मेरा नाम साक्षी है और मेरे पति का नाम परमित।हमारा अंतरजातीय(intercaste) प्रेम विवाह था। जिस क्षण मैं उसके माता-पिता से मिली, मुझे पता चल गया कि वे अच्छे लोग है...
मेरी शादी होने के बाद मैं अपनी सास के साथ ज्यादा समय नहीं बिता सकी क्योंकि हमारी शादी के कुछ दिन बाद ही उनका निधन हो गया था। लेकिन अपने ससुर के साथ रहते हुए मैं कह सकती हूं कि वह वास्तव में एक महान व्यक्ति हैं।
हम इतने करीब हैं कि लोग हमें बेटी और पिता समझने की भूल कर बैठते हैं।' कभी-कभी हम उन लोगों की गलतफहमी दूर भी नहीं करते..वह मेरे जीवन में निरंतर समर्थक रहे हैं...
अगर मैं कहती हूं कि मुझे कुछ पसंद है, तो वह एक टुकड़ा नहीं लाते... वह पूरा डिब्बा ले आते है... एक बार मैंने कहा था कि काफी समय हो गया है, मैने अच्छे संतरे नहीं खाए हैं.. अगली सुबह मैं देखती हूं, घर में संतरों का पूरा डब्बा रक्खा था!
वह हर चीज में मेरा समर्थन करते है और हमेशा मुझे काम करने के लिए प्रोत्साहित करते है... और काम के प्रति अपना जुनून नहीं छोड़ने के लिए भी। उन्होंने ही मुझे समझाया है कि खुद को व्यस्त रखना कितना महत्वपूर्ण है... यहां तक कि मुझे नियमित रूप से व्यायाम करने के लिए भी प्रोत्साहित करते है...
अगर मेरे पति के साथ मेरा झगड़ा होता है, तो वह मेरे पति को डांटने के लिए वहां मौजूद होते है। वह बहुत अच्छा खाना बनाते हैं, जब भी मैं व्यस्त होती हूं तो वह खाना बनाते हैं... तो कुल मिलाकर ये सभी चीजें मुझे खुश करती हैं...
ऐसा नहीं है कि हमारे बीच कोई असहमति नहीं है...हम दोनो कई विषयों पर एक दूसरे से असहमति दर्शाते है लेकिन कुछ मिनटों के बाद हम बैठते हैं और बात करते हैं। ठीक वैसे ही जैसे मैं अपने पापा के साथ करती हूं...
मैं बस इस बात से खुश हूं कि मेरे दो पिता हैं, नाम के लिए नहीं बल्कि सच में..

Dil ko chu gayi kahani.
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