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युवक अपनी ज़िंदगी में बदलाव लाना चाहता था, लेकिन उसके पास इसके लिए कोई विकल्प नहीं था। वो किसी भी तरह इसका कारण और उपाय जानना चाहता था। एक दिन, वह एक साधु बाबा के पास गया और अपनी समस्या बताई। बाबा ने युवक से कहा, "बेटा, ये सब तेरे पूर्वजन्म के पापो के कारण तेरे साथ हो रहा है। प्रायश्चित तेरी समस्या का समाधान है। तू अपने अच्छे कर्म करने और दूसरों की मदद करने में लग जा, तभी तू अपनी ज़िंदगी को सुखी बना सकेगा।"


युवक ने उस बाबा की सलाह मान ली और जरूरतमंद लोगो की सेवा करने का निर्णय लिया। वह अब लोगों की सहायता करने में लग गया। चाहे वह रास्ते में फंसे व्यक्ति की मदद करें, या गांव के स्कूल में बच्चों को पढ़ाने में सहायता करें, युवक ने सभी के लिए अपनी सेवाएं प्रदान की। धीरे-धीरे, उसकी मेहनत और समर्पण के कारण, उसे लोगों का सम्मान मिलने लगा।


कुछ समय बाद, उसी गांव में एक महापुरुष आये और सभी लोगों को बताया कि उसे गांव की सभी जातियों के लोगों की सहायता करनी है। उस महापुरुष की दृष्टि उस युवक पर भी पड़ी। महापुरुष ने उसे देखकर कहा, "तू बड़ी मेहनत कर रहा है और लोगों की मदद कर रहा है, इससे तेरे पहले के पाप माफ हो जाएंगे।"


युवक को अचानक अपने पहले के पाप की याद आई। उसने महापुरुष से पूछा, "महापुरुष जी, क्या आप मुझे बता सकते हैं, कितना प्रायश्चित करना पड़ेगा?"


महापुरुष ने कहा, "बेटा, तेरे पापों का प्रायश्चित हो चुका है, क्योंकि तू अब एक नया इंसान बन गया है। जब तूने अपने अच्छे कर्मों से बुराई को दूर किया, तब तूने प्रायश्चित कर दिया। अब तू दूसरों के लिए एक प्रेरणा बन गया है और वो तेरा सच्चा प्रायश्चित है।"


इस कहानी से हमें यह सिख मिलती है कि जीवन में अगर हम अपने पापों से मुक्त होना चाहते हैं, तो हमें अपने अच्छे कर्मों के माध्यम से बुराई को दूर करना चाहिए। यदि हम दूसरों की सेवा करने के लिए अपना जीवन समर्पित करते हैं, तो वो सबसे अच्छा प्रायश्चित होता है जो हमारे सभी पाप नष्ट कर देता है।

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