एक छोटी सी इन्सपायरिंग कहानी
दोस्तों, ये कहानी उन सभी को पढ़नी चाहिए जो मेहनत से बचने के लिए बहाने बनाते है और फिर असफल होनेपर भगवन को ,अपने माँ बाप को, या समाज को जिम्मेदार ठहराते है की उन्हें सफल लिए अवसर नहीं मिले या संसाधन नहीं दिए गए।
मुझे लगता है कि चंडीगढ़ के बहुत से लोग इस आदमी की कहानी जानते होंगे। ये अजय वर्मा हैं, जो एक स्व-रोजगार व्यक्ति हैं, जो सेक्टर-22 मार्केट में सौंफ के पैकेट बेचकर पैसे कमाते हैं।
उन्हें जन्म से ही पोलियो था, इसलिए वह ठीक से चल-फिर नहीं पाते, बात भी नहीं कर पाते, लेकिन अपनी कार्यशैली और मिलनसार स्वभाव के कारण वह सभी इलाकों में काफी लोकप्रिय हैं। वह हमेशा हर किसी से मुस्कुराते हुए मिलते हैं, उनसे हाथ मिलाते हैं और जब आप जाने वाले होते हैं तो कहते हैं 'दोबारा जरूर आना'। और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि वह कभी भी आपको जबरदस्ती अपना सामान बेचने की कोशिश नहीं करता है। वह सचमुच बहुत भला व्यक्ति हैं।
एक बार, मैंने उनसे पूछा, "आपके काम आपको सबसे अच्छी बात क्या लगती है?"उन्होंने कहा, "नये दोस्त मिलना।" (मतलब नए दोस्त बनाना)
आसपास के दुकानदारों ने मुझे उनके बारे में बताया कि वह पिछले 14 -15 वर्षों से यहां आ रहे हैं। उनका परिवार उनके हर रोज अंबाला से चंडीगढ़ आने-जाने से डरता था, लेकिन अजय इस सफर में खुद को काफी अच्छे से संभालते हैं। दुकानदारों ने मुझसे कहा, "ये तो हीरो है, जो इसके मन में आता है ये भाईसाब वही करते हैं।"
स्रोत: लॉजिकल इंडिया
क्रेडिट:सफल भारद्वाज
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