राजा और दो गरुड़ों की कहानी |preranadayak kahani
एक बार एक राजा दो गरुड़ के बच्चे लाया। राजा ने एक गरुड़ को अपने हाथ में लिया और अपने हाथ के झटके से उसे आकाश में उड़ा दिया। तुरंत वह आसमान में ऊंची उड़ान भरने लगा, जबकि दूसरा अपनी डाल पर बैठा था। वह उड़ नहीं रहा था।
यह देखकर राजा को बहुत दुख हुआ। राजा ने अपने राज्य में ऐलान कर दिया कि, जो कोई भी इस दूसरे गरुड को आकाश में उड़ाने में सफल हो जाएगा तो उसे सोने के सिक्के बख्शीश में दिए जाएंगे।
इस ईनाम का लालच से कई लोग आए,लेकिन कोई भी गरुड़ को उड़ा नहीं सका। ऐलान सुनकर एक गरीब किसान राजा के पास आया और उसने अनुरोध किया कि वह गरुड़ को उड़ाने की कोशिश करेगा। बहुत सारे महारथी थक गए, वहां पर यह गरीब किसान क्या कर पाएगा भला? ऐसा विचार राजा के मन में आया, लेकिन उन्होंने फिर भी उसे लिए सहमति दे दी क्योंकि गरुड़ का उड़ना जरूरी था । किसान गरुड़ के पास गया और वापस आ गया!
राजा ने पूछा क्या हुआ उड़ा क्या गरुड़? फिर किसान ने आसमान की ओर इशारा किया, राजा ने आकाश की ओर देखा और देखकर आश्चर्य से राजा की आंखे खुली की खुली रह गई! वह दूसरा गरुड़ पहले गरुड से ज्यादा ऊंचाई पर आसमान में उड़ रहा था।एल!
राजा आश्चर्य से देखता रहा, उस झटके से उबरने के बाद राजा ने किसान से पूछा अरे तुमने यह कैसे किया? किसान ने कहा," मैंने कुछ अलग नहीं किया! मैंने बस वह गरुड जिस डाल पर बैठा था,वह डाल तोड़ दी। उसी समय वह आसमान में ऊचा उड़ा!
अरे कभी तो अपने अंदर जाकर देखो। क्या जीवन बस इतना ही है? याद रखें कि आपके डाल को कोई काटने नहीं आएगा। आसमान में ऊंची उड़ान भरनी है तो खुद को ही खुद की डाल तोड़नी होगी। कभी खुद ही तोड़ कर देखो, जितना आप महसूस करते हैं,उससे कहीं अधिक जीवन में करने को है।
लेकिन आपने खुद को एक पारंपरिक मध्यवर्गीय मानसिकता की चार दीवारों में बंद कर लिया है और इससे भी ज्यादा चिंता की बात यह है कि, आप दुनिया को चार दीवारों के रूप में देखते हैं! फिर आप जिए हैं और जिएंगे, लेकिन कृपया अपने बच्चों को इन डालियों से ना बांधे! उन्हे मन की शांति के साथ आकाश में उड़ने दे। हो सके तो इनकी डाल को आपही तोड़ दे फिर देखना तुम्हारी डाली पर बैठा वह पंछी कैसे ऊंचे बहोत ज्यादा ऊंचे उड़ता है।
