कहानी एक दुखी पौधे की | Moral Hindi kahani
एक छोटे से गांव में एक बहुत ही सुंदर पेड़ था। वह पेड़ अपनी ऊँचाई, हरी-भरी पत्तियाँ और सुंदर फूलों से लोगों को आकर्षित करता था। इस पेड़ के निचे एक बहुत ही दुखी पौधा था। वह पौधा खुद को असमर्थ समझता था क्योंकि उसकी ऊँचाई बहुत कम थी और उसकी पत्तियाँ सूख रही थीं।
उसके दुखी रहने का एक और कारण ये था की वो हमेशा अपनी तुलना उस ऊंचे पेड़ से करता था और परिणाम स्वरूप अपने आप को और भी दुर्बल महसूस करता।
एक दिन, वर्षा के मौसम में भीषण बारिश शुरू हो गई। बारिश के पानी से पेड़ को बहुत आनंद आया। पेड़ की पत्तियाँ चमक उठीं और फूल खिलने लगे। पेड़ खुशी के मारे गाता रहा और और अपनी पत्तियां खुशी से लहराता रहा। ये बारिश सिर्फ उस बड़े पेड़ के लिए नही थी। बारिश का पानी छोटे पौधे को भी मिला।
उस दिन, जब बारिश थम गई, उसी समय धरती पर जब धूप ने पहली किरण फैलाई, तभी वह पौधा अपनी पत्तियों को फैलाने लगा। धूप की किरणें उस पौधे को चुमने लगीं और उसे शक्ति देने लगीं। उस पौधे को अचानक अहसास हुआ कि वह खुद को कम। आंक रहा था जबकि वो अपने आप को थोड़ी मेहनत कर बलवान बना सकता है।
वह पौधा खुद को ऊँचा करने के लिए अपनी ऊर्जा का उपयोग करने लगा। धूप की मदद से उस पौधे ने अपनी ऊँचाई बढ़ाने के लिए कठिनाईयों का सामना किया और अपने आप को सशक्त बनाया।
धीरे-धीरे, वह पौधा बढ़ता गया और उसके पत्ते हरे-भरे हो गए। उस पौधे ने भी फूलों की महक छोड़ी और लोगों को प्रभावित किया। लोग आकर्षित होकर उस पौधे को देखने लगे और उसकी सुंदरता की प्रशंसा करने लगे।
इस कहानी से हमें यह सबक मिलता है कि हमें अपने अंदर के क्षमताओं का सही समय पर पहचानना चाहिए। हमें खुद को समर्थ मानना चाहिए और अपनी ऊर्जा का सही उपयोग करना चाहिए। हमें सतत प्रयास करते रहना चाहिए और विपरीत परिस्थितियों में भी अपनी प्रगति करनी चाहिए। इस प्रकार, हम सभी अपनी सफलता को प्राप्त कर सकते हैं और आपार प्रगति कर सकते हैं।
