बुजुर्ग और घुड़सवार : कहानी
एक घुड़सवार अच्छे सेब की तलाश में अपने ठिकाने से काफी दूर निकल गया। हालाकि उसका सफर सफल रहा और उसको काफी अच्छी गुणवत्ता के और ढेर सारे सेब मिले। उसने दो बड़ी टोकरियां सेंबो से लबालब भर ली और अपने ठिकाने की और चल पड़ा।
काफी देर चलने के बाद उसे लगा की शायद वो अपने ठिकाने का पता भूल गया है। उसे रास्ते में एक बुजुर्ग आदमी दिखाई दिया। उसने उस बुजुर्ग से अपने ठिकाने की दूरी और वहा तक पहुंचने के लिए कितना समय लगेगा ये पूछा।
बुजुर्ग ने उसका और घोड़े का अच्छे से निरीक्षण किया और बोला .. आराम से जाओगे तो 3 से 4 घंटे में पहुंच जाओगे। जल्दबाजी करोगे तो आधी रात को भी शायद ना पहुंच पाओ!
घुड़सवार को बुजुर्ग की बात अजीब लगी लेकिन अब उसे अपने ठिकाने का पता मालूम हो गया इसलिए वो तेजी से घोड़े को चलाने लगा। वो थोड़ी ही दूर बढ़ा था की टोकरियों से कई सेब नीचे गिर गए। उनको उठाने के लिए वो रुका और सारे सेब उठाए जिसमे कुछ समय लगा। अब इस समय की भरपाई करने के लिए उसने घोड़े को और तेज दौड़ाया जिससे फिर से सेब गिरे। इस प्रक्रिया को उसने कई बार दोहराया जिससे उसे अपनी मंजिल तक पहुंचने में आधी रात हो गई? उसे अब उस बुजुर्ग की बात अच्छे से समझ में आई कि वो क्या कहना चाहते थे और उनकी बात न मानने का अफसोस भी हुआ।
दोस्तो, छोटी सी ये कहानी आपको सिखाती है की बुजुर्गो की बात को हमेशा अच्छे से सुननी और समझनि चाहिए क्योंकि वो अपने तजुर्बों के हिसाब से बाते करते है जो कभी गलत नही होती।
