बेचैन पिता की छोटी सी कहानी

बेचैन पिता की छोटी सी कहानी 

 ये बुज़ुर्ग  हमारे अपार्टमेंट में लिफ्ट ऑपरेटर है जो सुबह 8 बजे से रात 8 बजे तक काम करते है।  हर सुबह मैं ठीक 9:20 से 9:25 के बीच लिफ्ट का उपयोग करता हूं और हर दिन मैं उन्हें  काफी  चिंता के साथ हाथ में फोन देखते हुए  ऑब्ज़र्व करता हूं।  वह इस दौरान अपना सिर घुमाकर इधर उधर भी नही। 

बेचैन पिता की छोटी सी कहानी


एकबार जिज्ञासावश मैंने उनसे  पूछा कि वह फोन में क्या देखते रहते है ?  उन्होंने  कहा कि वह 9:30 बजने का इंतजार करते  है ताकि वह अपनी बेटी को फोन कर सके जिसकी हाल ही में शादी हुई है!  क्योंकि उनके दामाद को यह पसंद नहीं है की वह अपने पिता से बात करे!, इसलिए वह 9:30 बजे तक इंतजार करते हैं ताकि उनका दामाद ऑफिस के लिए निकल जाए और वह अपनी बेटी को यह जानने के लिए फोन करते हैं कि पिछले दिन सब कुछ ठीक था या नहीं।


इस छोटी सी कहानी की सबसे दुखद बात ये है की एक निराश पिता को अपनी बेटी के बारे में जानने के लिए बेचैन होते देखना।  जहां तक मेरा मानना है कि हमारे देश में होने वाले बलात्कारों की तुलना में घरेलू हिंसा सबसे आगे है, लेकिन ज्यादातर महिलाएं अपने साथ होने वाले सामाजिक आघात के कारण चुपचाप मार झेलती हैं।


दोस्तों  दुनियाँ  चाहे  कितनी भी आगे क्यों न बढ़ जाए  औरतो को दबाने वाली ऐसी नीची सोच के लोग  आपको अपने आसपास दिख ही जाते है। लेकिन ऐसा नहीं है की ये परिस्थिति कभी बदल ही नहीं सकती  महिलाओ की स्थिति जरूर बदल सकती है और उसे केवल महिलाये ही बदल सकती है जब वो अपने लिए ,अपने हको के लिए खड़ी होंगी। 

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