' स्कूटर है या अमिताब बच्चन ! ' मजेदार कहानी | Majedaar Kahani

 ' स्कूटर है या अमिताब बच्चन ! ' मजेदार कहानी | Majedaar Kahani 


सागर शास्त्री नाम के एक शिक्षक थे। प्राइमरी स्कूल के बच्चों को पढ़ाते थे ।उनका स्कूल गांव से 7 किलोमीटर दूर था । उनके पास कोई वाहन नहीं था। स्कूल के आस-पास का इलाका पूरी तरह सुनसान था। 


Majedaar Kahani, funny story


इसलिए वे अक्सर किसी से लिफ्ट मांगते थे। कभी-कभी लिफ्ट  नहीं मिलती थी, तो पैदल ही चले जाते थे। यह सोचकर कि भगवान ने मुझे दो पैर दिए हैं कब काम आएंगे? जब सागर  जी रोज लिफ्ट मांगने खड़े होते थे, तो उन्हें लगता था कि, सरकार ने इतनी सुनसान जगह पर स्कूल क्यों खोला? इससे  अच्छा गांव में ही किराना की दुकान खोल लेता तो अच्छा होता।

  

 रोज रोज की भागदौड़ से बचने के लिए सागर शास्त्री जी ने कुछ पैसे बचाए और होंडा कंपनी का एक नया स्कूटर खरीद लिया। खुद का वाहन ना होने के कारण सागर शास्त्री जी ने जो कष्ट सहे ,उन्होंने अपने मन में गांठ बांध ली और तय किया, कोई लिफ्ट  मांगे तो उसे मना नहीं करेंगे। क्योंकि उनको यह पता था कि, अगर कोई हमें लिफ्ट के लिए मना करता था,तो कितना बुरा लगता है। अब सागर जी रोज अपने स्कूटर से स्कूल जाते थे ।और रास्ते में कोई उनसे रोज लिफ्ट मांग कर उनके साथ चला जाता था। वापसी के रास्ते में भी कोई ना कोई उनके साथ आता था।

    

एक दिन जब सागर जी स्कूल से लौट रहे थे, तो सड़क पर एक आदमी मायूस होकर लिफ्ट के लिए हाथ दिखा रहा था। सागर जी ने अपनी आदत के अनुसार अपना स्कूटर रोका और वह व्यक्ति बिना कुछ बोले स्कूटर पर बैठ गया। थोड़ा आगे जाकर उस आदमी ने चाकू निकाला और कहा सारे पैसे और यह स्कूटर मुझे दे दो।


   इस धमकी ने सागर जी को पूरी तरह से डरा दिया और तुरंत सागर जी ने  अपनी स्कूटर रोका। वह स्कूटर था जिससे वह बहुत प्यार करते थे।सागर जी ने उस स्कूटर की चाबी देते हुए एक बिनती किया।


      सागर जी ने बिनती करते हुये  उससे कहा कि तुम किसी को यह मत बताना, कि तुमने स्कूटर  कहां से और कैसे चुराया। यकीन  करो मेरा,मैं पुलिस में रिपोर्ट भी नहीं करूंगा! इस आदमी ने आश्चर्य से पूछा क्यों?

 दिल में डर और चेहरे पर उदासी लिए सागर जी ने कहा, यह सड़क बहुत उबड़ खाबड़ और सुनसान है। इस सड़क पर न के बराबर वाहन चलते हैं। साथ ही अगर इस सड़क पर ऐसी घटनाएं होती रही तो लिफ्ट देने वाले चंद लोग भी लिफ्ट  देना बंद कर देंगे।


 सागर जी की इस भावनात्मक बातों आदमी के मन को छू गई। उसे सागर जी एक अच्छा इंसान लगे लेकिन वह भी अपना पेट भरना चाहता था। ठीक है ऐसा बोल कर  वह स्कूटर  लेकर वहां से निकल गया।


   अगली सुबह जब सागर जी अखबार लेने  बाहर  दरवाजे के पास आए और दरवाजा खोला तो सामने उनको अपना स्कूटर दिखा! सागर जी की खुशी का तो ठिकाना ही नहीं रहा। वे स्कूटर के पास दौड़े और अपने स्कूटर पर प्यार से हाथ फेरने लगे। मानो जैसे उनका बच्चा था। उनको वहां एक कागज चिपका हुआ मिला।

     उस पर लिखा हुआ था...मास्टर साहब यह मत सोचिए कि आपकी बातों से मेरा दिल पिघल गया। कल मैंने आपका स्कूटर  चुराया और गांव गया और सोचा कि उसे भंगार वाले को बेच  दूं, लेकिन जैसे ही भंगार  वाले ने वह स्कूटर देखा, मेरे कुछ कहने से पहले ही वह भंगार  वाला बोला,अरे यह तो मास्टर साहब का स्कूटर है! उससे बचाने के लिए प्रयास में मैंने उसे कहा हां मास्टर साहब ने मुझे बाजार में काम से भेजा है। शायद उसे मुझ पर शक हो गया था।


    मैं वहां से चला गया, और एक बेकरी में गया। मुझे बहुत भूख लगी थी। और ऐसा सोचा कुछ खा लू। बेकरी वाले की नजर स्कूटर पर पड़ते ही वह बोला अरे यह तो मास्टर साहब का स्कूटर है। यह सुनकर मैं तो डर गया और असमंजस से  बोला..हां यह चीजें में उनके लिए ही ले जा रहा हूं क्योंकि उनके घर पर कुछ मेहमान आए हुए हैं। किसी तरह में वहां से भागा। फिर मैंने सोचा कि गांव से बाहर जाकर उसे कहीं बेच  दू ।


     मैं कुछ ही दूर  गया था । कि टोल नाके पर पुलिस ने मुझे पकड़ लिया और गुस्से में मुझसे पूछा कि कहां जा रहे हो? और यह मास्टर साहब का स्कूटर आपके पास कैसे आया? फिर मैं कोई बहाना बनाकर वहां से भाग गया...में भागते भागते थक गया हूं। मास्टर साहब आपका स्कूटर है या अमिताभ बच्चन? हर कोई उसे जानता है! मैं आपकी अमानत आपको सोप  रहा हूं। उसे बेचने की मुझ में ना तो हिम्मत है और ना ही ताकत। आपको हुई परेशानी के लिए मुझे माफ कर दो और परेशानी के बदले में मैंने आपके  स्कूटर की टंकी भरवा दी है!

      

इस पत्र को पढ़कर सागर जी मुस्कुराया और कहा," कर भला तो हो भला" अगर आप दिल के नेक इंसान हो तो, आपके आसपास के लोग निश्चित रूप से खुश होंगे इसलिए जीवन में कभी भी किसी की मदद करने के लिए पीछे नहीं हटना चाहिए।


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