दोस्तों आज की कहानी पढ़कर आपका दूसरे लोगों के तरफ नजरिया बदलने वाला है। अगर आप में थोड़ा सा भी अहंकार है तो वह कम होने वाला है। इसलिए इस कहानी को एक बार पूरी जरुर पढ़िएगा और उन्हें भी पढाईएगा जीन्हे आपके हिसाब से लगता हो कि यह कहानी पढ़कर कुछ फायदा हो सकता है।
तो चलिए शुरू करते हैं कहानी... यह कहानी एक बहुत ही चालक और बुद्धिशाली आदमी की है। ये चालाक आदमी हमेशा अपना फायदा निकालने के लिए अपनी चालाकी का अपने बुद्धि का गलत इस्तेमाल करता था।
एक बार इसे पता चला कि किसी एक पहाड़ी की चोटी पर पहुंच कर भगवान से सीधे बात की जा सकती है और उनसे कोई एक अपनी इच्छा पूरी करवाई जा सकती है।
वो आदमी किसी तरह उस पहाड़ी की तलाश करके उस की चोटी पर चढ़ने में कामयाब हो गया। और उस चोटी पर जाकर वह चिल्ला चिल्ला कर भगवान को बुलाने लगा। भगवान ने उससे वहां आने का कारण पूछा तो पहले यह आदमी अपनी चालाकी का प्रदर्शन करने लगा।
आदमी ने भगवान से कुछ सवाल पूछे। आदमी ने पहला सवाल पूछा भगवान आपके लिए लाखों साल कितने बराबर हैं? भगवान ने कहा मेरे लिए लाखों साल एक सेकंड के बराबर है। आदमी ने फिर भगवान से दूसरा सवाल पूछा भगवान आपके लिए करोड़ों-अरबों रुपए का क्या मूल्य है? भगवान ने कहा मेरे लिए दुनिया का सारा धन एक रुपए के बराबर है।
अब आदमी को लगा कि उसने भगवान को अपनी बातों में फंसा लिया है इसलिए उसने अब अपनी इच्छा बताइ। भगवान मैं आपसे एक रुपया मांगता हूं। इतना कहने के बाद आदमी मन ही मन मुस्का रहा था कि अब वह दुनिया का सारा धन पा लेगा। भगवान ने कहा मैं तुम्हें ₹1 देने के लिए तैयार हूं इसके लिए तुम्हें बस मेरी एक शर्त माननि होगी। आदमी ने कहा वह कोई भी शर्त मानने के लिए तैयार है। भगवान ने आदमी से कहां तुम्हे सिर्फ एक सेकंड इंतजार करना होगा।
आदमी खुशी से उछल पड़ा और तुरंत हा करदी। उसके हा करते ही भगवान वहां से गायब हो गए। अब आदमी इंतजार करने लगा की कब उसे दुनिया का सारा धन मिलेगा। कुछ घंटे बीत जाने के बाद जब वह दोबारा सोचने लगा तो उसे याद आया उसका पहले सवाल का जवाब जो भगवान ने दिया था उसके हिसाब से भगवान के लिए एक सेकंड यानी आदमी के लिए लाखों करोड़ों साल के बराबर है! यानी कि भगवान उसे दुनिया की सारी दौलत देंगे लेकिन लाखों करोड़ों साल इंतजार करने के बाद।
ये अद्भुत कहानी हमें बड़ा ही गहरा सबक देकर जाती है। यह कहानी हमें सिखाती है कि कभी भी हमें हमारे सामने वाले को कम नहीं समझना चाहिए। अगर हम सामने वाले से ईमानदार रहेंगे, हम उसके साथ अच्छा ही करेंगे तो हमारे साथ भी अच्छा होगा। और हम सामने वाले को जो देंगे वही हमें वापस मिलेगा। हम सामने वाले को खुशी देंगे तो हमें खुशी वापस मिलेगी। हम उसे दुख देंगे तो दुख मिलेगा। वफादारी के बदले वफादारी और धोखे के बदले हमें धोखा ही मिलेगा।
