पुरानी किताबे : इंसानियत की कहानी
मैं एक दिन अपने ऑफिस के पासवाली रद्दी की दुकान से पुराने अखबार खरीदने गया था और तभी एक अंकल उस दुकान पर आए। वह छठी कक्षा की पढ़ाई की किताबें खरीदने आए थे।
दुकानदार ने उनसे तरह-तरह के सवाल पूछे( जैसे की कोनसे सब्जेक्ट की बुक चाहिए?,हिंदी या इंग्लिश मीडियम?...) लेकिन अंकल को समझ नहीं आ रहा था इसलिए मैंने उनकी मदद की।
तब अंकल ने मुझे बताया कि ये किताबें उनके बेटे या बेटी के लिए नहीं थीं!
एक महिला है जो उनके ऑफिस में सफाई का काम करती है.. यह उसकी बेटी के लिए है जो छठी कक्षा में पढ़ती है। महामारी के कारण छात्र घर से पढ़ाई कर रहे हैं, लेकिन इस बेचारी महिला के मोबाइल फोन तक नहीं है, इसलिए उनकी बेटी क्लास नहीं ले पा रही है और कुछ दिनों में परीक्षा है और इतना ही नहीं उसके पास किताबें भी नहीं हैं।
उसकी बेटी घर पर रो रही थी और उस महिला ने इस अंकल को बातों बातों में ये सब बताया, तो अंकल ने उसे किताबें उपलब्ध कराने का फैसला किया इसलिए वह इस दुकान पर आए।
हो सकता है कि वह महिला कई और जगहों में भी सफाई कर रही हो लेकिन किसी ने उसकी मदद नहीं की और उससे उसके बच्चों के बारे में भी नहीं पूछा लेकिन इस अंकल ने बहुत अच्छा काम किया।
इस घटना ने मुझे बहुत खुश किया। हम भले ही अमीर न हों लेकिन हमारे पास सुखी जीवन जीने के लिए पर्याप्त संसाधन हैं।
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