दादा जी अपने पोते को छोटे-छोटे व्यवहारों का असर समझाने की कोशिश कर रहे थे। अपने पोते को यह बताना चाहते थे कि लोग बहुत छोटी-छोटी बातों पर बड़ा ध्यान देते हैं और उनका उन पर बहुत असर भी होता है। लेकिन पोता दादा जी की बात ठीक से समझ नहीं पा रहा था।
छोटी छोटी बातों का असर :दादा पोते की कहानी
दादाजी ने दूसरे तरीके से अपने पोते को समझाने की कोशिश की और उसे एक जगह पर ले गए जहां से सामने वाली दो दुकाने नजर आती थी। दादाजी ने पोते से कहां के देखो इन दोनों दुकानों में तुम्हें क्या फर्क नजर आ रहा है?
पोते ने दोनों दुकानों को देखा और दादा से कहा कि एक दुकान पर ज्यादा ग्राहक है जबकि दूसरी दुकान पर इक्का-दुक्का ग्राहक है।
दादा ने अपने पोते से कहा कि इसके पीछे का कारण बहुत साधारण सा है। जिस दुकान पर ज्यादा ग्राहक है वह दुकानदार वस्तु तोलते समय पहले तराजू में कम वस्तु रखता है फिर थोड़ी-थोड़ी बढ़ाता है! इससे सामने खड़े ग्राहक को लगता है कि वह उसे ज्यादा वस्तु दे रहा है। जबकि दूसरे दुकान का मालिक जिसके पास कम ग्राहक है वो वस्तु तोलते समय पहले ज्यादा वस्तु रखता है फिर वजन बराबर करने के लिए उसमें से थोड़ी थोड़ी कम करता है जिससे कस्टमर को लगता है कि वह उसे कम वस्तु दे रहा है।
दोनों दुकानदार ग्राहक को बराबर वस्तुएं दे रहे हैं लेकिन दोनों का तरीका अलग है। इसलिए दोनों को देखने का, दोनों को जज करने का ग्राहकों का नजरिया अलग-अलग है।
इसी तरह हमें अपने जीवन में भी लोगों से अच्छे से बात करनी चाहिए। उनसे अच्छे से मिलना चाहिए। हमें पसंद हो या ना हो लेकिन अगर हम चेहरे पर स्माइल के साथ सबसे मिलेंगे तो उनका व्यवहार हमारी तरफ हमेशा अच्छा रहेगा और जरूरत के समय वह हमसे अच्छा बर्ताव करेंगे, हमारी मदद भी करेंगे।
