कहानी सिंगल पेरेंट की | story of single parent
26 साल पहले, 17 साल की एक लड़की की शादी होती है। एक साल बाद वह एक लड़की को जन्म देती है और 4 साल बाद एक और लड़की को जन्म देती है।
एक दिन उसका पति रात को शराब पीकर घर आता है और उसे पीटता है। उनकी दोनों बेटियां डर जाती हैं और फिर हर दूसरे दिन ऐसा ही होने लगता है।
काफी सहन करने के बाद आख़िरकार वह दिन आता है जब वह अपनी सारी हिम्मत जुटाती है और अपनी बेटियों की खातिर उस आदमी को हमेशा के लिए छोड़ने का फैसला करती है और फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखती।
लेकिन कहानी यहां खत्म नहीं होती और नही संघर्ष यहीं ख़त्म होता।
वह 26 साल की थी, उसकी 2 बेटियां थी और उसे चिंता थी कि वह उन्हें अच्छा भविष्य कैसे दे पाएगी?
लेकिन उसने उम्मीद नहीं खोई, उसने अपने लिए काम ढूंढा, वह पूरे दिन 4-5 स्थानों पर काम करती, वह अपनी बेटियों को अच्छी शिक्षा देने के लिए जीतोड़ मेहनत,प्रयास करती और अब वर्तमान में, उसकी बड़ी बेटी गुरुग्राम में एक अच्छी कंपनी में काम करती है और छोटी एक मेडिकल कॉलेज में है!
उसने कभी उम्मीद नहीं खोई, वह किसी से नहीं डरी, उसने अपने दम पर अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया और वह अभी भी कर रही है। उन्होंने अपना जीवन बलिदान कर दिया ताकि उनकी बेटियां अपने पैरों पर खड़ी हो सकें और उन्हें उन चीजों का सामना न करना पड़े जो उन्होंने झेली हैं।
यह दिल्ली की रानू सोनी की माँ की कहानी है और उनकी कहानी हमें सिखाती है कि कभी हार मत मानो, कभी किसी से मत डरो। उनकी कहानी रानू और उनकी बहन को पढ़ाई करने और उनकी मां को वह सब कुछ देने में गर्व महसूस कराने के लिए प्रेरित करती है, जिसकी उन्हे जरूरत है।
