असली खजाना : प्रेरक कहानी
आज की कहानी आपको जानी पहचानी या सुनी सुनाई लगेगी फिर भी में इस कहानी को आपके साथ साझा करना चाहूंगा क्योंकि इसकी सिख हर किसीको जीवन में मेहनत करने के लिए प्रेरित करेंगी।
वे चारो गांव में बेवजह ही इधर उधर घूमकर टाइम पास किए रहते थे। एक दिन रामलाल ने अपनी पत्नी से कहा की फिलहाल तो मै खेतों में काम कर रहा हूँ लेकिन मेरे जाने के बाद इन चारो का क्या होगा? इन्होने तो कभी मेहनत करी ही नही है! इन्हे तो खेती के बारे में कुछ भी नहीं पता और नही ये जानना चाहते है।
मोहन की बीवी ने कहा की आप चिंता मत कीजिए धीरे धीरे चारो भी काम करने लगेंगे। समय बिता और मोहन के बेटों ने कोई काम नहीं सीखा। एक बार मोहन बहुत बीमार हो गया। उसकी बीमारी बढ़ती ही गई।
उसने अपनी बीवी को बोला की वह चारों बेटो को बुला कर लाये। चारो के आने बाद मोहन बोला मैं आज तुम्हे एक राज बताने वाला हूं। शायद अब मै ज्यादा दिनों तक बच नहीं पाऊंगा।
उसने कहा बेटों मैने अपने जीवन में जो भी कुछ धन कमाया है वह सारा खजाना हमारे ही खेतों के निचे गाड़ रखा है। मेरे जाने के बाद तुम उसमे से खजाना निकालकर आपस में बराबर बाँट लेना। पिता की बात सुनकर चारों लड़को की आंखे खुशी से चमक गई।
कुछ समय बाद मोहन की स्वर्ग चला गाया। उसकी मृत्यु के कुछ दिनों बाद उसके चारो बेटे खेत में दबा खजाना निकालने के मकसद से वहा गए। उन्होंने सुबह से लेकर शाम तक सारा खेत खोद डाला किंतु उनको कोई भी खजाना हाथ नही लगा।
सभी ने घर आकर अपनी माँ से कहा माँ पिताजी ने हमसे झूठ क्यों बोला? खेत में हमें कोई फूटी कौड़ी भी नहीं मिली। माँ ने कहां की तुम्हारे पिताजी के इस घर और खेत के अलावा कोई खजाना नहीं है। मेरी बात मानो अब तुमने खेत खोद ही दिया है तो उसमे बीज बो भी दो।
चारो को ये सुझाव सही लगा उन्होंने खेत में बीज बोये और माँ के कहेनुसार उसमे समय समय पर पानी भी देते रहे। कुछ समय बाद फसल बड़ी हुई, पक कर तैयार हो गयी। जिसको बेचकर लड़कों को बड़ा मुनाफा हुआ। जिसे लेकर वह अपनी माँ के पास पहुंचे तो माँ ने कहा की तुम सब की मेहनत ही तुम्हारा असली खजाना है यही तुम्हारे पिताजी तुमको अपने आखरी समय में समझाना चाहते थे।
