मुल्लाजी के पूर्वज : मजेदार कहानी

 एक गांव में पंचों की सभा लगी हुई थी। इन पंचों में उस गांव के पांच लोग पंच के पद पर नियुक्त थे। इन पांचों में एक मुल्लाजी भी थे जो पंच के पद पर विराजमान थे। लेकिन इनकी सोच बड़ी ही रूढ़िवादी और पुराने तरह की थी। यह किसी भी नीची जाति के लोगों को सीधे नजरों से नहीं देखते थे । अगर वह उनके सामने आ जाते तो वह अपने मुंह पर कोई कपड़ा रख लेते थे या अपना मुंह फेर लेते थे।


मुल्लाजी के पूर्वज : मजेदार कहानी


इन 5 पंचों में एक पंच नीची जाति से भी था लेकिन वह काफी समझदार और सुलझी हुई बुद्धि का व्यक्ति था। उन्होंने अपने काबिलियत के दम पर पंच का पद हासिल किया था। उनका नाम हरिलाल था। उनसे मुल्लाजी ज्यादा ही चिढ़ते थे।


सभा चल रही थी। 4 पंच अपनी जगह पर आकर विराजमान हो गए थे लेकिन हरिलाल को आने में थोड़ी देर हो गई थी। हरिलाल जल्दी-जल्दी सभा में आए और उन्होंने देखा कि उन्हें बैठने के लिए सिर्फ एक जगह खाली थी जो कि मुल्लाजी के बाजू में थी। तो हरीलाल जाकर के मुल्लाजी के बाजू में  बैठ गए।


मुल्लाजी ने जैसे ही देखा कि हरिलाल उनके पास आ गया है तो उन्होंने एक कपड़ा अपने मुंह पर डाल दिया। भरी सभा में उन्हें ऐसा करते देख किसी को भी अच्छा नहीं लगा। बाकी के पंचों ने उन्हें समझाया कि उन्हें इस तरह से हरीलाल का अपमान नहीं करना चाहिए।


तो मुल्लाजी ने विरोध करते हुए कहा कि अगर मैं इस नीची जाति के व्यक्ति को सीधे नजरों से देख लूंगा तो मुझे पाप लगेगा। नीची जाति के लोगों के पूर्वजों ने बहुत ज्यादा पाप किया था इसलिए उन्हें देखने से देखने वाले को भी पाप लगता है और एक मान्यता के अनुसार इन्हें देखने वाले को अगले जन्म में गधा बनना पड़ता है।


सभी ने उन्हें समझाने की लाख कोशिश की लेकिन वह नहीं माने। हरिलाल तब तो कुछ नहीं बोला लेकिन उसने मन ही मन ठान लिया कि वक्त आने पर वह मुल्लाजी को करारा जवाब जरूर देंगे।इस बात को कई दिन बीत गए।


एक बार किसी समस्या का समाधान करने के लिए पांचो पंच एक रास्ते से गुजर रहे थे। रास्ते में हरिलाल ने देखा कि 3-4 गधे घास चर रहे थे। हरिलाल ने सबको रुकने के लिए कहा और वह सीधा गधों के पास गया और उनके पैर छूकर उन्हें प्रणाम करने लगा!


सभी यह देखकर हैरान थे सब को लगा कि शायद हरिलाल का दिमाग खराब हो गया है। हरिलाल जब उनके पास वापस लौटा तो सब ने उसे पूछा कि वह गधों को प्रणाम क्यों कर रहा था?


हरिलाल ने शांति से जवाब दिया कि मेरे पूर्वजों को देखने की वजह से मुल्लाजी के पूर्वज गधे हो गए है। मैं मुल्लाजी के पूर्वजों को सम्मान दे रहा था इसलिए मैंने उनके पैर छुए!

मुल्लाजी के पूर्वज : मजेदार कहानी


सभी पंच हरिलाल की बात सुनकर हंसने लगे सिवाय मुल्लाजी के। मुल्लाजी ने काफी सोचा और उन्हें हरिलाल की व्यंग से की गई बात समझ में आ गई। उस दिन के बाद मुल्लाजी ने किसी को भी देखकर अपनी नज़रें नहीं घुमाई। और किसी से बुरा व्यवहार भी नहीं किया।


दोस्तों बुद्धि और समझदारी से हम किसी को भी कुछ भी समझा सकते हैं। हमेशा झगड़ा करने से समस्या का हल नहीं निकलता है।


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